प्रमुख बिंदु-
वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ (Kashi Vidyapith) के 47वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की सख्त नसीहत ने पूरे शिक्षा विभाग में हलचल मचा दी। स्वच्छता, छात्रावास और जिम की बदतर हालत पर खुली आलोचना के बाद उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बुधवार को अचानक विश्वविद्यालय का दौरा किया। पैर में फ्रैक्चर होने के बावजूद प्लास्टर बांधे मंत्री ने कैंपस का पैदल निरीक्षण किया और अधिकारियों को तत्काल सुधार के सख्त निर्देश दिए। यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि छात्रों के भविष्य को लेकर सरकार की गंभीरता भी दर्शाती है।
दीक्षांत मंच से राज्यपाल का खुला प्रहार: ‘मैनेजमेंट सीखो, सफाई करो!’
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 47वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने न केवल डिग्री बांटी, बल्कि विश्वविद्यालय की कमियों पर भी सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शिक्षा जीवन बदलने के लिए है, न कि सिर्फ डिग्री हासिल करने के लिए। लेकिन यहीं सवाल उठाया कि आखिर कैंपस में इतनी गंदगी क्यों? हॉस्टल में पुलिस वालों का अड्डा, खाली बोतलों का अंबार और एसटीपी का न चलना, इन मुद्दों पर राज्यपाल ने साफ शब्दों में कहा, “झाड़ू लगाओ, सफाई का आरंभ आज से!”
छात्रों ने तालियां बजाकर उनका साथ दिया, लेकिन कुलपति और अधिकारियों के चेहरे तन गए। राज्यपाल ने रैंकिंग में बी++ ग्रेड आने पर भी नाराजगी जताई। बोलीं, “प्रधानमंत्री के क्षेत्र में दो यूनिवर्सिटी हैं, फिर भी ए ग्रेड क्यों नहीं? कमी कहां रह गई, इसकी जांच होनी चाहिए।” उन्होंने मैनेजमेंट की बिमारी का जिक्र किया और कहा कि परीक्षा के साथ रिजल्ट भी समय पर घोषित हो। स्पोर्ट्स में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पावर लिफ्टिंग का उदाहरण देते हुए बोलीं, “पढ़ाई में भी पावर दिखाओ!”, राज्यपाल के ये शब्द चर्चा का केंद्र बने रहे।
मंत्री का सरप्राइज विजिट: फ्रैक्चर पैर से चले पूरा कैंपस
दीक्षांत समारोह खत्म होते ही उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय एक्शन मोड में आ गए। हाल ही में पैर में फ्रैक्चर होने के बावजूद प्लास्टर बांधे पैर से वे कैंपस पहुंचे। उनके साथ कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी भी थे। मंत्री ने सबसे पहले जिम का निरीक्षण किया। पुराने उपकरणों और खराब मशीनों को देखकर नाराजगी जताई। बोले, “यह व्यवस्था संतोषजनक नहीं। नए सामान खरीदो, वरना छात्रों का स्वास्थ्य प्रभावित होगा।”

फिर हॉस्टल की ओर बढ़े। छात्रों के कमरों में घुसकर अलमारियों की जॉच की, जहां परदे न लगे होने की शिकायत मिली। छात्रों से सीधे बात की और उनकी परेशानियां सुनी। एक छात्र ने बताया, “हॉस्टल में निर्माण कार्य में लापरवाही हुई, दीवारें टपकती हैं।” मंत्री ने तुरंत कुलपति को निर्देश दिया कि बंद अलमारी सिस्टम लागू हो और सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए। पूरा निरीक्षण पैदल ही किया, जो उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। शिक्षा मंत्रालय में इस घटना से हड़कंप मच गया है।
निरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाली कमियां सामने आईं। हॉस्टल के तीनों ब्लॉकों में रेनोवेशन कार्य में अनियमितताएं मिलीं—छात्रों ने निर्माण कंपनियों पर पैसे की बंदरबांट का आरोप लगाया। अलमारियों में परदे न लगे होने से निजता की कमी, बाथरूमों में रिसाव और बेडों की खराब हालत ने मंत्री को भड़का दिया। जिम में तो हालत और भी दयनीय थी, उपकरण जंग खाए पड़े हैं, कई मशीनें टूट चुकी हैं। सफाई व्यवस्था पर मंत्री ने साफ कहा, ‘यह संतोषजनक नहीं है, कैंपस कूड़ेदान जैसा लग रहा है।’ एसटीपी प्लांट चालू न होने से जल निकासी की समस्या भी उजागर हुई। छात्रों ने कहा, ‘राज्यपाल ने जो बोतलें और गंदगी का जिक्र किया, वही हकीकत है।’

हॉस्टल में गंदगी: छात्र बोले, ‘लूट मची है ऊपर से नीचे तक’
निरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाली कमियां सामने आईं। हॉस्टल के तीनों ब्लॉकों में रेनोवेशन कार्य में अनियमितताएं मिलीं—छात्रों ने निर्माण कंपनियों पर पैसे की बंदरबांट का आरोप लगाया। अलमारियों में परदे न लगे होने से निजता की कमी, बाथरूमों में रिसाव और बेडों की खराब हालत ने मंत्री को भड़का दिया। जिम में तो हालत और भी दयनीय थी, उपकरण जंग खाए पड़े हैं, कई मशीनें टूट चुकी हैं। सफाई व्यवस्था पर मंत्री ने साफ कहा, ‘यह संतोषजनक नहीं है, कैंपस कूड़ेदान जैसा लग रहा है।’ एसटीपी प्लांट चालू न होने से जल निकासी की समस्या भी उजागर हुई। छात्रों ने कहा, ‘राज्यपाल ने जो बोतलें और गंदगी का जिक्र किया, वही हकीकत है।’

जांच समिति बनेगी, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई
मंत्री ने कोई ढील नहीं बख्शी। कुलपति को हॉस्टल में बंद अलमारी सिस्टम लागू करने, नए जिम उपकरण खरीदने और साप्ताहिक सफाई अभियान चलाने के आदेश दिए। निर्माण कार्यों में लापरवाही पर जांच समिति गठित करने का ऐलान किया, यदि कंपनियां दोषी पाई गईं तो ब्लैकलिस्ट हो जाएंगी। छात्र प्रतिनिधियों और जन प्रतिनिधियों से लिखित शिकायतें मांगीं, ताकि पैसे के दुरुपयोग पर कार्रवाई हो सके। ‘किस मद में कितना फंड आया, कहां गड़बड़ी हुई, सब रिपोर्ट में दें,’ उन्होंने कहा। कुलपति प्रो. त्यागी ने भरोसा जताया कि सभी निर्देशों का पालन होगा। यह कदम न केवल काशी विद्यापीठ बल्कि पूरे प्रदेश के विश्वविद्यालयों के लिए मिसाल बनेगा।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
