इस गर्मी घमौरियां नहीं करेंगी परेशान, बस अपनाएं ये आसान उपाय!
प्रमुख बिंदु-
लाइफस्टाइल डेस्क (Unified Bharat): गर्मी का मौसम आते ही पसीना, खुजली और घमौरियों (Prickly Heat) की समस्या आम हो जाती है। चिलचिलाती धूप और उमस भरे माहौल में त्वचा पर छोटे-छोटे लाल दाने यानी घमौरियां परेशान कर सकती हैं। लेकिन सही जानकारी और देखभाल के साथ आप इस समस्या से आसानी से बच सकते हैं। आइए, विशेषज्ञों की सलाह और हाल के समाचारों के आधार पर जानते हैं कि गर्मी में घमौरियों से कैसे बचा जाए और त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें।
घमौरियां क्यों होती हैं?
घमौरियां, जिन्हें प्रिकली हीट या मिलिरिया भी कहा जाता है, तब होती हैं जब पसीने की ग्रंथियां (स्वेट ग्लैंड्स) मृत त्वचा कोशिकाओं या गंदगी से अवरुद्ध हो जाती हैं। इससे पसीना त्वचा के अंदर फंस जाता है, जिसके परिणामस्वरूप छोटे लाल दाने, खुजली और जलन होती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक अध्ययन के अनुसार, गर्म और नम वातावरण में यह समस्या अधिक होती है, खासकर बच्चों और उन वयस्कों में जो अधिक पसीना करते हैं या साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देते। गंभीर मामलों में, इन दानों में बैक्टीरियल इंफेक्शन भी हो सकता है, जिससे पस बनने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

घमौरियों से बचाव के टिप्स
घमौरियों से बचने के लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं, जो त्वचा को ठंडक और राहत प्रदान करते हैं:
- साफ-सफाई का ध्यान रखें: दिन में दो बार ठंडे पानी से नहाएं। ठंडा पानी त्वचा के रोमछिद्रों को खोलता है और पसीने को जमा होने से रोकता है। नहाने के बाद त्वचा को सूती कपड़े से अच्छी तरह सुखाएं, क्योंकि गीली त्वचा पर घमौरियां और खुजली की संभावना बढ़ जाती है।
- सूती और ढीले कपड़े पहनें: कॉटन के कपड़े हवा को पार होने देते हैं और पसीने को सोख लेते हैं। टाइट या सिंथेटिक कपड़ों से बचें, क्योंकि ये पसीने को त्वचा पर जमा होने देते हैं, जिससे घमौरियां होती हैं।
- कैलेमाइन लोशन का उपयोग: घमौरियों से राहत के लिए कैलेमाइन लोशन लगाएं। यह त्वचा को ठंडक देता है और खुजली को कम करता है। गंभीर मामलों में, डॉक्टर से परामर्श कर माइल्ड स्टेरॉयड क्रीम या एंटी-हिस्टेमिनिक दवाएं लें।
- चंदन और एलोवेरा का प्रयोग: चंदन पाउडर को गुलाब जल के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं और प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। यह त्वचा को ठंडक देता है और सूजन को कम करता है। एलोवेरा जेल भी जलन और इंफेक्शन को रोकने में प्रभावी है।
- धूप से बचाव: सनस्क्रीन का उपयोग करें, खासकर चेहरे, गर्दन और हाथों पर। यह सनबर्न और त्वचा की जलन को रोकता है।

खान-पान में रखें ध्यान
गर्मियों में खान-पान का विशेष ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि यह न केवल शरीर को हाइड्रेटेड रखता है, बल्कि त्वचा को भी स्वस्थ बनाए रखता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. कपिल त्यागी के अनुसार, गर्मी में पित्त दोष बढ़ता है, इसलिए ठंडी तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- हाइड्रेटिंग फल और सब्जियां: खीरा, तरबूज, खरबूज, संतरा और ककड़ी जैसे फल और सब्जियां खाएं। ये पानी की कमी को पूरा करते हैं और शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं।
- नारियल पानी और छाछ: नारियल पानी इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होता है और डिहाइड्रेशन को रोकता है। छाछ में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं।
- पुदीना और सौंफ: पुदीने का शरबत या चटनी पेट और त्वचा को ठंडक देता है। सौंफ का पानी भी पाचन को बेहतर बनाता है।
- क्या न खाएं: मसालेदार, तला-भुना, और जंक फूड से परहेज करें। लहसुन, कच्चा प्याज, और अत्यधिक कैफीन युक्त पेय पदार्थ शरीर का तापमान बढ़ा सकते हैं।

विशेषज्ञ सलाह और हाल की खबरें
हाल के समाचारों में गर्मी और घमौरियों से बचाव पर जोर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्मी से बचने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें ज्यादा पानी पीने, हल्के कपड़े पहनने और दोपहर 12 से 3 बजे तक धूप में न निकलने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, हेल्थ शॉट्स की पत्रकार अंजलि कुमारी ने बताया कि गर्मियों में त्वचा की देखभाल के लिए नियमित सफाई और हाइड्रेशन जरूरी है।
गर्मियों में घमौरियां और त्वचा संबंधी समस्याएं आम हैं, लेकिन सही देखभाल और खान-पान से इनसे बचा जा सकता है। ठंडे पानी से नहाना, सूती कपड़े पहनना, और हाइड्रेटिंग आहार लेना इस मौसम में त्वचा और शरीर को स्वस्थ रखने के आसान तरीके हैं। गंभीर समस्याओं के लिए त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लें। इन टिप्स को अपनाकर आप गर्मी का आनंद ले सकते हैं, बिना किसी परेशानी के!
यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है। यूनिफाइड भारत आपको सलाह दता है कोई भी उपाय अपनाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।


राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।