प्रमुख बिंदु-
Bareilly Violence: उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा ने पूरे इलाके को दहला दिया। ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर विवाद से शुरू हुई यह घटना एक सुनियोजित साजिश निकली, जिसमें इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा मुख्य आरोपी बने। पुलिस ने खुलासा किया कि नमाज की टाइमिंग बदलकर हजारों लोगों को इकट्ठा किया गया और बंगाल-बिहार से उपद्रवी बुलाए गए। अब तक 81 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने सख्त चेतावनी दी है कि दंगाइयों को बख्शा नहीं जाएगा। यह हिंसा न केवल कानून-व्यवस्था की चुनौती है, बल्कि सामाजिक सद्भाव को तोड़ने की कोशिश भी।
साजिश का खुलासा: नमाज से हिंसा तक का प्लान
पुलिस जांच में सामने आया कि यह हिंसा हफ्तेभर पहले से रची गई थी। 19 सितंबर को तौकीर रजा ने नमाज के बाद तकरीर में यूपी सरकार को खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा, “भारत में मुसलमानों की संख्या नेपाल, बांग्लादेश से ज्यादा है। अगर सड़कों पर उतर आए, तो देश का क्या हाल होगा।” 26 सितंबर को जुमे की नमाज से ठीक पहले मस्जिदों में ऐलान हुआ- सभी 1 बजे इकट्ठा हों। आमतौर पर नमाज 12 से 2:20 बजे के बीच होती है, लेकिन इस बदलाव से करीब 10 हजार लोग नौमहला मस्जिद की ओर बढ़े।
एसएसपी अनुराग आर्या ने बताया कि आईएमसी नेताओं ने वॉट्सऐप ग्रुप्स के जरिए 55 लोगों को मैसेज भेजा, जिन्होंने 1600 से ज्यादा भीड़ जुटाई। एफआईआर में दर्ज है कि तौकीर ने कहा था, “आज शहर का माहौल बिगाड़ना है, चाहे पुलिसवालों की हत्या ही क्यों न करनी पड़े। मुसलमानों की ताकत दिखानी है।” पुलिस को पेट्रोल बम, अवैध तमंचे और चाकू भी बरामद हुए। बाहरी राज्यों से 2000 उपद्रवियों का कनेक्शन मिला, जिनके ठहरने-खाने का इंतजाम मस्जिदों में किया गया था। एजेंसियां अब फंडिंग ट्रेल की जांच कर रही हैं।
मुख्य आरोपी: तौकीर रजा और उसके साथी
मौलाना तौकीर रजा को हिंसा का मास्टरमाइंड बताते हुए पुलिस ने उन्हें 27 सितंबर को गिरफ्तार कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उसके खिलाफ 7 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें षड्यंत्र, भड़कावा और दंगा कराने के आरोप हैं। तौकीर के अलावा आईएमसी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. नफीस खान (झोलाछाप डॉक्टर) को भी पकड़ा गया, जिन्होंने पोस्टर हटाने वाली पुलिस को धमकी दी थी- “तेरे हाथ काट लूंगा।” नफीस ने 2010 दंगों में भी पुलिस चौकी फूंकी थी। आईएमसी महानगर अध्यक्ष अनीस सकलैनी ने पुराने शहर से 2000 लोगों को इकट्ठा किया और श्यामगंज चौराहे पर पेट्रोल बम फेंके।

नदीम खान, शमशाद, साजिद सकलैनी जैसे अन्य नेताओं ने वॉट्सऐप कॉल्स से तौकीर के संपर्क में रहते हुए योजना बनाई। गिरफ्तारों में फरहान रजा खां, युवा प्रभारी नदीम, फरहत जैसे 29 आईएमसी सदस्य शामिल हैं। पुलिस अब अल्तमश, मुनीर इदरीस जैसे 8 फरारों की तलाश में छापेमारी कर रही है। 1 अक्टूबर को सीबी गंज में एनकाउंटर में इदरीस और इकबाल पकड़े गए, जिनके पास चोरी का पुलिस हथियार मिला।

हिंसा के चार चरण: पथराव से फायरिंग तक
हिंसा की शुरुआत खलील तिराहे से हुई, जहां आला हजरत मस्जिद के बाहर ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टरों के साथ भीड़ इकट्ठी हुई। पुलिस ने रोका तो पथराव और फायरिंग शुरू हो गई, जिस पर लाठीचार्ज हुआ। दूसरी घटना नौमहला मस्जिद के पास- डीआईजी अजय कुमार साहनी ने समझाया, लेकिन धक्कामुक्की पर फिर लाठीचार्ज।

तीसरा चरण श्यामगंज चौराहे पर- डीएम अविनाश सिंह और एसएसपी आर्या मौजूद थे, तभी 2000 लोगों ने ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए, पेट्रोल बम फेंके और गोली चलाई। दर्जनभर पुलिसकर्मी घायल हुए। चौथा चरण नवाल्टी चौराहे पर- आसपास से उपद्रवी पहुंचे, आरएएफ और पीएसी ने लाठीचार्ज कर खदेड़ा। कुल 22 पुलिसकर्मी घायल हुए। हिंसा 4 घंटे चली, जिसमें कोतवाली, प्रेमनगर, बारादरी, किला और कैंट थानों के इलाके प्रभावित हुए।

पुलिस का ताबड़तोड़ एक्शन
हिंसा के बाद पुलिस ने तुरंत मोर्चा संभाला। 10 एफआईआर दर्ज हुईं, 200 नामजद और 2500 अज्ञात पर मुकदमे। 60 घंटे इंटरनेट बंद रहा, बाजार 48 घंटे तक ठप। अब तक 81 गिरफ्तार, 39 पूछताछ में।

बुलडोजर एक्शन में तौकीर के करीबी मोहसिन रजा का अवैध चार्जिंग स्टेशन ध्वस्त किया गया, जबकि 8 अवैध संपत्तियां चिह्नित हैं। 3 एनकाउंटर हुए, जिसमें हथियार बरामद। सीएम योगी ने कहा, “धर्म के नाम पर अराजकता फैलाने वालों की डेंटिंग-पेंटिंग जरूरी है।” पड़ोसी जिलों बरेली, मऊ में अलर्ट, फ्लैग मार्च जारी। ऑनलाइन टूलकिट से वीडियो वायरल करने का भी खुलासा हुआ।
सामाजिक सद्भाव की अपील
मुस्लिम संगठनों की प्रतिक्रियाएं बंटीं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने तौकीर की गिरफ्तारी की निंदा की, कहा- “शांतिपूर्ण प्रदर्शन अपराध नहीं।” जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पुलिस कार्रवाई को अन्याय बताया। इदारा-ए-शरिया ने राष्ट्रपति को पत्र लिख रिहाई की मांग की। दूसरी ओर, पुलिस ने साफ कहा- “नबी की शान में गुस्ताखी का बहाना बनाकर हिंसा की साजिश रची गई।” शहर धीरे-धीरे सामान्य हो रहा, लेकिन फुटेज चेक और बैंक अकाउंट जांच जारी।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।