Bihar News: सत्तारूढ़ जदयू नेता को EOU ने किया गिरफ्तार, घर में 1500 सिम कार्ड, करोड़ो के ठगी का आरोप!

Bihar JDU party leader Harshit Mishra arrested by EOU

क्राइम डेस्क, यूनिफाइड भारत: बिहार (Bihar) के सुपौल जिले में आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने रविवार, 20 जुलाई 2025 को एक सनसनीखेज कार्रवाई करते हुए सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव हर्षित मिश्रा (Harshit Mishra) को गिरफ्तार किया। अमर उजाला की एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार यह कार्रवाई सुपौल के करजाइन थाना क्षेत्र के परमानंदपुर पंचायत के गोसपुर गांव में की गई। EOU की टीम ने शनिवार दोपहर 2 बजे से रविवार सुबह तक लगभग 19 घंटे की लंबी छापेमारी के बाद हर्षित को हिरासत में लिया और उसे पूछताछ के लिए पटना ले जाया गया। इस ऑपरेशन में EOU के साथ सुपौल पुलिस और साइबर थाना के अधिकारी भी शामिल थे।

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छापेमारी में हर्षित के घर से कई संदिग्ध सामान जब्त किए गए, जिनमें सैकड़ों सिम कार्ड, दर्जनों मोबाइल, लैपटॉप, बायोमेट्रिक डिवाइस और नोट गिनने की मशीन शामिल हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि हर्षित के बैंक खाते में 7 करोड़ रुपये जमा थे, जिसे साइबर पुलिस ने पहले ही फ्रीज कर दिया था। यह कार्रवाई साइबर अपराध और करोड़ों रुपये की ठगी से जुड़े एक बड़े रैकेट के खुलासे की ओर इशारा करती है।

साइबर ठगी का काला कारोबार

हर्षित मिश्रा, जो खुद को शेयर बाजार का सफल कारोबारी बताता था, पर आरोप है कि वह साइबर ठगी के एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा था। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हर्षित के तार देश के कई राज्यों और संभवतः विदेशों से भी जुड़े हो सकते हैं। उसके पास से बरामद मोबाइल और लैपटॉप उस बैंक खाते से लिंक थे, जिसमें 7 करोड़ रुपये जमा थे। सूत्रों के अनुसार, हर्षित ने अपने गांव में एक संगठित तरीके से साइबर अपराध को अंजाम देने के लिए उपकरणों और सिम कार्डों का जखीरा जमा किया था।

EOU और सुपौल पुलिस ने इस मामले में ज्यादा जानकारी देने से इनकार किया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि यह ठगी का एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है, जिसमें कई लोग शामिल हो सकते हैं। बिहार में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, EOU ने इस तरह की कार्रवाइयों को तेज कर दिया है। 2024 में बिहार में 301 डिजिटल अरेस्ट के मामले दर्ज किए गए, जिनमें 10 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी।

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हर्षित मिश्रा का बैकग्राउंड

27 वर्षीय हर्षित मिश्रा सुपौल के गोसपुर गांव के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखता है। उसके पिता विकास मिश्रा एक साधारण किसान हैं और दादा घनश्याम मिश्रा पंचायत के मुखिया रह चुके हैं। ग्रामीणों के अनुसार, परिवार के पास पहले 50 बीघा से ज्यादा जमीन थी, जो धीरे-धीरे बिक गई। हर्षित ने पढ़ाई के लिए फारबिसगंज और पटना में समय बिताया। उसने अपने पिता से जमीन बिकवाकर शेयर ट्रेडिंग के नाम पर पैसे लिए थे। तीन साल पहले उसने गांव में कम आना शुरू किया और अपनी छवि एक सफल कारोबारी के रूप में बनाई।

पहले वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जुड़ा था और स्कॉर्पियो गाड़ी पर भाजपा का झंडा लगाकर दो बाउंसरों के साथ घूमता था। उसने सुरक्षा के लिए बॉडीगार्ड की मांग भी की थी, जो खारिज हो गई। तीन महीने पहले ही वह जदयू में शामिल हुआ और कथित तौर पर बड़े नेताओं की नजदीकी के चलते युवा जदयू का प्रदेश सचिव बन गया। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में उसका चाल-चलन बदला हुआ था और वह अक्सर लग्जरी गाड़ियों में दिखता था।

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परिवार ने किया राजनीतिक साजिश का दावा

हर्षित के पिता विकास मिश्रा ने दावा किया कि उनके बेटे को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि हर्षित पिछले तीन-चार साल से गांव में रहकर रियल स्टेट का कारोबार और राजनीति में सक्रिय था। हाल ही में उसे जदयू युवा मोर्चा का प्रदेश सचिव बनाया गया था। विकास का कहना है कि यह कार्रवाई उनके बेटे को बदनाम करने की कोशिश है।

हालांकि, गांव में इस कार्रवाई के बाद सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग दबी जुबान में हर्षित के कारनामों की चर्चा कर रहे हैं। इस मामले ने न केवल सुपौल बल्कि पूरे बिहार में हलचल मचा दी है, क्योंकि एक सत्तारूढ़ दल के नेता का साइबर अपराध से जुड़ना राजनीतिक और सामाजिक रूप से गंभीर सवाल उठाता है। EOU की जांच से इस रैकेट के और खुलासे होने की उम्मीद है, जो बिहार में साइबर अपराध के खिलाफ चल रही मुहिम को और मजबूत कर सकती है।

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