प्रमुख बिंदु-
Flood in Prayagraj: संगम नगरी प्रयागराज इस समय गंगा और यमुना नदियों की बाढ़ से जूझ रही है। रविवार, 3 अगस्त 2025 को दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान 84.734 मीटर को पार कर 86.8 मीटर से अधिक दर्ज किया गया, जो 2013 की भयावह बाढ़ के रिकॉर्ड को तोड़ता है। उस वर्ष गंगा का जलस्तर 86.8 मीटर और यमुना का 86.6 मीटर तक पहुंचा था, जिसने शहर को भारी नुकसान पहुंचाया था। स्थानीय निवासियों का कहना है कि मौजूदा हालात 1978 की उस भयावह बाढ़ की याद दिलाते हैं, जब जलस्तर 88 मीटर तक पहुंच गया था।
प्रयागराज के निचले इलाकों जैसे बेला कछार, राजापुर, तेलियरगंज, सोनौटी, और बघाड़ा में गंगा का पानी घरों तक पहुंच चुका है। रसूलाबाद घाट और संगम क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं और बड़े हनुमान जी मंदिर भी जल समाधि ले चुका है। जिला प्रशासन के अनुसार, शहर की 61 बस्तियां और जिले के 275 गांव बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। सिंचाई विभाग ने चेतावनी दी है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान से यमुना में आ रहे पानी और गंगा की सहायक नदियों के उफान के कारण जलस्तर में और वृद्धि हो सकती है।

मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का दौरा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 5 अगस्त 2025 को प्रयागराज में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे। सूत्रों के अनुसार, वह हवाई सर्वेक्षण के बाद बाढ़ राहत शिविरों का निरीक्षण करेंगे और प्रभावित लोगों से मुलाकात करेंगे। दूसरी ओर, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य आज, 4 अगस्त 2025 को बघाड़ा, सलोरी और अन्य जलमग्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। मौर्य ने कहा, “प्रशासन और सरकार प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान कर रही है। हमारी प्राथमिकता है कि कोई भी पीड़ित मदद से वंचित न रहे।”
मुख्यमंत्री ने बाढ़ राहत के लिए 11 मंत्रियों की एक विशेष टीम गठित की है, जो प्रभावित जिलों में राहत और बचाव कार्यों की निगरानी कर रही है। कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने भी जलमग्न क्षेत्रों का दौरा किया और राहत सामग्री वितरित की। प्रशासन ने 1,193 बाढ़ चौकियां और 29 लंगर शिविर स्थापित किए हैं, जहां भोजन, पेयजल और दवाइयों की व्यवस्था की गई है।

प्रभावित क्षेत्र और राहत कार्य: प्रशासन की मुस्तैदी
प्रयागराज की चार तहसीलों, सदर, सोरांव, हंडिया और मेजा के 275 गांवों और शहर की 61 बस्तियों में बाढ़ ने तबाही मचाई है। गंगा और यमुना के संगम के बाद पानी की मात्रा दोगुनी हो जाती है, जिससे हंडिया और मेजा जैसे क्षेत्रों में स्थिति और गंभीर हो गई है। बघाड़ा में एक मार्मिक तस्वीर सामने आई, जिसमें माता-पिता अपने नवजात बच्चे को बचाने के लिए कमर तक पानी में चलते नजर आए।
जिला प्रशासन ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की टीमें तैनात की हैं, जो चौबीसों घंटे गश्त कर रही हैं। 504 मेडिकल टीमें और 1,013 बाढ़ चौकियां प्रभावितों की मदद के लिए काम कर रही हैं। राहत शिविरों में 47,906 लोगों को अब तक सहायता प्रदान की गई है और 1,750 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। प्रशासन ने क्लोरीन टैबलेट और ओआरएस पैकेट का वितरण भी शुरू किया है।

जलस्तर और बारिश की आशंका
मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में बारिश की संभावना जताई है, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है। हालांकि, सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यदि बारिश नहीं हुई, तो सोमवार रात तक जलस्तर में कमी आ सकती है। फिर भी, चंबल, केन और बेतवा नदियों से यमुना में आ रहा पानी स्थिति को जटिल बना रहा है।
प्रयागराज के लोग इस आपदा से निपटने के लिए एकजुट हो रहे हैं, लेकिन बाढ़ का कहर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। सरकार और प्रशासन की ओर से राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं, मगर प्रभावित लोग जल्द से जल्द सामान्य स्थिति की उम्मीद कर रहे हैं।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।