प्रमुख बिंदु-
Dev Deepawali 2025: वाराणसी की पावन धरती पर देव दीपावली का त्योहार हमेशा से ही आस्था और भव्यता का प्रतीक रहा है। इस बार 5 नवंबर को मनाई जाने वाली इस ऐतिहासिक देव दीपावली को उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रांतीय मेला घोषित कर इसे और भी भव्य बनाने का संकल्प लिया है।
काशी के अर्धचंद्राकार घाटों पर 10.10 लाख दीपों से जगमगाहट का अनोखा नजारा दिखेगा, जिसमें एक लाख दीप गाय के गोबर से बने पर्यावरण-अनुकूल होंगे। यह न केवल आध्यात्मिक उल्लास का अवसर होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगा। देव दीपावली से ठीक पहले 1 से 4 नवंबर तक गंगा महोत्सव का आयोजन होगा, जो स्थानीय कलाओं को निखारेगा।

देव दीपावली की भव्य तैयारियां
योगी सरकार देव दीपावली को ऐतिहासिक स्तर पर मनाने के लिए कमर कस चुकी है। संयुक्त निदेशक (पर्यटन) दिनेश कुमार के अनुसार, गंगा के घाटों, तालाबों और कुंडों पर कुल 10.10 लाख दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। इनमें डिजाइनर दीप भी शामिल होंगे, जो घाटों को आधुनिक और पारंपरिक सौंदर्य का अनूठा संगम देंगे।

खास तौर पर एक लाख दीप गाय के गोबर से तैयार किए जा रहे हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना रोशनी बिखेरेंगे। यह कदम ‘ग्रीन देव दीपावली’ की दिशा में महत्वपूर्ण है। घाटों की साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है, ताकि श्रद्धालु और पर्यटक स्वच्छ और सुंदर वातावरण में उत्सव का आनंद लें। इसके अलावा, ऐतिहासिक घाटों को फसाड लाइटिंग और इलेक्ट्रिक लाइट से सजाया जाएगा, जिससे रात का नजारा स्वप्निल लगेगा।

गंगा महोत्सव: सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव
देव दीपावली से पहले 1 से 4 नवंबर तक राजघाट पर चार दिवसीय ‘गंगा महोत्सव’ आयोजित होगा। यह महोत्सव काशी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करेगा। पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक ने बताया कि इसमें स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि ग्रामीण और लोक कलाओं को बढ़ावा मिले। कार्यक्रमों में शास्त्रीय संगीत, लोक नृत्य, नौका दौड़ और शिल्प मेला शामिल होंगे।
चेत सिंह घाट पर लेजर शो का विशेष आयोजन होगा, जिसमें काशी से जुड़ी धार्मिक कथाएं जैसे भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय की कहानी को जीवंत किया जाएगा। यह शो आधुनिक तकनीक से प्राचीन आख्यानों को जोड़ेगा, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। महोत्सव का समापन देव दीपावली पर होगा, जो पूरे आयोजन को चरम पर ले जाएगा।

ग्रीन आतिशबाजी और लेजर शो
इस वर्ष देव दीपावली पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का प्रतीक बनेगी। गंगा पार रेत पर प्रदूषण-रहित ग्रीन आतिशबाजी का शो किया जाएगा, जो रंगीन रोशनी से आकाश को सजाएगा बिना हवा या पानी को दूषित किए। यह आतिशबाजी न केवल दृश्यीय सुख देगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संदेश भी प्रसारित करेगी।

साथ ही, चेत सिंह घाट पर लेजर शो काशी की पौराणिक कथाओं को स्क्रीन पर उतारेगा। गुजरात के रेवा फाउंडेशन से तीन लाख दीप भेजे जा रहे हैं, जिन्हें 200 महिलाओं ने तैयार किया है। यह प्रयास महिलाओं को रोजगार देने के साथ-साथ सांस्कृतिक बंधन को मजबूत करेगा। कुल मिलाकर, ये आकर्षण देव दीपावली को आधुनिक और टिकाऊ बनाएंगे।

होटल-नावें फुल बुक, रिकॉर्ड भीड़ की उम्मीद
देव दीपावली का अनुपम दृश्य देखने के लिए देश-विदेश से लाखों पर्यटक काशी पहुंचेंगे। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी होटल, गेस्ट हाउस, नाव, बाजरा, बोट और क्रूज पूरी तरह बुक हो चुके हैं। एक रात के ठहरने का खर्च 25 से 80 हजार रुपये तक हो सकता है, लेकिन यह भव्यता के लायक साबित होगा।

पर्यटन विभाग ने नाव संचालन के लिए निर्धारित रूट और लाइफ जैकेट की अनिवार्यता सुनिश्चित की है। रिकॉर्ड पर्यटकों की उम्मीद के साथ श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य परिसर भी आकर्षण बढ़ाएगा। गंगा स्नान, महाआरती और दीपदान जैसे अनुष्ठान आस्था को दोगुना करेंगे।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
