प्रमुख बिंदु-
आगरा: दिवाली की चमक अभी दूर है, लेकिन आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (Agra-Lucknow Expressway) पर धनतेरस की रात एक अनोखा ‘उत्सव’ मनाया गया। टोल प्लाजा के कर्मचारी अपने बोनस से नाराज होकर हड़ताल पर उतर आए और गेट खोल दिए। नतीजा? हजारों वाहन बिना एक पैसा दिए सरपट दौड़ गए। यह घटना न सिर्फ टोल कंपनी के लिए झटका थी, बल्कि सड़क पर अफरा-तफरी का माहौल भी बना।
घटना की शुरुआत
शनिवार रात करीब 10 बजे फतेहाबाद टोल प्लाजा पर अचानक सब कुछ ठप हो गया। 21 कर्मचारियों का समूह एकजुट होकर धरने पर बैठ गया। उन्होंने नारेबाजी शुरू की और टोल के सभी गेट खोल दिए। बूम बैरियर ऊपर उठा दिए गए, जिससे वाहन चालक बिना रुके निकलने लगे। यह प्लाजा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां रोजाना हजारों गाड़ियां गुजरती हैं। धनतेरस होने की वजह से ट्रैफिक सामान्य दिनों से तीन-चार गुना ज्यादा था। कर्मचारियों का गुस्सा इतना था कि उन्होंने काम का पूरी तरह बहिष्कार कर दिया।
कंपनी श्री साईं एंड दातार ने मार्च 2025 में ही इस प्लाजा का ठेका लिया था। कर्मचारियों का कहना है कि नई कंपनी ने उनके साथ नाइंसाफी की। पिछले साल की पुरानी कंपनी ने उन्हें अच्छा बोनस दिया था, लेकिन इस बार बात कुछ और थी। रात के समय शुरू हुआ यह विरोध जल्दी ही बड़ा रूप ले लिया, और सड़क पर अफरा-तफरी मच गई। चालकों को लगा जैसे त्योहार का तोहफा मिल गया, लेकिन कंपनी के लिए यह बुरा सपना साबित हुआ।

कर्मचारियों की मांग
कर्मचारियों की मुख्य शिकायत दिवाली बोनस को लेकर थी। इस साल कंपनी ने उन्हें सिर्फ 1100 रुपये का बोनस दिया, जबकि पिछले साल 5000 रुपये मिले थे। वे बोले, “हम दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन कंपनी ने धोखा किया। मार्च में ठेका लिया तो क्या, हमारा हक तो बनता है।” कई कर्मचारियों ने बताया कि त्योहारों के समय परिवार की उम्मीदें होती हैं, लेकिन कम बोनस से सब कुछ बर्बाद हो गया।
उन्होंने टोल मैनेजर से कई बार बात की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। गुस्से में आकर उन्होंने गेट खोल दिए। प्रदर्शन के दौरान वे धरने पर बैठे, नारे लगाए और किसी को टोल वसूलने नहीं दिया। यहां तक कि दूसरे टोल प्लाजा से बुलाए गए कर्मचारियों को भी काम करने से रोका। कर्मचारियों के नाम जैसे मिंटू सिंह धाकरे, रामकुमार, केशव सिंह गुर्जर और अन्य शामिल थे, जो अपनी मांगों पर अड़े रहे। उनका कहना था कि जब तक पूरा बोनस नहीं मिलेगा, काम नहीं शुरू होगा। यह विरोध न सिर्फ बोनस पर था, बल्कि कंपनी की नीतियों पर भी सवाल उठा रहा था।

कंपनी और पुलिस की प्रतिक्रिया
टोल प्रबंधन को जैसे ही पता चला, वे परेशान हो गए। प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्णा जुरैल ने कर्मचारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। उन्होंने कहा, “वाहनों की स्पीड इतनी तेज थी कि फास्टैग स्कैन ही नहीं हो सका। लखनऊ से आने वाली गाड़ियां बिना टोल दिए निकल गईं।” कंपनी का तर्क था कि नया ठेका होने से पूरे साल का बोनस नहीं दे सकते। लेकिन कर्मचारी इस बात से सहमत नहीं थे।
प्रबंधन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस टीम मौके पर पहुंची, लेकिन शुरुआत में सिर्फ देखती रही। कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। सीनियर अधिकारी संजय सिखा ने कहा, “हड़ताल खत्म कराने का प्रयास किया जा रहा है।” पुलिस और कंपनी अधिकारियों ने मिलकर बातचीत की, लेकिन कर्मचारी अड़े रहे। दूसरे टोल से कर्मचारी बुलाए गए, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें भी रोक लिया। यह स्थिति करीब दो घंटे तक चली, जिसमें ट्रैफिक मैनेजमेंट एक चुनौती बन गया।

नुकसान का आकलन
इस पूरे हंगामे में कंपनी को भारी नुकसान हुआ। अनुमान है कि 25 से 30 लाख रुपये का राजस्व गंवाया गया। लखनऊ दिशा से करीब 5000 गाड़ियां बिना टोल दिए निकल गईं। एक कार का एक तरफ का टोल 665 रुपये है, जो एक्जिट पॉइंट पर कटता है। तेज स्पीड की वजह से कई फास्टैग काम नहीं कर सके। आखिरकार, सीनियर अफसरों ने कर्मचारियों से बात की और 10 प्रतिशत सैलरी बढ़ाने का वादा किया। तब जाकर वे माने। करीब दो घंटे बाद कामकाज शुरू हुआ।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
