प्रमुख बिंदु-
Ayodhya Deepotsav 2025: अयोध्या की पावन धरती पर रविवार को नौवें दीपोत्सव ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। सरयू नदी के किनारे 56 घाटों पर 26 लाख 17 हजार से अधिक दीपकों की जगमगाहट ने न केवल आंखें चौंधिया दीं, बल्कि दो नए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज करा दिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर से दीप प्रज्वलन कर उत्सव का शुभारंभ किया, तो पूरा शहर भक्ति और उत्साह के रंग में रंग गया। यह दीपोत्सव न केवल सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बना, बल्कि विकास और विरासत के संगम को भी दुनिया के सामने पेश किया।
रिकॉर्ड तोड़ते हुए जगमगाई रामनगरी
दीपोत्सव की शाम सरयू तट पर एक अलौकिक दृश्य पैदा हो गया। राम मंदिर के मुख्य द्वार से योगी आदित्यनाथ ने पहला दीप जलाया, तो 33 हजार से अधिक वॉलंटियर्स ने मात्र 15 मिनट में 26 लाख 17 हजार 215 दीपकों को प्रज्वलित कर दिया। यह संख्या पिछले वर्ष के 25 लाख से कहीं अधिक थी, जो उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, अयोध्या प्रशासन और डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की संयुक्त कोशिशों का नतीजा बनी। गिनीज बुक के प्रतिनिधियों ने ड्रोन की मदद से दीपों की गिनती की और तुरंत प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

इसके साथ ही सरयू तट पर दूसरा रिकॉर्ड बना, जब 2128 वेदाचार्यों ने एक साथ महाआरती की। ये वेदपाठी विभिन्न राज्यों से आए थे और उनके श्लोकों की गूंज ने वातावरण को पवित्र बना दिया।

गिनीज अधिकारी निशचल बरोट ने इसे ‘दुनिया का सबसे बड़ा सामूहिक आरती प्रदर्शन’ करार दिया। अयोध्या के कुलपति प्रो. बिजेंद्र सिंह ने बताया कि 28 लाख दीपों की पूर्व तैयारी के बाद यह उपलब्धि संभव हुई, जिसमें 73 हजार लीटर तेल और 55 लाख बातियां इस्तेमाल हुईं। यह रिकॉर्ड न केवल संख्या का, बल्कि सामूहिक समर्पण का भी प्रतीक है।


भव्य आयोजन और सांस्कृतिक झलक
दीपोत्सव की शुरुआत सुबह रामकथा पार्क से हुई, जहां योगी ने भगवान राम का प्रतीकात्मक राज्याभिषेक किया। यहां रामायण के 21 प्रसंगों पर आधारित झांकियां निकाली गईं, जो साकेत महाविद्यालय से शुरू होकर शहर भर घूमीं।

राम की पैड़ी पर पांच देशों (म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया) के कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया। आंध्र प्रदेश के कलाकारों ने मां काली के बोनालु नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

शाम ढलते ही आकाश में 1100 स्वदेशी ड्रोनों का शो चला, जिसमें रामायण के प्रसंग उकेरे गए। राम की आकृति बनाकर आसमान को रोशन किया गया, तो लेजर शो ने सरयू तट को स्वर्ग जैसा बना दिया।

10 मंचों पर लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां चलीं, जिनमें उत्तराखंड की रामलीला ने खासा वाहवाही लूटी। सुरक्षा के मद्देनजर अयोध्या की सीमाएं सील कर दी गईं थीं, और यातायात डायवर्जन से कोई असुविधा न हुई। पर्यटकों की भारी भीड़ के बीच यह आयोजन बिना किसी हादसे के संपन्न हुआ।


योगी का विपक्ष पर जोरदार हमला
दीपोत्सव के मंच से मुख्यमंत्री योगी ने विपक्ष पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, ‘जहां कभी रामभक्तों पर गोलियां चलाई जाती थीं, आज वहां दीप जल रहे हैं।’ कांग्रेस पर निशाना साधते हुए योगी ने याद दिलाया कि राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान उन्होंने राम को ‘मिथक’ कहा था। समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाया कि उन्होंने रामभक्तों का खून बहाया और अयोध्या को फैजाबाद नाम देकर उसकी पहचान मिटाने की कोशिश की।

‘ये वही लोग हैं जो बाबर की कब्र पर सजदा करते हैं, लेकिन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को ठुकरा देते हैं,’ योगी ने कहा। उन्होंने 2017 के पहले दीपोत्सव का जिक्र किया, जब मात्र 1.71 लाख दीप जलाए गए थे, और बताया कि आज करोड़ों दीप जल रहे हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में 1 करोड़ 51 लाख दीपों का उल्लेख करते हुए योगी ने इसे ‘आस्था की विजय’ करार दिया। विपक्ष के ‘फूट डालो, राज करो’ की नीति की आलोचना करते हुए उन्होंने अयोध्या को अब ‘विकास और विरासत का संगम’ बताया। यह बयान राजनीतिक बहस को हवा दे सकता है, लेकिन योगी ने जोर देकर कहा कि सत्य कभी पराजित नहीं होता।

विरासत का नया अध्याय
यह दीपोत्सव अयोध्या के पुनरुद्धार की कहानी कहता है। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहला ऐसा उत्सव होने से इसकी भव्यता और बढ़ गई। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने विशेष प्रयास किए, जिससे विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ।

आयोजन की सफलता से साबित होता है कि अयोध्या अब वैश्विक पटल पर सनातन संस्कृति का प्रतीक बन चुकी है। आने वाले वर्षों में यह उत्सव और भी ऊंचाइयों को छू सकता है, लेकिन फिलहाल, दीपों की यह रोशनी हर दिल को छू गई।
इस लेख में प्रयुक्त सभी तस्वीरें उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की सौजन्य से हैं।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
