डिजिटल इंडिया का नया कदम
प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली, 9 जून 2025: भारतीय डाक विभाग ने हाल ही में एक क्रांतिकारी डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम, DIGIPIN (डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर), लॉन्च किया है। यह 10 अंकों का अल्फान्यूमेरिक कोड आपके घर, ऑफिस या किसी भी स्थान को 4×4 मीटर की सटीकता के साथ पिनपॉइंट करता है। अब न तो डिलीवरी बॉय को गलियों में भटकना पड़ेगा और न ही आपको बार-बार फोन पर रास्ता समझाना होगा। यह सिस्टम न केवल डिलीवरी को आसान बनाएगा, बल्कि आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस और अग्निशमन को भी तेजी से सही स्थान तक पहुंचाएगा।

DIGIPIN क्या है और यह कैसे काम करता है?
DIGIPIN एक जियो-कोडेड डिजिटल एड्रेस सिस्टम है, जो भारत को 4×4 मीटर के छोटे ग्रिड में बांटता है। प्रत्येक ग्रिड को एक यूनिक 10-अंकीय कोड दिया गया है, जो उस स्थान के अक्षांश और देशांतर (latitude और longitude) पर आधारित है। यह सिस्टम IIT हैदराबाद और ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के सहयोग से विकसित किया गया है।
उदाहरण के लिए, वाराणसी के कैंट स्टेशन (वाराणसी जंक्शन) का DIGIPIN कोड है 2JP-254-L83C, यह कोड ओपन-सोर्स और इंटरऑपरेबल है, जिसका मतलब है कि कोई भी डेवलपर इसे अपने ऐप या सर्विस में इस्तेमाल कर सकता है। यह सिस्टम गोपनीयता को भी प्राथमिकता देता है, क्योंकि इसमें कोई व्यक्तिगत डेटा स्टोर नहीं होता, केवल भौगोलिक निर्देशांक ही एन्कोड किए जाते हैं।

DIGIPIN कैसे प्राप्त करें?
अपना DIGIPIN जनरेट करना बेहद आसान है। आपको बस India Post की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘Know Your DIGIPIN’ पोर्टल (dac.indiapost.gov.in/mydigipin/home) पर जाना होगा। यहां आपको अपने डिवाइस की लोकेशन एक्सेस देनी होगी, जो GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) जैसे GPS का उपयोग करके आपकी सटीक लोकेशन कैप्चर करेगा। इसके बाद, सिस्टम स्वचालित रूप से आपके लिए एक 10-अंकीय DIGIPIN जनरेट कर देगा।
पारंपरिक पिनकोड को अलविदा?
क्या DIGIPIN पारंपरिक 6-अंकीय पिनकोड को पूरी तरह से बदल देगा? नहीं, सरकार का कहना है कि DIGIPIN मौजूदा पोस्टल सिस्टम का पूरक है, न कि उसका प्रतिस्थापन। 1972 में शुरू हुआ पिनकोड सिस्टम बड़े भौगोलिक क्षेत्रों को कवर करता है, जबकि डिजिपिन आपके दरवाजे तक की सटीकता प्रदान करता है। यह डिजिटल लेयर डिलीवरी, ई-कॉमर्स, और आपातकालीन सेवाओं को और कुशल बनाएगा।

DIGIPIN के फायदे
- सटीक डिलीवरी: अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म डिजिपिन को अपनाकर डिलीवरी त्रुटियों को कम कर सकते हैं।
- आपातकालीन सेवाएं: एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, और पुलिस को सही स्थान तक तेजी से पहुंचने में मदद मिलेगी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ: जहां पारंपरिक पते अस्पष्ट या अनुपलब्ध हैं, वहां डिजिपिन एक मानकीकृत डिजिटल पता प्रदान करता है।
- डिजिटल इंडिया की ओर कदम: यह सिस्टम नेशनल जियोस्पेशियल पॉलिसी 2022 के तहत डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा देता है।
चुनौतियां और गोपनीयता
कुछ लोगों, जैसे चेन्नई के वरिष्ठ नागरिक पी. विश्वनाथन, ने गोपनीयता को लेकर चिंता जताई है। हालांकि, India Post ने स्पष्ट किया है कि डिजिपिन केवल भौगोलिक निर्देशांक पर आधारित है और कोई निजी जानकारी स्टोर नहीं करता। फिर भी, सिस्टम की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग इसे कितनी तेजी से अपनाते हैं और डेवलपर्स इसे कितने प्रभावी ढंग से इंटीग्रेट करते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
डिजिपिन का रोलआउट चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। अहमदाबाद में पेंशनर्स के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना है। भविष्य में, यह सिस्टम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स, डिजिटल गवर्नेंस, और लॉजिस्टिक्स में क्रांति ला सकता है। India Post ने डेवलपर्स और नागरिकों से फीडबैक मांगा है ताकि सिस्टम को और बेहतर बनाया जा सके।
DIGIPIN भारत के डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल डिलीवरी और आपातकालीन सेवाओं को बेहतर बनाएगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को भी पाटेगा। तो, आज ही अपना डिजिपिन जनरेट करें और इस डिजिटल क्रांति का हिस्सा बनें!
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।