प्रमुख बिंदु-
Flood In Varanasi: 2 अगस्त 2025 को वाराणसी में गंगा और वरुणा नदियों ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। गंगा का जलस्तर सुबह 8 बजे 70.87 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु (70.262 मीटर) को पार कर चुका है और खतरे के निशान (71.262 मीटर) से मात्र 39.2 सेंटीमीटर नीचे है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, गंगा का जलस्तर 30.01 मिमी (3 सेंटीमीटर) प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है, जिससे अनुमान है कि अगले 48 घंटों में यह खतरे का निशान पार कर सकती है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण केन, बेतवा और चंबल बांधों से 10 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो प्रयागराज होते हुए वाराणसी पहुंच रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह 1978 की भयावह बाढ़ (73.901 मीटर) का रिकॉर्ड तोड़ सकता है। वरुणा नदी में गंगा के पलट प्रवाह ने हुकुलगंज, सलारपुर और सरैया जैसे मोहल्लों को जलमग्न कर दिया है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हैं।

चेतावनी बिंदु पार, 1978 की बाढ़ का खतरा
वाराणसी में गंगा का चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर और खतरे का निशान 71.262 मीटर है, जबकि ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक जलस्तर 73.901 मीटर 9 सितंबर 1978 को दर्ज किया गया था। केंद्रीय जल आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2 अगस्त 2025 को सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 70.87 मीटर तक पहुंच गया, जो चेतावनी बिंदु को पार कर चुका है और प्रति घंटे 3 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है। यह स्थिति 1978 की बाढ़ की याद दिला रही है, जब गंगा ने शहर के बड़े हिस्से को जलमग्न कर दिया था। उस समय अस्सी, गोदौलिया और बीएचयू जैसे क्षेत्रों में 5-6 फीट पानी भर गया था और गलियों में नावें चल रही थीं।

वरुणा तटीय मोहल्लों में घुसा पानी
वरुणा नदी के किनारे बसे हुकुलगंज, सलारपुर, सरैया, कोनिया, ढेलवरिया, तालीम नगर, हिदायत नगर, मीरा घाट, धोबी घाट, शक्कर तालाब और ऊंचवा जैसे मोहल्लों में बाढ़ का पानी गलियों और घरों में घुस चुका है। गलियों में नावें चल रही हैं और कई घरों में 3-4 फीट पानी जमा है। सीवर ओवरफ्लो ने स्वास्थ्य संकट को और गंभीर बना दिया है। बुनकर समुदाय, जो इन क्षेत्रों में प्रमुख है, सबसे ज्यादा प्रभावित है। वरुणा कॉरिडोर और नक्खी घाट जैसे क्षेत्रों में पानी ने रिहायशी कॉलोनियों को पूरी तरह घेर लिया है, जिससे लोग छतों या ऊपरी मंजिलों पर रहने को मजबूर हैं।

राहत और बचाव कार्य
जिलाधिकारी एस. राजलिंगम और अपर पुलिस कमिश्नर एस. चिनप्पा के नेतृत्व में प्रशासन ने राहत कार्यों को तेज कर दिया है। जिले में 46 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जिनमें 14 सक्रिय हैं और 299 परिवारों के 1601 लोग इनमें शरण ले चुके हैं। सरैया प्राथमिक विद्यालय में बना राहत शिविर आसपास के मोहल्लों के लिए प्रमुख केंद्र है, जहां भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें 22 नावों के साथ बचाव कार्य में जुटी हैं और नगर निगम द्वारा फॉगिंग और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है।
चुनौतियां और भविष्य की चेतावनी
बाढ़ ने वाराणसी के पर्यटन उद्योग को भी ठप कर दिया है। मणिकर्णिका, दशाश्वमेध और नमो घाट सहित सभी 84 घाट जलमग्न हैं और नौका संचालन पर रोक है। सावन के महीने में पर्यटक गंगा में नौकायन नहीं कर पा रहे और गंगा आरती छतों पर हो रही है। ढाब क्षेत्र में ज्वार, बाजरा और सब्जियों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने अगले 24-48 घंटों में भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे गंगा का जलस्तर और बढ़ सकता है।
केंद्रीय जल आयोग ने बताया कि मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से आने वाला पानी अगले 2-3 दिनों में वाराणसी पहुंचेगा, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बेहतर जल प्रबंधन और समय पर कार्रवाई से नुकसान को कम किया जा सकता है। प्रशासन ने निचले इलाकों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने और नदी किनारे से दूर रहने की सलाह दी है।

प्रधानमंत्री ने ली बाढ़ स्थिति की विस्तृत जानकारी
2 अगस्त 2025 को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ की गंभीर स्थिति को लेकर मंडल आयुक्त और जिलाधिकारी से विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने तैयारियों और लोगों की सहायता के लिए चलाए जा रहे राहत कार्यों के बारे में भी जानकारी ली।
प्रधानमंत्री मोदी ने राहत शिविरों में रह रहे लोगों और विभिन्न स्थानों पर शरण लिए हुए लोगों के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने एक बार फिर इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रभावित लोगों को स्थानीय प्रशासन से हर संभव सहायता मिलनी चाहिए।

वाराणसी में गंगा और वरुणा की बाढ़ ने तटीय मोहल्लों में भारी तबाही मचाई है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और किसानों की आजीविका संकट में है। प्रशासन के राहत कार्यों के बावजूद, सीवर ओवरफ्लो और स्वास्थ्य खतरों ने चुनौतियां बढ़ा दी हैं। 1978 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूटने की आशंका ने रहवासियों में दहशत पैदा कर दी है। लोगों से अपील है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, राहत शिविरों में शरण लें और खुले जलस्रोतों से दूर रहें। इस संकट से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास, सतर्कता और त्वरित कार्रवाई जरूरी है ताकि जान-माल का नुकसान कम हो और प्रभावित लोगों को समय पर मदद मिल सके।
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राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।