प्रमुख बिंदु-
Modi Cabinet: त्योहारों की धूम में घर वापसी की चिंता अब खत्म। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट ने रेल यात्रियों को बड़ी राहत देते हुए दिवाली और छठ के दौरान देशभर में 12,000 स्पेशल ट्रेनें चलाने का ऐलान किया है। यह फैसला लाखों प्रवासी मजदूरों और परिवारों को आसानी से गृह राज्य पहुंचाने का प्रयास है। साथ ही, चार नई रेल परियोजनाओं को मंजूरी देकर रेल नेटवर्क को मजबूत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ये कदम न केवल यात्रा को सुगम बनाएंगे, बल्कि भारत को वैश्विक रेल परिवहन में नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
त्योहारी भीड़ में राहत: 12,000 ट्रेनों का खास प्लान
दिवाली की रोशनी और छठ के सूर्य उपासना के बीच करोड़ों यात्री ट्रेनों की ओर रुख करते हैं, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और पूर्वी राज्यों से। पिछले साल 7,500 स्पेशल ट्रेनों से यात्रियों को फायदा हुआ था, लेकिन इस बार संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है। रेल मंत्री वैष्णव के अनुसार, 1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक ये ट्रेनें प्रमुख रूट्स पर दौड़ेंगी, जिनमें 150 पूरी तरह अनारक्षित श्रेणी की होंगी। इससे प्रतिदिन करीब दो लाख अतिरिक्त यात्रियों को जगह मिलेगी।
खास बात यह है कि ट्रेनों में कन्फर्म टिकट सुनिश्चित करने के लिए आईआरसीटीसी ऐप पर पूर्व बुकिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही, किराए में 20 फीसदी तक छूट की योजना भी लागू होगी। बिहार के लिए विशेष फोकस के तहत गया-दिल्ली, सहरसा-अमृतसर, छपरा-दिल्ली और मुजफ्फरपुर-हैदराबाद जैसे रूट्स पर अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू होंगी। पूर्णिया-पटना के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस भी चलेगी। स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन के लिए एआई आधारित सिस्टम और अतिरिक्त कोच जोड़े जाएंगे। यह कदम न केवल यात्रा को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि दुर्घटनाओं को रोकने में भी मददगार साबित होगा।

चार नई परियोजनाएं को Modi Cabinet से मंजूरी
कैबिनेट बैठक में रेलवे के आधुनिकीकरण को गति देने के लिए चार महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई गई। कुल लागत 24,634 करोड़ रुपये है, जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 18 जिलों को कवर करेगी। इनसे 894 किलोमीटर नई या मल्टी-ट्रैक लाइनें बिछेंगी, जो 3,633 गांवों और 85 लाख आबादी को जोड़ेंगी।
पहली परियोजना गोंदिया-डोंगरगढ़ के बीच चौथी लाइन (84 किमी, 2,000 करोड़) है, जो हावड़ा-मुंबई कॉरिडोर को मजबूत करेगी। दूसरी वर्धा-भुसावल खंड पर तीसरी-चौथी लाइन (314 किमी) माल ढुलाई को तेज करेगी। तीसरी वडोदरा-रतलाम कॉरिडोर (259 किमी) गुजरात-एमपी को जोड़ेगी, जबकि चौथी विदिशा-बैतूल (237 किमी) आकांक्षी जिलों को लाभ पहुंचाएगी। इन प्रोजेक्ट्स को 3-5 साल में पूरा करने का लक्ष्य है। रेल मंत्री ने कहा कि इससे सात प्रमुख कॉरिडोर, जो कुल यातायात का 41 फीसदी संभालते हैं, न्यूनतम चार लेन वाले हो जाएंगे।

अमेरिका से इस मामले में हुआ आगे भारत
भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2025 में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। माल ढुलाई 1.61 अरब टन पार कर अमेरिका को पीछे छोड़ दिया, जिससे भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल फ्रेट ट्रांसपोर्टर बन गया। कुल राजस्व 2.62 लाख करोड़ रुपये पहुंचा, जो तीन साल में लगातार लाभप्रदता दर्शाता है। कोयला (817 मिलियन टन) सबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा, जबकि कंटेनर ट्रैफिक 10 फीसदी और पार्सल 29 फीसदी बढ़ा।
रेल मंत्री वैष्णव ने ब्रीफिंग में कहा, “10 साल पहले जहां हम थे, आज वहां से बड़ी छलांग लगाई है।” पर्यावरण अनुकूल रेल परिवहन से लॉजिस्टिक लागत 8-10 फीसदी घटी है, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) ने भी रिकॉर्ड 391 ट्रेनें प्रतिदिन चलाईं।
रोजगार और सस्टेनेबिलिटी पर जोर
ये फैसले केवल यात्रा सुविधा तक सीमित नहीं। नई परियोजनाओं से हजारों रोजगार सृजित होंगे, खासकर आकांक्षी जिलों विदिशा और राजनांदगांव में। डीजल बचत से सालाना करोड़ों लीटर ईंधन की बचत होगी, जो कार्बन उत्सर्जन घटाएगा। पीएम गति शक्ति योजना के तहत ये प्रोजेक्ट्स मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी बढ़ाएंगे।
रेलवे ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का परीक्षण पूरा कर लिया है, जो अक्टूबर अंत में लॉन्च होगी। साथ ही, रेल कर्मचारियों को 78 दिनों का बोनस (अधिकतम 17,951 रुपये) भी मंजूर हुआ, जो 11.72 लाख लोगों को लाभ देगा। कुल मिलाकर, ये कदम रेलवे को सशक्त बनाते हुए आम आदमी की जिंदगी को आसान करेंगे। त्योहारों पर घर लौटते हुए अब मुस्कान ज्यादा होगी।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
