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सीतापुर: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आ गया है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान (Azam Khan) 23 महीने की लंबी कैद के बाद मंगलवार दोपहर सीतापुर जेल से रिहा हो गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत ने उनके रास्ते को साफ कर दिया। जेल के बाहर सैकड़ों समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा, लेकिन रिहाई में जुर्माने की वजह से कुछ घंटों की देरी हुई। आजम खान के बेटों अब्दुल्ला और अदीब ने उन्हें गले लगाया, जबकि मुरादाबाद सांसद रुचि वीरा समेत 400 से ज्यादा कार्यकर्ता मौजूद थे। रिहाई के बाद वे 100 गाड़ियों के काफिले के साथ रामपुर रवाना हो गए।
रिहाई का सफर
आजम खान पर कुल 72 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से ज्यादातर भूमि कब्जा, सरकारी संपत्ति को नुकसान और अन्य आपराधिक मामले शामिल हैं। उनकी गिरफ्तारी अक्टूबर 2023 में रामपुर के क्वालिटी बार भूमि कब्जा मामले से जुड़ी थी, जहां आरोप था कि उन्होंने मंत्री रहते 2013 में यह जमीन अवैध रूप से परिवार के नाम करा ली। मई 2025 में एमपी-एमएलए कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन सितंबर 2025 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत देते हुए सभी 72 मामलों में जमानत मंजूर कर ली।
18 सितंबर को क्वालिटी बार मामले में अंतिम जमानत मिली, जो आखिरी बाधा थी। जेल प्रशासन को रिहाई के सभी परवाने मिल चुके थे, लेकिन एक पुराने मामले में 6 हजार रुपये का जुर्माना बकाया होने से रिहाई सुबह 9 बजे के बजाय दोपहर 12:30 बजे हुई। वकील मोहम्मद खालिद ने कहा, “अब कोई लंबित मामला नहीं बचा, आजम साहब पूरी तरह आजाद हैं।” रामपुर कोर्ट ने 20 सितंबर को पुलिस द्वारा शत्रु संपत्ति मामले में जोड़ी गई नई धाराओं को खारिज कर दिया, जिससे रास्ता साफ हो गया।

जेल के बाहर का नजारा: समर्थकों का जोरदार स्वागत
सीतापुर जेल के बाहर का माहौल किसी उत्सव जैसा था। सुबह से ही सपा कार्यकर्ता, समर्थक और मीडिया की भारी भीड़ जमा हो गई। आजम खान काले चश्मे, काली सदरी और सफेद कुर्ते-पायजामे में कार से निकले। उन्होंने हाथ हिलाकर समर्थकों का अभिवादन किया, लेकिन मीडिया से कोई बात नहीं की। उनके बड़े बेटे अदीब ने कहा, “आज आजम साहब का दिन है, वे हीरो हैं।” छोटे बेटे अब्दुल्ला ने भी भावुक होकर पिता को गले लगाया।
मुरादाबाद से सपा सांसद रुचि वीरा ने कहा, “न्यायपालिका का शुक्रिया, सबकी दुआएं रंग लाईं।” जेल के बाहर 400 से ज्यादा कार्यकर्ता पहुंचे, जिनमें सपा के जिला अध्यक्ष छत्रपाल सिंह यादव और विधायक अनिल कुमार वर्मा भी शामिल थे। रिहाई के बाद काफिला रामपुर की ओर रवाना हुआ, जहां कार्यकर्ताओं ने स्वागत की तैयारियां शुरू कर दीं।
अखिलेश की उम्मीदें, शिवपाल का हमला
आजम खान की रिहाई पर सपा नेताओं ने खुशी जताई। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “कोर्ट को धन्यवाद, हमें यकीन था कि न्याय होगा। आजम साहब पर झूठे केस लगाए गए थे। सपा की सरकार बनेगी तो सभी फर्जी मामले वापस होंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि बीजेपी अब ऐसे झूठे केस न लगाए।
सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा, “आजम को झूठे केसों में फंसाया गया। बीजेपी अपने नेताओं के केस वापस लेती है, हम सत्ता में आकर आजम और दूसरों को न्याय देंगे।”
दूसरी ओर, बसपा में आजम के शामिल होने की अफवाहें हैं। बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा, “अगर आजम बसपा में आएंगे, तो स्वागत है।” हालांकि, सपा ने साफ किया कि आजम पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं और रहेंगे। रुचि वीरा ने कहा, “सपा आजम के साथ खड़ी है।” यह रिहाई यूपी की मुस्लिम राजनीति को नई दिशा दे सकती है, खासकर 2027 चुनावों से पहले।
रामपुर से दिल्ली तक असर
रिहाई के बाद आजम खान रामपुर पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। काफिले में 100 गाड़ियां शामिल थीं, लेकिन पुलिस ने नो-पार्किंग जोन में खड़ी 73 गाड़ियों का चालान काटा। सीतापुर में धारा 163 के तहत पाबंदियां लगाई गईं, जिसके बावजूद समर्थक जमा हो गए। जेल सर्किल ऑफिसर विनायक भोसले ने कहा, “ट्रैफिक जाम से बचने के लिए कार्रवाई जरूरी थी।”

आजम की रिहाई से रामपुर की सियासत गरम हो गई है। वे सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और मुस्लिम वोट बैंक में मजबूत पकड़ रखते हैं। अखिलेश के साथ उनकी केमिस्ट्री मजबूत मानी जाती है, लेकिन जेल के दौरान कुछ मतभेद की खबरें आईं। अब सवाल यह है कि क्या आजम फिर सक्रिय राजनीति में लौटेंगे? उनके वकील ने कहा, “स्वास्थ्य ठीक होने पर वे फैसला लेंगे।” यह घटना बीजेपी के लिए भी चुनौती है, क्योंकि सपा को मजबूती मिली है। रामपुर से लेकर लखनऊ तक सियासी हलचल तेज हो चुकी है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।