प्रमुख बिंदु-
टेक डेस्क: भारत में डिजिटल स्वदेशी की लहर तेज हो रही है। जोहो कॉर्पोरेशन का मैसेजिंग ऐप अराटाई (Arattai) अचानक सुर्खियों में आ गया है। लॉन्च होने के चार साल बाद यह ऐप अब एप स्टोर चार्ट्स में नंबर वन पर पहुंच चुका है, जहां वॉट्सएप और टेलीग्राम को पीछे छोड़ दिया। यूजर्स की प्राइवेसी चिंताओं और सरकार के समर्थन से यह भारत का अपना स्वदेशी मैसेजिंग ऐप बनने की राह में है।
Arattai का आगाज़ और विकास
Arattai को 2021 में चेन्नई स्थित जोहो कॉर्पोरेशन ने लॉन्च किया था। शुरू में यह कंपनी के कर्मचारियों के बीच टेस्टिंग के लिए था, लेकिन वॉट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी विवाद के बाद इसे पब्लिक रिलीज किया गया। जोहो के फाउंडर श्रीधर वेम्बु ने इसे एक साधारण चैट टूल के रूप में डिजाइन किया, जो भारतीय यूजर्स की जरूरतों को ध्यान में रखता है। कंपनी 1996 से सक्रिय है और दुनिया भर में 130 मिलियन से ज्यादा यूजर्स को सर्विस देती है।
Arattai का फोकस कम संसाधनों वाले फोन्स और कमजोर इंटरनेट पर भी सुचारू काम करने पर है, जो ग्रामीण भारत के लिए खासतौर पर उपयोगी है। हाल ही में सितंबर 2025 में इसकी डाउनलोड्स में 100 गुना उछाल आया, जिससे डेली साइन-अप 3 हजार से बढ़कर 3.5 लाख हो गए।

प्राइवेसी और सिक्योरिटी
Arattai की सबसे बड़ी ताकत इसकी प्राइवेसी-फर्स्ट अप्रोच है। कंपनी दावा करती है कि सभी यूजर डेटा भारत में ही स्टोर होता है और थर्ड-पार्टियों के साथ शेयर नहीं किया जाता। वॉइस और वीडियो कॉल्स में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) उपलब्ध है, जिससे कॉन्टेंट सिर्फ सेंडर और रिसीवर तक सीमित रहता है।
हालांकि, टेक्स्ट मैसेजेस के लिए अभी पूर्ण E2EE नहीं है, जो वॉट्सएप से अलग है। जोहो ने कहा है कि वे जल्द ही इसे लागू करेंगे। ऐप ऐड-फ्री है और डेटा को बिजनेस या विज्ञापनों के लिए इस्तेमाल नहीं करता। यह फीचर उन यूजर्स को आकर्षित कर रहा है जो वॉट्सएप पर स्पैम और डेटा शेयरिंग से तंग हैं। साथ ही, मल्टी-डिवाइस सपोर्ट से फोन, डेस्कटॉप और एंड्रॉयड टीवी पर सिंक होता है।

हाइप की वजह: सरकार का समर्थन
Arattai की अचानक लोकप्रियता का श्रेय सरकार के समर्थन को जाता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर ट्वीट कर लोगों से स्वदेशी ऐप्स अपनाने की अपील की, जिसमें Arattai को फ्री, सुरक्षित और आसान बताया। उन्होंने पीएम मोदी के ‘स्वदेशी’ कॉल का हवाला दिया। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी जोहो के टूल्स की तारीफ की। सोशल मीडिया पर यूजर्स इसे ‘स्पाइवेयर-फ्री’ कह रहे हैं, जिससे डाउनलोड्स में भारी उछाल आया। लेकिन सर्वर ओवरलोड से कुछ यूजर्स को OTP डिले और कॉल ग्लिच की शिकायतें मिलीं, जिन्हें जोहो ठीक कर रहा है। यह हाइप ‘मेड इन इंडिया’ सेंटिमेंट से उपजा है, लेकिन रिटेंशन चैलेंज बना रहेगा।
भारतीय टच के साथ मुख्य फीचर्स
Arattai में आधुनिक मैसेजिंग के सभी बेसिक फीचर्स हैं। वन-टू-वन और ग्रुप चैट (1000 सदस्यों तक), वॉइस नोट्स, फोटो-वीडियो-डॉक्यूमेंट शेयरिंग, स्टोरीज और ब्रॉडकास्ट चैनल्स उपलब्ध हैं। यह 16 भाषाओं में सपोर्ट करता है, जिसमें हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं शामिल हैं। लो-बैंडविड्थ कंजम्प्शन से 2G/3G नेटवर्क पर भी चलता है। पॉकेट फीचर से पर्सनल क्लाउड स्टोरेज मिलता है, और मीटिंग्स टूल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को आसान बनाता है। डेस्कटॉप और टीवी सपोर्ट से यह मल्टी-प्लेटफॉर्म है। हालांकि, अभी AI फीचर्स नहीं हैं, लेकिन जोहो इन्हें धीरे-धीरे जोड़ने की योजना बना रहा है।

नाम की उलझन: यूजर्स की सलाह
सोशल मीडिया पर अराटाई की तारीफ हो रही है, लेकिन इसका नाम यूजर्स को अखर रहा है। कई यूजर्स का कहना है कि ‘अराटाई’ उच्चारण में जटिल और याद रखने में मुश्किल है। एक यूजर ने लिखा, “कहना मुश्किल है कि ‘मैं तुम्हें अराटाई करूंगा’ या ‘मुझे तुम्हारा अराटाई नंबर दो’।” लोग इसे कम आकर्षक और गैर-वायरल मानते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एक साधारण, आकर्षक नाम जैसे ‘चैटजी’ या ‘बात’ इसे ज्यादा लोकप्रिय बना सकता था। यूजर्स सुझाव दे रहे हैं कि जोहो को री-ब्रांडिंग पर विचार करना चाहिए, क्योंकि अभी समय है।
मार्किट में मुकाबला
Arattai कई मोर्चों पर अन्य मैसेजिंग ऐप को टक्कर दे रहा है, जैसे प्राइवेसी, लोकल डेटा स्टोरेज और ऐड-फ्री एक्सपीरियंस। लेकिन नेटवर्क इफेक्ट की कमी से दोस्त-रिश्तेदारों को स्विच कराना मुश्किल होगा। जोहो को इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना पड़ेगा ताकि स्केलिंग हो सके। अगर E2EE मैसेजेस और बिजनेस इंटीग्रेशन जोड़े जाएं, तो यह लंबे समय तक टिक सकता है। फिलहाल, यह स्वदेशी टेक की उम्मीद जगाता है, बाकी देशों की तरह भारत का अपना मैसेजिंग ऐप।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।