बिहार ने बनाया कीर्तिमान, देश में पहली बार ई-वोटिंग
प्रमुख बिंदु-
पटना, 29 जून 2025: बिहार ने 28 जून 2025 को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश में पहली बार आधारित ई-वोटिंग (E-Voting) की शुरुआत हुई। बिहार में नगर निकाय चुनाव और उपचुनाव में मोबाइल आधारित ई-वोटिंग की शुरुआत की गई। बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने इस नवाचार के साथ डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में एक नया अध्याय लिखा। इस चुनाव में कुल 69.49% मतदान मोबाइल के जरिए हुआ, जिसमें सामान्य चुनाव में 80.60% और उपचुनाव में 58.38% मतदाताओं ने अपने स्मार्टफोन से वोट डाला। वहीं, पारंपरिक ईवीएम के जरिए केवल 54.63% मतदाताओं ने मतदान किया। यह पहल न केवल तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि उन मतदाताओं के लिए वरदान साबित हुई जो मतदान केंद्रों तक पहुंचने में असमर्थ थे।
राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. दीपक प्रसाद ने बताया कि यह प्रणाली विशेष रूप से बुजुर्ग, दिव्यांग, गर्भवती महिलाओं, गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों और प्रवासी मजदूरों के लिए डिज़ाइन की गई थी। बिहार ने यूरोपीय देश एस्टोनिया के बाद दुनिया में दूसरी बार नगर निकाय चुनाव में ई-वोटिंग का सफल प्रयोग किया। इस पहल ने मतदान प्रक्रिया को अधिक समावेशी, सुगम और सुरक्षित बनाया।

देश के पहले ई-वोटर: विभा कुमारी और मुन्ना कुमार
इस ऐतिहासिक पहल में पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल नगर पंचायत की निवासी विभा कुमारी देश की पहली महिला ई-वोटर बनीं। उन्होंने वार्ड नंबर 8 से मोबाइल ऐप के जरिए अपना वोट डाला, जो महिला सशक्तीकरण का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। वहीं, पकड़ीदयाल के ही वार्ड नंबर 1 के निवासी मुन्ना कुमार देश के पहले पुरुष ई-वोटर बने। इस प्रणाली ने न केवल स्थानीय मतदाताओं को, बल्कि दिल्ली, मुंबई और यहां तक कि दुबई व कतर जैसे विदेशों में रहने वाले प्रवासी बिहारियों को भी मतदान का अवसर प्रदान किया।

डॉ. दीपक प्रसाद ने बताया कि कुल 51,155 मतदाताओं ने ई-वोटिंग के लिए पंजीकरण कराया था, जिनमें 26,038 पुरुष और 25,117 महिलाएं शामिल थीं। बक्सर में सबसे अधिक 13,147 मतदाताओं ने पंजीकरण कराया। यह प्रणाली उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी रही, जो शारीरिक या भौगोलिक बाधाओं के कारण मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच पाते।
eVoting SECBHR: बिहार की ई-वोटिंग प्रणाली
बिहार की ई-वोटिंग प्रणाली को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डैक) द्वारा विकसित “eVoting SECBHR” और “SECBIHAR” ऐप्स का उपयोग किया गया। इन ऐप्स में ब्लॉकचेन तकनीक, चेहरा पहचान (फेशियल रिकग्निशन), लाइवनेस डिटेक्शन और ओटीपी आधारित लॉगिन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। यह सुनिश्चित करता है कि वोट पूरी तरह गोपनीय और छेड़छाड़-मुक्त रहे।
मतदाताओं को अपने वोटर आईडी कार्ड नंबर और पंजीकृत मोबाइल नंबर के साथ ऐप पर लॉगिन करना होता था। एक मोबाइल से अधिकतम दो मतदाताओं का पंजीकरण संभव था, और वोटिंग भी उसी नंबर से होनी थी। आयोग ने फर्जी वोटिंग रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए, जैसे अज्ञात लिंक पर क्लिक न करने और ओटीपी साझा न करने की सलाह। इस प्रणाली ने मतदान की निजता और सुरक्षा को सुनिश्चित किया, जिससे मतदाताओं में विश्वास बढ़ा।

डिजिटल लोकतंत्र का नया युग
बिहार की इस पहल ने न केवल मतदान प्रतिशत में वृद्धि की, बल्कि डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में एक नया रास्ता खोला। 489 मतदान केंद्रों पर 538 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने वाले इस चुनाव में कुल 62.41% मतदान दर्ज किया गया। 30 जून को मतगणना के बाद आयोग इस प्रणाली के प्रभाव का आकलन करेगा और भविष्य में इसे विधानसभा चुनावों में लागू करने पर विचार करेगा।
हालांकि, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई कि मोबाइल फोन की पहुंच ग्रामीण महिलाओं और बुजुर्गों तक सीमित हो सकती है। फिर भी, आयोग का मानना है कि यह प्रणाली मतदान प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाएगी। बिहार की इस क्रांतिकारी पहल ने पूरे देश में सराहना बटोरी है और अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल कायम की है।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।