प्रमुख बिंदु-
Shibu Soren Death News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन, जिन्हें प्यार से ‘दिशोम गुरु’ कहा जाता था, उनका सोमवार, 4 अगस्त 2025 को नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय शिबू सोरेन लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे और जून 2025 के अंतिम सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। अस्पताल के बयान के अनुसार, उन्हें डेढ़ महीने पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था, जिसके बाद उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। सोमवार सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया।

उनके बेटे और झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस दुखद खबर की पुष्टि की। हेमंत ने लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ…”
आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 4, 2025
आज मैं शून्य हो गया हूँ…
शिबू सोरेन के निधन की खबर ने पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ा दी। उनके समर्थक और झारखंड की जनता उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में याद कर रही है, जिन्होंने आदिवासी समुदाय के अधिकारों और झारखंड की अस्मिता के लिए आजीवन संघर्ष किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
पीएम मोदी ने कहा, “श्री शिबू सोरेन जी एक ज़मीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में ऊंचाइयों को छुआ। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। उनके निधन से दुःख हुआ। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी से बात की और संवेदना व्यक्त की। ॐ शांति।”
झारखंड आंदोलन के जनक और JMM के संस्थापक
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता सोबरन मांझी की हत्या महाजनों द्वारा उनकी जमीन के लिए कर दी गई थी, जिसने शिबू के मन में सामाजिक न्याय और आदिवासी अधिकारों की लड़ाई की ज्वाला जला दी। उन्होंने 1973 में बिनोद बिहारी महतो और एके राय के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की, जिसने बिहार से अलग झारखंड राज्य के आंदोलन को गति दी। उनके नेतृत्व में 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ।
शिबू सोरेन तीन बार (2005, 2008 और 2009 में) झारखंड के मुख्यमंत्री बने, हालांकि वे कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। उन्होंने दुमका लोकसभा सीट से सात बार सांसद के रूप में जीत हासिल की और 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे। उनके नेतृत्व में JMM ने आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक और राजनीतिक चेतना का अभियान चलाया, जिसने झारखंड को एक अलग पहचान दिलाई।

एक विवादास्पद लेकिन प्रेरणादायक जीवन
शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन उतार-चढ़ावों और विवादों से भरा रहा। 1994 में उनके निजी सचिव शशि नाथ झा की हत्या के मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था। इसके अलावा, 1975 के चिरुडीह कांड में भी उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ, जिसके बाद वे भूमिगत हो गए थे। हालांकि, बाद में उन्हें जमानत मिल गई। इन विवादों के बावजूद, उनके समर्थकों के लिए वे हमेशा ‘गुरुजी’ रहे, जिन्होंने आदिवासियों और वंचितों के लिए आवाज उठाई।
उनके परिवार में उनकी पत्नी रूपी किस्कू, दो बेटे हेमंत और बसंत और बेटी अंजली हैं। उनके बड़े बेटे दुर्गा सोरेन का पहले ही निधन हो चुका है। हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, जबकि उनकी बहू कल्पना सोरेन और बेटा बसंत सोरेन विधायक हैं।

झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत
शिबू सोरेन के निधन ने झारखंड की राजनीति में एक बड़ा शून्य छोड़ दिया है। उनके समर्थक उन्हें हर साल 2 फरवरी को दुमका में उनकी एक झलक पाने के लिए जुटते थे। उनकी मृत्यु ने न केवल JMM, बल्कि पूरे झारखंड के लोगों को गहरा आघात पहुंचाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “वे हमेशा जमीन और जनता से जुड़े रहे।” शिबू सोरेन का योगदान झारखंड की पहचान और आदिवासी समाज के सशक्तिकरण में हमेशा याद किया जाएगा।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।