प्रमुख बिंदु-
बिजनौर: उत्तर प्रदेश के बिजनौर (Bijnor) जिले में एक दुखद घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। बिजनौर सदर तहसील में तैनात नायब तहसीलदार राजकुमार चौधरी (42) ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना मंगलवार, 2 सितंबर 2025 को उनके सरकारी आवास पर हुई। राजकुमार मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी काम से गए थे और बुधवार सुबह 8 बजे लौटे थे। सुबह साढ़े 10 बजे उन्होंने अपने कमरे में यह आत्मघाती कदम उठाया। उनके परिवार में माता-पिता, पत्नी आंचल और दो छोटी बेटियां हैं। इस घटना ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र को स्तब्ध कर दिया है।
घटना का विवरण
बिजनौर के कलेक्ट्रेट के पीछे स्थित सरकारी आवास में रहने वाले नायब तहसीलदार राजकुमार चौधरी ने बुधवार सुबह अपने कमरे में लाइसेंसी पिस्टल से सिर में गोली मार ली। पुलिस के अनुसार, सुबह साढ़े 10 बजे गोली चलने की आवाज सुनकर परिवार वाले और आसपास के लोग उनके कमरे की ओर दौड़े। कमरा अंदर से बंद था। करीब 15-20 मिनट तक दरवाजा खोलने की कोशिश की गई, लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला तो दरवाजा तोड़ा गया। अंदर राजकुमार खून से लथपथ पड़े थे। उनके सिर से खून बह रहा था और गोली आरपार हो चुकी थी।
परिवार वालों ने तुरंत उन्हें तहसीलदार की गाड़ी से सरकारी अस्पताल पहुंचाया। वहां डॉक्टरों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए मेरठ रेफर किया, लेकिन परिजन उन्हें नजदीकी बीना प्रकाश अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने बताया कि गोली के कारण सिर में गहरा घाव हुआ और कई नसें फट गईं। काफी प्रयासों के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। पुलिस ने घटनास्थल को सील कर दिया और लाइसेंसी पिस्टल को कब्जे में ले लिया।

पिता ने कहा, “वह हमारा सहारा था। अब हमारा क्या होगा?”
राजकुमार के परिवार में उनकी मां, पिता कुंवरपाल, पत्नी आंचल और दो बेटियां हैं। उनके पिता कुंवरपाल ने बताया कि राजकुमार की शादी 2014 में हुई थी और वह कभी किसी तनाव की बात नहीं बताते थे। मंगलवार को वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में किसी मामले में जवाब दाखिल करने गए थे और सुबह लौटे थे। उस समय भी वह सामान्य लग रहे थे।
पिता ने कहा, “वह हमारा सहारा था। अब हमारा क्या होगा? उसने ऐसा क्यों किया, कुछ समझ नहीं आ रहा।” परिवार का कहना है कि सुबह साढ़े 10 बजे गोली की आवाज सुनकर वे दौड़े, लेकिन कमरा बंद होने के कारण तुरंत अंदर नहीं पहुंच सके। इस घटना ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है।

पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही बिजनौर की डीएम जसजीत कौर, एसडीएम सदर ऋतु रानी और एडीएम प्रशासन विनय सिंह मौके पर पहुंचे। पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने बताया कि घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिससे आत्महत्या का सटीक कारण स्पष्ट नहीं हो सका। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और लाइसेंसी पिस्टल को फोरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा गया है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है और परिवार वालों से पूछताछ की जा रही है। एसपी ने कहा कि सभी पहलुओं की गहन जांच की जाएगी ताकि इस दुखद घटना के कारणों का पता लगाया जा सके।
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— Bijnor Police (@bijnorpolice) September 3, 2025
थाना कोतवाली शहर क्षेत्रांतर्गत नायब तहसीलदार को गोली लगने व पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही के संबंध में पुलिस अधीक्षक बिजनौर की बाइट। #UPPolice pic.twitter.com/gcwZq9F8Tg
राजकुमार का पारिवारिक और पेशेवर जीवन
राजकुमार चौधरी मूल रूप से बागपत के बड़ौत के रहने वाले थे। वे बिजनौर की सदर तहसील में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत थे। उनके परिवार के अनुसार, वे अपने काम के प्रति समर्पित थे और कभी किसी पारिवारिक या पेशेवर तनाव की बात सामने नहीं लाए। उनकी दो छोटी बेटियों के साथ वे सुखी पारिवारिक जीवन जी रहे थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनका दौरा एक नियमित सरकारी कार्य के लिए था, और उस दौरान भी कोई असामान्य व्यवहार की बात सामने नहीं आई। परिवार और सहकर्मियों के लिए यह घटना पूरी तरह अप्रत्याशित थी।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
