प्रमुख बिंदु-
Vice President Election: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने देश के उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान कर दिया है। यह चुनाव देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, क्योंकि उपराष्ट्रपति न केवल संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) के सभापति के रूप में कार्य करता है, बल्कि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद भी संभालता है। नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त 2025 और मतदान 9 सितंबर 2025 को निर्धारित की गई है।
चुनाव की तारीखें और प्रक्रिया
भारत निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए स्पष्ट और व्यवस्थित समय-सारणी जारी की है। नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत अगस्त के पहले सप्ताह में होगी, जिसमें उम्मीदवारों को अपने नामांकन पत्र दाखिल करने का अवसर मिलेगा। नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त 2025 है, जिसके बाद नामांकन पत्रों की जांच और वापसी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। मतदान 9 सितंबर 2025 को होगा, जिसमें संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे।
उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के तहत एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है, जिसमें गुप्त मतदान की प्रक्रिया अपनाई जाती है। निर्वाचन आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं कि मतदान निष्पक्ष और पारदर्शी हो। मतगणना उसी दिन पूरी होने की संभावना है और परिणाम की घोषणा 9 सितंबर को ही होने की उम्मीद है।

तैयारियां और निर्वाचन आयोग की भूमिका
भारत निर्वाचन आयोग, जो संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्वायत्त रूप से कार्य करता है, इस चुनाव को सुचारु रूप से संपन्न कराने के लिए पहले से ही तैयारियों में जुट गया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने हाल ही में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें मतदान केंद्रों की व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंध और मतदाता सूचियों की सटीकता पर चर्चा हुई।
निर्वाचन अधिकारी, जो आमतौर पर संसद के किसी सदन का महासचिव होता है, नामांकन प्रक्रिया की निगरानी करेगा। उम्मीदवारों को नामांकन पत्र निर्धारित स्थान और समय पर जमा करना होगा और प्रत्येक उम्मीदवार अधिकतम चार नामांकन पत्र दाखिल कर सकता है। इसके अलावा, नामांकन के लिए 15,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी होगी। निर्वाचन आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि मतदान प्रक्रिया में कोई अनियमितता न हो और इसके लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा।

संभावित उम्मीदवार
उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा के साथ ही देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी दलों के बीच उम्मीदवारों के चयन को लेकर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। हालांकि अभी तक किसी भी दल ने आधिकारिक रूप से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ गठबंधन एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार सकता है जो क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन को मजबूत करे। वहीं, विपक्षी दल एकजुट होकर किसी साझा उम्मीदवार को समर्थन देने की रणनीति बना रहे हैं।
पिछले उपराष्ट्रपति चुनावों में देखा गया है कि यह पद अक्सर अनुभवी और सम्मानित नेताओं को दिया जाता है। इस बार भी ऐसी संभावना है कि कोई वरिष्ठ राजनेता या समाजसेवी इस पद के लिए चुना जाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद की राजनीतिक गतिशीलता को और स्पष्ट करेगा।

जनता के लिए इसका महत्व
उपराष्ट्रपति चुनाव भले ही आम जनता द्वारा सीधे नहीं लड़ा जाता, लेकिन यह भारत के लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है। यह प्रक्रिया न केवल संवैधानिक व्यवस्था को दर्शाती है, बल्कि देश की एकता और विविधता को भी उजागर करती है। निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता इस चुनाव को और विश्वसनीय बनाती है।
जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आएगी, देश की नजरें इस बात पर टिकी रहेंगी कि कौन इस प्रतिष्ठित पद को संभालेगा। यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को और सशक्त बनाएगा।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।