प्रमुख बिंदु-
टेक डेस्क: टेक जगत में एक सनसनीखेज खबर ने हलचल मचा दी है। अरविंद श्रीनिवास के नेतृत्व वाली AI स्टार्टअप पेरप्लेक्सिटी (Perplexity) ने गूगल के सबसे लोकप्रिय वेब ब्राउज़र, क्रोम (Google Chrome) को खरीदने के लिए 34.5 बिलियन डॉलर (लगभग 3.02 लाख करोड़ रुपये) की विशाल बोली लगाई है। यह बोली उस समय आई है जब गूगल को अमेरिका में अविश्वास (एंटीट्रस्ट) मामले में कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके तहत गूगल को क्रोम बेचने के लिए मजबूर किया जा सकता है। Perplexity, जो केवल तीन साल पुरानी कंपनी है, ने इस बोल्ड कदम से पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। आइए, इस खबर को पांच प्रमुख बिंदुओं में समझते हैं।
Perplexity AI का बड़ा दांव
Perplexity AI, जिसकी स्थापना 2022 में हुई, ने कम समय में ही अपनी महत्वाकांक्षा का परिचय दे दिया है। यह कंपनी पहले भी टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार को खरीदने की पेशकश कर चुकी है और अब इसने गूगल क्रोम जैसे विशाल ब्राउज़र को निशाना बनाया है। क्रोम, जिसके दुनिया भर में अनुमानित तीन अरब उपयोगकर्ता हैं, न केवल एक ब्राउज़र है, बल्कि यह इंटरनेट तक पहुंच का सबसे बड़ा द्वार है।
Perplexity का लक्ष्य क्रोम के विशाल उपयोगकर्ता आधार और डेटा का उपयोग करके AI-संचालित सर्च इंजन के क्षेत्र में ओपनएआई और माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गजों से मुकाबला करना है। कंपनी ने हाल ही में अपना AI-आधारित ब्राउज़र “कॉमेट” लॉन्च किया है, जो वेब पेजों का सारांश देने, टैब प्रबंधन और उपयोगकर्ता कार्यों को स्वचालित करने में सक्षम है। क्रोम का अधिग्रहण Perplexity को AI की दौड़ में एक मजबूत स्थिति दे सकता है।

गूगल पर क्रोम की बिक्री का दबाव
गूगल इस समय अमेरिका में एक बड़े अविश्वास मामले का सामना कर रहा है। अगस्त 2024 में, अमेरिकी जिला न्यायाधीश अमित मेहता ने फैसला सुनाया कि गूगल ने ऑनलाइन सर्च में अवैध एकाधिकार बनाए रखा है। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने सुझाव दिया है कि क्रोम की बिक्री इस एकाधिकार को तोड़ने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है, क्योंकि क्रोम गूगल के सर्च इंजन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गूगल ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बनाई है और दावा किया है कि सर्च मार्केट पहले से ही प्रतिस्पर्धी है। गूगल का कहना है कि क्रोम की बिक्री से न केवल उसका व्यवसाय प्रभावित होगा, बल्कि उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और साइबरसुरक्षा पर भी असर पड़ेगा। कंपनी के वकील जॉन श्मिटलिन ने अदालत में कहा कि क्रोम के 80% से अधिक उपयोगकर्ता अमेरिका के बाहर हैं और इसका बिक्री वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालेगी।

34.5 बिलियन डॉलर कहां से आएंगे?
Perplexity की 34.5 बिलियन डॉलर की बोली उसकी अपनी 18 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन से लगभग दोगुनी है। कंपनी ने दावा किया है कि कई बड़े निवेशक इस सौदे को पूरी तरह से वित्तपोषित करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इन निवेशकों के नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
Perplexity ने अब तक निवेशकों से लगभग 1 बिलियन डॉलर जुटाए हैं, जिसमें एनवीडिया और जापान की सॉफ्टबैंक जैसी कंपनियां शामिल हैं। कंपनी ने वादा किया है कि वह क्रोम के ओपन-सोर्स कोड, क्रोमियम, को मुफ्त रखेगी, अगले दो वर्षों में 3 बिलियन डॉलर का निवेश करेगी और क्रोम के डिफॉल्ट सर्च इंजन में कोई बदलाव नहीं करेगी। यह प्रस्ताव उपयोगकर्ता विकल्पों को बनाए रखने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।

OpenAI और Yahoo!: क्रोम की होड़ में कौन-कौन?
Perplexity अकेली कंपनी नहीं है जो क्रोम पर नजर रखे हुए है। इस साल की शुरुआत में, ओपनएआई ने भी क्रोम खरीदने में रुचि दिखाई थी। 2023 में, ओपनएआई ने गूगल से अपने सर्च API तक पहुंच मांगी थी, ताकि इसे चैटजीपीटी में उपयोग किया जा सके, लेकिन गूगल ने प्रतिस्पर्धी कारणों से इसे अस्वीकार कर दिया। इसके अलावा, याहू ने भी क्रोम खरीदने में रुचि दिखाई है।
यह बढ़ती दिलचस्पी दर्शाती है कि क्रोम न केवल एक ब्राउज़र है, बल्कि AI और सर्च टेक्नोलॉजी की दौड़ में एक रणनीतिक संपत्ति है। क्रोम का विशाल उपयोगकर्ता आधार और डेटा AI कंपनियों के लिए सोने की खान की तरह है, जो उनके मॉडल को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

क्या होगा Google Chrome का भविष्य?
Perplexity की बोली ने टेक जगत में हलचल मचा दी है, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह बोली गंभीरता से कम और रणनीतिक बयानबाजी से ज्यादा है। बेयरड इक्विटी रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा है कि 34.5 बिलियन डॉलर की बोली क्रोम की वास्तविक कीमत से काफी कम है और इसे “गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।” कुछ का मानना है कि Perplexity इस बोली के जरिए अन्य कंपनियों को बोली लगाने के लिए उकसाने या अविश्वास मामले में अदालत के फैसले को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है।
गूगल ने स्पष्ट किया है कि वह क्रोम बेचने के पक्ष में नहीं है। कंपनी का कहना है कि क्रोम का बिक्री उपयोगकर्ताओं के लिए नुकसानदायक होगा और नवाचार को बाधित करेगा। दूसरी ओर, Perplexity का दावा है कि वह क्रोम को एक स्वतंत्र और उपयोगकर्ता-केंद्रित ब्राउज़र के रूप में चलाएगी। जज मेहता का अंतिम फैसला, जो इस महीने के अंत तक आने की उम्मीद है, क्रोम के भविष्य को निर्धारित करेगा।

Perplexity की 34.5 बिलियन डॉलर की बोली ने न केवल टेक उद्योग में हलचल मचाई है, बल्कि यह भी दिखाया है कि AI कंपनियां अब बड़े दांव खेलने से नहीं हिचक रही हैं। गूगल के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, क्योंकि वह अविश्वास मामले और प्रतिस्पर्धियों की बढ़ती महत्वाकांक्षा से जूझ रहा है। क्या क्रोम वाकई बिकेगा, या यह बोली केवल एक रणनीतिक चाल है? इसका जवाब आने वाले हफ्तों में मिलेगा, लेकिन यह साफ है कि AI और सर्च की जंग अब और तेज हो गई है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।