रथ यात्रा में अप्रत्याशित हादसा
प्रमुख बिंदु-
गुजरात, 27 जून 2025: गुजरात के अहमदाबाद में 27 जून 2025 को भगवान जगन्नाथ की 148वीं रथ यात्रा (Ahmedabad Rath Yatra) का भव्य आयोजन शुरू हुआ। यह यात्रा जमालपुर स्थित 400 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर से सुबह 7 बजे शुरू हुई, लेकिन इस भव्य आयोजन के दौरान एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। सुबह करीब 10 बजे खड़िया क्षेत्र में रथ यात्रा के दौरान शामिल 17-18 हाथियों में से तीन हाथी अचानक बेकाबू हो गए। बताया जा रहा है कि डीजे की तेज आवाज से घबराकर एक हाथी ने भागना शुरू किया, जिसके पीछे दो अन्य हाथी भी उग्र हो गए। इससे भीड़ में अफरातफरी मच गई और भक्त इधर-उधर भागने लगे।
रथ यात्रा में शामिल 17 हाथियों का समूह सबसे आगे चल रहा था। इनमें से एक हाथी ने अचानक नियंत्रण खो दिया और खड़िया की संकरी गलियों में दौड़ने लगा। इसके पीछे दो अन्य हाथी भी बेकाबू हो गए, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। वीडियो फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि हाथी भीड़ के बीच तेजी से भाग रहे थे और लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ रहे थे।

वन विभाग और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
हादसे की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम और स्थानीय पुलिस तुरंत सक्रिय हो गई। वन विभाग के कर्मचारियों ने ट्रैंक्विलाइज़र और अन्य उपकरणों की मदद से बेकाबू हाथियों को काबू में किया। इस प्रक्रिया में लगभग 15 मिनट तक रथ यात्रा को रोकना पड़ा। स्थिति नियंत्रण में आने के बाद तीन हाथियों को यात्रा से हटा दिया गया। अब केवल 14 हाथी ही रथ यात्रा का हिस्सा हैं।
अहमदाबाद पुलिस और वन विभाग की तत्परता ने एक बड़े हादसे को टाल दिया। पुलिस ने भीड़ को सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर स्थिति को संभाला और लोगों से शांत रहने की अपील की। प्रशासन ने डीजे की तेज आवाज को तुरंत बंद करवाया, क्योंकि प्रारंभिक जांच में यही कारण सामने आया कि हाथी तेज संगीत से घबरा गए थे।

रथ यात्रा की भव्यता और सुरक्षा व्यवस्था
अहमदाबाद की यह रथ यात्रा देश की दूसरी सबसे बड़ी जगन्नाथ रथ यात्र ओडिशा के पुरी के बाद मानी जाती है। 400 साल पुराने जमालपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर यह यात्रा 16-18 किलोमीटर का सफर तय करती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ शामिल होते हैं। खलासी समुदाय ने परंपरा के अनुसार रथों को खींचा। इस बार यात्रा में 18 सजे-धजे हाथी, 100 ट्रकों पर सजी झांकियां, 30 अखाड़े और 18 भजन मंडलियां शामिल थीं।

सुबह 4 बजे मंगला आरती में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उनके परिवार ने हिस्सा लिया, जबकि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पारंपरिक ‘पाहिंद विधि’ में सोने की झाड़ू से रथ के मार्ग की प्रतीकात्मक सफाई की। रथ यात्रा रात 8:30 बजे तक मंदिर लौटने की उम्मीद है।

यात्रा की सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। 23,000 से अधिक पुलिसकर्मी, 41 ड्रोन, 152 वॉच टावर और AI-आधारित कैमरे तैनात किए गए थे। इसके बावजूद, हाथियों के बेकाबू होने की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। प्रशासन ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जांच शुरू कर दी है और डीजे की आवाज को नियंत्रित करने पर विशेष ध्यान देने की बात कही है।
आयोजकों ने भक्तों से अपील की है कि वे भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सतर्क रहें और सुरक्षा नियमों का पालन करें। वन विभाग ने भी भविष्य में हाथियों की मानसिक और शारीरिक स्थिति की और सख्त निगरानी का वादा किया है। यह घटना एक बार फिर बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा और सतर्कता की अहमियत को रेखांकित करती है।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।