NIA ने किया CRPF जवान को गिरफ्तार: पाक को सुरक्षा जानकारी लीक करने के आरोप में सेवा से बर्खास्त

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NIA की जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच — सोशल मीडिया के ज़रिए पाकिस्तानी एजेंटों को भेजी जा रही थीं सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारियाँ।

नई दिल्ली : भारत की शीर्ष सुरक्षा एजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के एक जवान को देशद्रोह और जासूसी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया है। जांच में सामने आया कि यह जवान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के संपर्क में था और भारत की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारियाँ विदेशी एजेंटों को भेज रहा था। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद CRPF ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जवान को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

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गिरफ्तार किए गए जवान की पहचान अमरदीप सिंह के रूप में हुई है। वह पिछले कुछ समय से जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात था, जहाँ उसे सुरक्षा संबंधी गोपनीय जानकारियाँ उपलब्ध थीं। NIA की शुरुआती जांच में पता चला है कि अमरदीप ने सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स जैसे व्हाट्सएप और फेसबुक के ज़रिए पाकिस्तान के एजेंटों से संपर्क बनाए रखा और उन्हें सेना की तैनाती, हथियारों की स्थिति, और गश्त से जुड़ी जानकारियाँ साझा कीं।

बताया जा रहा है कि इसके बदले उसे आर्थिक लाभ भी मिला। NIA ने इस मामले में यूएपीए (UAPA) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) के तहत मामला दर्ज किया है। अधिकारियों के अनुसार, यह गिरफ्तारी समय रहते की गई, जिससे देश की सुरक्षा पर पड़ने वाले गंभीर खतरे को टाला जा सका।

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कौन है यह जवान?

गिरफ्तार किया गया जवान अमरदीप सिंह मूल रूप से पंजाब का निवासी है और पिछले कुछ वर्षों से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) में कार्यरत था। उसकी तैनाती कई संवेदनशील इलाकों, विशेषकर जम्मू-कश्मीर, में हुई थी, जहाँ उसे सेना की गतिविधियों, तैनाती और सुरक्षा रणनीतियों से जुड़ी अहम जानकारियाँ मिलती थीं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अमरदीप एक नियमित जवान की तरह ही काम कर रहा था, लेकिन गुप्त रूप से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संपर्क में था। सोशल मीडिया के ज़रिए वह जानकारी लीक करता था और इसके बदले उसे पैसे और अन्य लाभ दिए जाते थे।

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कैसे हुई जासूसी उजागर?

NIA को कुछ समय से सूचना मिल रही थी कि भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां पाकिस्तान तक पहुंच रही हैं। इसके बाद एजेंसी ने एक गोपनीय जांच शुरू की। जांच में सोशल मीडिया चैट, कॉल रिकॉर्ड और बैंक ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया गया। इसी दौरान अमरदीप सिंह का नाम सामने आया।

NIA का कहना है कि अमरदीप ने नकद और डिजिटल माध्यम से पैसे के बदले जानकारी दी थी। उसके खिलाफ जासूसी और देशद्रोह से जुड़े सख्त यूएपीए (UAPA) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act) के तहत केस दर्ज किया गया है।

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CRPF की सख्त कार्रवाई

जैसे ही NIA ने अमरदीप सिंह की गिरफ्तारी की जानकारी CRPF को दी, बल ने तुरंत सख्त कदम उठाते हुए उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया। CRPF ने स्पष्ट किया कि बल में देश विरोधी गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है और ऐसे मामलों में “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाई जाती है। जवान की भूमिका और संपर्कों की आंतरिक जांच भी शुरू कर दी गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह किसी बड़े जासूसी नेटवर्क का हिस्सा तो नहीं था। यह कार्रवाई CRPF की प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि राष्ट्र सुरक्षा सर्वोपरि है।

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क्या थी लीक की गई जानकारी?

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अमरदीप सिंह ने सेना(CRPF) की तैनाती, गश्ती मार्ग, हथियारों की स्थिति, और सुरक्षा संबंधी ऑपरेशनल प्लान्स जैसी अत्यंत गोपनीय जानकारियाँ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को भेजीं। बताया जा रहा है कि उसने यह जानकारी सोशल मीडिया ऐप्स और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से साझा की। कुछ जानकारियाँ सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रही गतिविधियों से भी जुड़ी थीं, जिनसे देश की सुरक्षा पर गंभीर खतरा हो सकता था। NIA इस बात की गहनता से जांच कर रही है कि कहीं अन्य जवान या सुरक्षाकर्मी भी इस नेटवर्क में शामिल तो नहीं हैं।

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सोशल मीडिया बना बड़ा जरिया

इस जासूसी कांड में सोशल मीडिया एक अहम कड़ी बनकर सामने आया है। NIA की जांच में पाया गया कि आरोपी जवान अमरदीप सिंह ने फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके पाकिस्तान की ISI एजेंटों से संपर्क साधा। एजेंटों ने फर्जी प्रोफाइल बनाकर पहले दोस्ती की और फिर धीरे-धीरे सेना से जुड़ी जानकारी हासिल करनी शुरू कर दी। अमरदीप को बहला-फुसलाकर और पैसे का लालच देकर गोपनीय जानकारियाँ भेजने के लिए प्रेरित किया गया। यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि सोशल मीडिया कैसे सुरक्षा तंत्र में सेंध लगाने का माध्यम बनता जा रहा है।

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आगे क्या?

NIA और CRPF दोनों मिलकर इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं। जांच का दायरा बढ़ाकर अन्य संभावित संदिग्धों की पहचान की जा रही है, ताकि कोई और जासूस या गद्दार पकड़ में आ सके। जवान के मोबाइल फोन, बैंक खाते और संपर्क नेटवर्क की विस्तृत पड़ताल की जा रही है। इसके साथ ही, सुरक्षा एजेंसाएं सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सतर्कता बढ़ाने के लिए नए नियम और कड़े प्रोटोकॉल लागू कर रही हैं। जल्द ही इस मामले में अदालत में अभियोजन प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है, जिससे देश की सुरक्षा प्रणाली और मजबूत होगी

इस घटना ने सुरक्षा बलों को एक बार फिर सतर्क कर दिया है कि देश के भीतर भी खतरे छिपे हो सकते हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने कहा है कि इस तरह के मामलों पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी और देश से गद्दारी करने वालों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।

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