चिदंबरम बोले- ऑपरेशन ब्लू स्टार था ‘गलत तरीका’, इंदिरा गांधी ने जान देकर चुकाई कीमत!

Chidambaram on Operation Blue Star

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) को ‘गलत तरीका’ बताकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस फैसले की कीमत अपनी जान देकर चुकाई, लेकिन यह निर्णय सिर्फ उनका अकेला नहीं था। यह बयान खुशवंत सिंह लिटरेचर फेस्टिवल में आया, जहां चिदंबरम ने पत्रकार हरिंदर बावेजा की किताब पर चर्चा की। इस बयान से कांग्रेस में भी खलबली मच गई है, जबकि पंजाब की राजनीति में पुरानी यादें ताजा हो गईं।

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चिदंबरम का ब्यान

कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह लिटरेचर फेस्टिवल में पी. चिदंबरम ने खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “स्वर्ण मंदिर को वापस हासिल करने का वह तरीका गलत था। कुछ साल बाद हमने बिना सेना के शामिल हुए सही तरीका अपनाया।” चिदंबरम का इशारा 1988 के ऑपरेशन ब्लैक थंडर की ओर था, जहां पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स ने बिना सेना की मदद के मंदिर से उग्रवादियों को बाहर निकाला।

Operation Blue Star

उन्होंने जोर देकर कहा कि 1984 का फैसला सामूहिक था, जिसमें सेना, पुलिस, खुफिया एजेंसियां और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। “इंदिरा गांधी को अकेले दोष नहीं दिया जा सकता,” चिदंबरम ने स्पष्ट किया। यह बयान बावेजा की किताब ‘They Will Shoot You, Madam’ पर बहस के दौरान आया, जो पंजाब के उग्रवाद के दौर पर आधारित है। चिदंबरम, जो कांग्रेस सरकार में दो बार गृह मंत्री रह चुके हैं, ने किसी सैन्य अधिकारी का अपमान न करने की बात कहते हुए भी अपनी बात रखी। यह बयान पिछले कुछ महीनों में दूसरा बड़ा विवादास्पद कथन है।

ऑपरेशन ब्लू स्टार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

ऑपरेशन ब्लू स्टार जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे उग्रवादियों को निकालने के लिए चलाया गया था। उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके साथी मंदिर परिसर में हथियारों के साथ डेरा डाले हुए थे। भिंडरावाले दमदमी टकसाल के प्रमुख थे और उन्होंने 1970 के दशक के अंत से सिख कट्टरवाद को बढ़ावा दिया। 1978 में निरंकारी समुदाय से झड़पों के बाद हिंसा बढ़ी, जिसमें कई हत्याएं हुईं, जैसे निरंकारी प्रमुख गुरबचन सिंह और पंजाब केसरी के संपादक लाला जगत नारायण की।

Operation Blue Star

1982 में भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया और वहां से उग्रवादी गतिविधियां चलाईं। केंद्र सरकार की कई कोशिशें नाकाम रहने के बाद, इंदिरा गांधी ने सेना को भेजने का फैसला लिया। ऑपरेशन में सेना के कमांडर मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार और लेफ्टिनेंट जनरल रणजीत सिंह दयाल जैसे सिख अधिकारी भी शामिल थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 300-400 नागरिक और 90 सैनिक मारे गए, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि मौतों की संख्या 1000 से ज्यादा थी। ऑपरेशन के बाद इंदिरा गांधी की हत्या हो गई, जिससे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे और हजारों सिख मारे गए।

Operation Blue Star

कांग्रेस में उठा विवाद

चिदंबरम के बयान से कांग्रेस पार्टी में असहजता फैल गई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नेतृत्व इस पर ‘बहुत नाराज’ है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि चिदंबरम पर कई आपराधिक मामले लंबित हैं, शायद दबाव में ऐसा बोला गया हो। कुछ नेताओं का मानना है कि यह बयान पार्टी की पुरानी छवि को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर पंजाब में जहां कांग्रेस की जड़ें मजबूत हैं। राहुल गांधी के मई वाले वीडियो के बाद यह दूसरा मौका है जब 1984 का मुद्दा सुर्खियों में है।

विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। शिरोमणि अकाली दल ने इसे ‘देर से आई सच्चाई’ बताया, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर पुरानी गलतियों को छिपाने का आरोप लगाया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान 1984 के दंगों और उग्रवाद की याद दिलाता है, जो आज भी संवेदनशील विषय है। चिदंबरम ने हालांकि स्पष्ट किया कि उनका इरादा किसी का अपमान नहीं था, बल्कि इतिहास से सीखने की बात थी।

पंजाब की आज की हकीकत

चिदंबरम ने चर्चा में पंजाब की मौजूदा स्थिति पर भी रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि उनके पंजाब दौरों से लगा कि खालिस्तान या अलगाववाद की राजनीतिक मांग अब लगभग खत्म हो चुकी है। “आज की मुख्य समस्या आर्थिक है। पंजाब से सबसे ज्यादा अवैध प्रवासी जाते हैं,” उन्होंने बताया। राज्य में बेरोजगारी, किसानों की परेशानी और नशे की समस्या बड़ी है।

सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब की जीडीपी वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से कम है, और युवा विदेश पलायन कर रहे हैं। राजनीतिक रूप से, आम आदमी पार्टी की सरकार है, लेकिन कांग्रेस और अकाली दल अभी भी मजबूत हैं। चिदंबरम का मानना है कि आर्थिक सुधारों से ही राज्य आगे बढ़ सकता है। यह बयान ऐसे समय आया है जब पंजाब में चुनावी माहौल गर्म हो रहा है, और पुराने मुद्दे नए रंग में उभर सकते हैं।

यह घटना बताती है कि इतिहास के घाव अभी भी हरे हैं, लेकिन सीख लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।

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