प्रमुख बिंदु-
लाइफस्टाइल-सेहत (Unified Bharat): आज के दौर में बच्चों में डिप्रेशन (Depression) एक गंभीर और तेजी से बढ़ती समस्या बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 10-19 आयु वर्ग के बच्चों में डिप्रेशन के मामले पिछले दशक में 60% तक बढ़े हैं। कोविड-19 महामारी, सोशल मीडिया का दबाव और माता-पिता की व्यस्त जीवनशैली ने इस समस्या को और गहरा किया है। बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं, जिसके कारण डिप्रेशन के लक्षण अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। माता-पिता के लिए यह जरूरी है कि वे इन संकेतों को समय पर पहचानें और अपने बच्चे की मदद करें।
डिप्रेशन के 5 प्रमुख संकेत: इनको नजरअंदाज न करें
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण वयस्कों से भिन्न हो सकते हैं। निम्नलिखित पांच संकेतों पर ध्यान देना जरूरी है:
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा: बच्चा छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है, चिड़चिड़ा रहता है, या बिना कारण रोने लगता है।
- रुचि की कमी: पहले जिन गतिविधियों (जैसे खेल, पढ़ाई, या दोस्तों के साथ समय बिताना) में बच्चा उत्साहित रहता था, अब उनमें रुचि नहीं दिखाता।
- खान-पान में बदलाव: बच्चा या तो बहुत कम खाने लगता है या ज्यादा खाता है। कुछ बच्चे भोजन छोड़ देते हैं, जिससे वजन में बदलाव दिखता है।
- नींद की समस्या: अनिद्रा, बार-बार जागना, या बहुत ज्यादा सोना डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।
- अकेलापन और आत्मघाती विचार: बच्चा अकेले रहना पसंद करता है, खुद से बात करता है, या आत्महत्या जैसे खतरनाक विचार व्यक्त करता है।
हाल के एक अध्ययन में, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने बताया कि 13-17 वर्ष की आयु के 20% बच्चे डिप्रेशन से प्रभावित हो सकते हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करने से बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य और खराब हो सकता है।

डिप्रेशन के कारण: क्या करता है ट्रिगर?
बच्चों में डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- पारिवारिक इतिहास: यदि माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों को Depression की समस्या रही हो, तो बच्चों में इसके होने की संभावना 40% तक बढ़ जाती है।
- तनावपूर्ण माहौल: घर में झगड़े, माता-पिता का ध्यान न देना, या स्कूल में दबाव Depression को बढ़ा सकता है।
- आघात या दुरुपयोग: बचपन में मानसिक या शारीरिक शोषण, जैसे यौन उत्पीड़न, Depression का एक बड़ा कारण हो सकता है।
- आधुनिक जीवनशैली: मोबाइल फोन और हिंसक वीडियो गेम्स का अत्यधिक उपयोग बच्चों को तनाव में डाल सकता है।
- महामारी का प्रभाव: कोविड-19 के दौरान सामाजिक दूरी और स्कूल बंद होने से बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ा।

माता-पिता क्या करें
माता-पिता बच्चों के पहले मार्गदर्शक होते हैं। Depression से जूझ रहे बच्चे की मदद के लिए माता-पिता निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
- समय बिताएं: बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। उनके साथ खेलें, बाहर घुमाने ले जाएं, या उनकी रुचियों में हिस्सा लें।
- खुलकर बात करें: बच्चे को अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें। उनसे उनकी समस्याओं के बारे में पूछें और बिना जज किए उनकी बात सुनें।
- स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दें: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और अच्छी नींद Depression के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- पेशेवर मदद लें: अगर लक्षण गंभीर हों, तो तुरंत किसी मनोचिकित्सक या काउंसलर से संपर्क करें। एंटीडिप्रेसेंट दवाएं और थेरेपी, जैसे कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT), बच्चों में Depression के इलाज में प्रभावी हो सकती हैं।
- स्क्रीन टाइम सीमित करें: मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग को नियंत्रित करें और बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखें।
हाल ही में विशेषज्ञों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे बच्चों के मोबाइल उपयोग को सीमित करें और उनके साथ गहरे भावनात्मक रिश्ते बनाएं। इसके अलावा, रात में कहानियां पढ़ने जैसे सकारात्मक गतिविधियां बच्चों के व्यक्तित्व विकास में मदद कर सकती हैं।

बच्चों में Depression एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य स्थिति है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें और समय रहते उनकी मदद करें। सही समय पर सही कदम उठाकर बच्चे को इस मानसिक स्थिति से बाहर निकाला जा सकता है। अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा Depression का शिकार है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।
यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। यूनिफाइड भारत आपको सलाह देता है किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।


राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।