प्रमुख बिंदु-
लखनऊ, 21 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से विस्थापित होकर उत्तर प्रदेश में बसे हिंदू परिवारों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। दशकों से अपने अधिकारों की प्रतीक्षा कर रहे इन परिवारों को अब उनकी जमीन का विधिवत मालिकाना हक मिलेगा। यह निर्णय न केवल इन परिवारों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारत की राष्ट्रीय जिम्मेदारी और मानवीय दृष्टिकोण को भी मजबूत करेगा। मुख्यमंत्री ने इसे केवल पुनर्वास का मामला नहीं, बल्कि उन परिवारों के जीवन संघर्ष को सम्मान देने का अवसर बताया है, जो देश की सीमाओं के पार से शरण लेने आए थे।
60 सालों का इंतज़ार होगा खत्म
1947 के भारत-पाक विभाजन और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद, पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से लाखों हिंदू परिवार भारत में शरण लेने आए थे। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, रामपुर, बरेली और अन्य जिलों में इन परिवारों को बसाया गया था। प्रारंभिक वर्षों में इन्हें ट्रांजिट कैंपों के माध्यम से विभिन्न गांवों में जगह दी गई और कृषि भूमि आवंटित की गई। हालांकि, कानूनी और अभिलेखीय त्रुटियों, जैसे राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज न होना, वन विभाग की भूमि पर कब्जा, या नामांतरण प्रक्रिया में देरी के कारण, इनमें से अधिकांश परिवारों को आज तक वैध भूस्वामित्व अधिकार नहीं मिल सका।
कई परिवारों ने दशकों तक खेती की और स्थायी घर बनाए, लेकिन उनके पास जमीन के कानूनी दस्तावेज नहीं थे। इससे वे संपत्ति बेचने, कर्ज लेने, या अन्य कानूनी अधिकारों का उपयोग करने में असमर्थ थे। कुछ मामलों में, परिवारों ने बिना कानूनी प्रक्रिया के जमीन पर कब्जा किया, जिससे प्रशासनिक समस्याएं बढ़ीं।
CM Yogi ने अधिकारियों को दिए स्पष्ट निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लखनऊ में एक उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि इन विस्थापित परिवारों को विधिसम्मत भूस्वामित्व अधिकार प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा, “यह केवल जमीन के कागज देने की बात नहीं है, बल्कि उन हजारों परिवारों की पीड़ा और संघर्ष को स्वीकार कर उन्हें सम्मान लौटाने का समय है।” सीएम ने अधिकारियों से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इन परिवारों के साथ संवेदनशीलता और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए, क्योंकि यह सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री ने इस प्रयास को सामाजिक न्याय, मानवता और राष्ट्रीय जिम्मेदारी के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि यह कदम उन परिवारों के लिए नई उम्मीद और गरिमामय जीवन का द्वार खोलेगा, जो दशकों से उपेक्षित थे।
कानूनी जटिलताओं का समाधान
अधिकारियों ने बताया कि कई मामलों में पहले गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट के तहत भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन यह अधिनियम 2018 में निरस्त हो चुका है। इस वजह से वर्तमान कानूनी ढांचे में नए विकल्प तलाशने की जरूरत है। कुछ स्थानों पर भूमि वन विभाग या ग्राम सभा के नाम दर्ज है, जिसके कारण स्वामित्व हस्तांतरण में जटिलताएं आईं। इसके अलावा, कुछ गांवों में उन परिवारों का अब कोई अस्तित्व नहीं है, जिन्हें पहले वहां बसाया गया था, जबकि अन्य ने बिना वैध प्रक्रिया के कब्जा किया है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इन सभी जटिलताओं को ध्यान में रखकर पारदर्शी और त्वरित कार्रवाई की जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि जहां गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट लागू था, वहां मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत समाधान निकाला जाए। साथ ही, जिन परिवारों के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं, उनके लिए विशेष अभियान चलाकर दस्तावेजीकरण पूरा किया जाए।
सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय जिम्मेदारी
यह निर्णय उन हजारों परिवारों के लिए एक नई शुरुआत है, जो दशकों से अपनी पहचान और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे। यह कदम न केवल विस्थापित हिंदू परिवारों के लिए राहत लेकर आएगा, बल्कि भारत सरकार की उस नीति को भी मजबूत करेगा, जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक समुदायों के पुनर्वास और नागरिकता के लिए प्रतिबद्ध है।
योगी सरकार का यह निर्णय न केवल उत्तर प्रदेश में बसे विस्थापित परिवारों के लिए, बल्कि पूरे देश में एक मिसाल बन सकता है। यह कदम उन लोगों के लिए आशा की किरण है, जो दशकों से अपने अधिकारों से वंचित थे। सरकार ने यह भी सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और सभी पात्र परिवारों को उनका हक मिले।


राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।