मोबाइल रिचार्ज से खुला राज, आश्रम में पुजारी बनकर छिपा था 50 हत्याओं और 125 अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का आरोपी ‘Doctor Death’
प्रमुख बिंदु-
New Delhi : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कुख्यात सीरियल किलर डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा, उर्फ ‘Doctor Death’, को राजस्थान के दौसा से गिरफ्तार कर सनसनीखेज मामले में बड़ी सफलता हासिल की है। 50 से अधिक हत्याओं और 125 अवैध किडनी ट्रांसप्लांट में शामिल यह अपराधी अगस्त 2023 में पैरोल पर रिहा होने के बाद फरार हो गया था। वह दौसा के एक आश्रम में पुजारी के भेष में छिपा था। उसकी गिरफ्तारी एक मोबाइल रिचार्ज के सुराग से संभव हुई, जिसने पुलिस को उसकी लोकेशन तक पहुंचाया।
मोबाइल रिचार्ज से खुला ‘Doctor Death’ का राज
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने छह महीने तक अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा और प्रयागराज में देवेंद्र की तलाश की। करीब चार महीने की छानबीन के बाद पुलिस को पता चला कि उसका मोबाइल दौसा में रिचार्ज हुआ है। फोन कुछ समय के लिए ऑन होने से उसकी लोकेशन भी दौसा में ट्रेस हुई।
पुलिस ने तुरंत एक टीम गठित की, जिसने आश्रम के बाहर एक हफ्ते तक निगरानी की। एक जवान ने भक्त बनकर देवेंद्र से मुलाकात की और उसकी पहचान पुख्ता की। इसके बाद, सादी वर्दी में पुलिस ने उसे दबोच लिया। गिरफ्तारी के बाद देवेंद्र ने कबूल किया कि उसने पुलिस को चकमा देने के लिए पुजारी का भेष धारण किया था, यह सोचकर कि पुलिस कभी उस तक नहीं पहुंचेगी।

आश्रम में पुजारी बनकर रह रहा था ‘Doctor Death’
देवेंद्र ने दौसा के एक मंदिर में आश्रम बनाकर स्थानीय लोगों का इलाज शुरू कर दिया था। उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए बाबा का हुलिया अपनाया था, जिससे कोई उसे पहचान न सके। स्थानीय लोगों को जब उसके कारनामों का पता चला, तो उनके होश उड़ गए। पुलिस ने उसे दिल्ली लाकर जेल प्रशासन के हवाले कर दिया। छानबीन में पता चला कि उसकी पत्नी ने 2004 में उसकी आपराधिक गतिविधियों का खुलासा होने पर उसे छोड़ दिया था। उसका एक बेटा स्विट्जरलैंड और दूसरा केरल में नौकरी करता है।
‘Doctor Death’ के अपराध की खौफनाक कहानी
देवेंद्र शर्मा, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला, एक आयुर्वेदिक डॉक्टर है, जिसने 1984 में बिहार से बीएएमएस की डिग्री हासिल की थी। उसने राजस्थान के बांदीकुई में ‘जनता क्लीनिक’ खोला, लेकिन 1994 में एक गैस एजेंसी घोटाले में 11 लाख रुपये गंवाने के बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा।
उसने फर्जी गैस एजेंसी के जरिए ठगी शुरू की और बाद में एक गैंग बनाकर टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों को निशाना बनाया। वह फर्जी यात्राओं के बहाने ड्राइवरों को बुलाता, उनकी हत्या करता और वाहनों को 20-25 हजार रुपये में कबाड़ मार्केट में बेच देता। शवों को कासगंज की हजारा नहर में मगरमच्छों के हवाले कर देता, ताकि सबूत मिट जाए।

अवैध किडनी रैकेट का मास्टरमाइंड
1998 में देवेंद्र की मुलाकात डॉ. अमित से हुई, जिसके साथ उसने अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट शुरू किया। उसने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और नेपाल से गरीब लोगों को लालच देकर किडनी डोनर बनाया। 1998 से 2004 के बीच उसने 125 से अधिक अवैध ट्रांसप्लांट कराए, जिनमें उसे प्रति ट्रांसप्लांट 5-7 लाख रुपये मिलते थे। 2004 में गुरुग्राम पुलिस ने इस रैकेट का पर्दाफाश किया और देवेंद्र को गिरफ्तार किया।

50 से अधिक हत्याओं का कबूलनामा
देवेंद्र ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 50 से अधिक हत्याएं कीं, लेकिन इतनी हत्याओं के बाद उसे गिनती याद नहीं रही। दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा की अदालतों ने उसे सात हत्या के मामलों में उम्रकैद और एक मामले में फांसी की सजा सुनाई। हालांकि, मगरमच्छों द्वारा शव नष्ट होने के कारण केवल सात शव बरामद हुए, जिसके आधार पर सजा दी गई।

देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की मेहनत और तकनीकी दक्षता का परिणाम है। उसकी आपराधिक गाथा न केवल हैरान करने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अपराधी कितनी भी चालाकी से छिपने की कोशिश करे, कानून का शिकंजा अंततः उसे पकड़ लेता है।
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बृहस्पति राज पांडेय यूनिफाइड भारत के एक विचारशील पत्रकार और लेखक हैं, जो खेल, शिक्षा और सामाजिक मुद्दों पर निष्पक्ष व प्रभावशाली लेखन के लिए जाने जाते हैं। सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर उनकी गहरी पकड़ है। वह नीति-निर्माण, युवा उत्थान और खेल जगत पर विशेष ध्यान देते हैं। युवाओं की आवाज़ को मंच देने और सामाजिक बदलाव के लिए बृहस्पति सतत समर्पित हैं।