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साहिबगंज में NTPC की मालगाड़ियों की टक्कर
प्रमुख बिंदु-
झारखंड के साहिबगंज जिले में मंगलवार (1 अप्रैल 2025) की सुबह एक दुखद रेल हादसा हुआ, जिसमें NTPC की दो मालगाड़ियों की आमने-सामने की टक्कर ने सबको झकझोर कर रख दिया। यह घटना सुबह करीब 3 बजे भोगनाडीह के पास बरहेट पुलिस स्टेशन क्षेत्र में हुई। इस हादसे में दोनों मालगाड़ियों के चालकों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
ये मालगाड़ियाँ नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) द्वारा संचालित थीं और यह दुर्घटना NTPC के निजी रेल ट्रैक पर हुई, जो बिहार के भागलपुर जिले में स्थित कहलगांव सुपर थर्मल पावर स्टेशन को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में फरक्का पावर प्लांट से जोड़ता है। इस ट्रैक को आमतौर पर NTPC ललमटिया एमजीआर के नाम से जाना जाता है।

हादसे का विवरण
जानकारी के अनुसार एक मालगाड़ी कोयले से लदी हुई थी और ललमटिया से फरक्का की ओर जा रही थी, जबकि दूसरी मालगाड़ी खाली थी। दोनों ट्रेनों की टक्कर इतनी जोरदार थी कि इंजन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और आग लग गई। हादसे के बाद साहिबगंज से फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाने की कोशिश की। घायलों को तुरंत बरहेट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। मृतकों में 32 वर्षीय अंबुज महतो (बोकारो, झारखंड) और ज्ञानेश्वर माल (मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल) शामिल हैं, जो दोनों ट्रेनों के लोको पायलट थे। घायलों में जितेंद्र कुमार (32), उदय मंडल (45), राम घोष (55) और टीके नाथ (48) शामिल हैं।

भारतीय रेलवे से क्यों नहीं जुड़ा यह हादसा?
पूर्वी रेलवे के प्रवक्ता कौशिक मित्रा ने साफ किया कि न तो ये ट्रेनें और न ही यह ट्रैक भारतीय रेलवे के अधीन हैं। यह पूरी तरह से NTPC की निजी संपत्ति है, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से इसके पावर प्लांट्स तक कोयला पहुंचाने के लिए किया जाता है। भारतीय रेलवे का इस हादसे से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, मानवीय आधार पर भारतीय रेलवे ने मदद के लिए मालदा डिवीजन से 140 टन की क्रेन उपलब्ध कराई है, ताकि क्षतिग्रस्त ट्रेनों को हटाया जा सके और स्थिति सामान्य की जा सके।

NTPC की भूमिका क्या है?
NTPC एक सरकारी उपक्रम है, जो भारत में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी है। यह अपने पावर प्लांट्स के लिए कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निजी रेल नेटवर्क और मालगाड़ियों का संचालन करता है। इस हादसे में शामिल ट्रैक और ट्रेनें पूरी तरह से NTPC के नियंत्रण में थीं। इसका मतलब है कि ट्रैक का रखरखाव, ट्रेनों का संचालन और चालक दल की जिम्मेदारी भी NTPC की है। हादसे की जांच NTPC के अधिकारी करेंगे, और प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह मानवीय भूल या ट्रैक पॉइंट में गड़बड़ी के कारण हो सकता है। NTPC के असिस्टेंट जनरल मैनेजर शांतनु दास ने कहा कि जांच के बाद ही सही कारणों का पता चल सकेगा।
सरकार की भूमिका क्या है?
क्योंकि NTPC एक सरकारी उपक्रम है, इसलिए सरकार की अप्रत्यक्ष भूमिका इसमें शामिल है। हालांकि, यह हादसा सीधे तौर पर केंद्र या राज्य सरकार के रेल मंत्रालय से जुड़ा नहीं है। सरकार का दायित्व केवल यह सुनिश्चित करना है कि NTPC अपने संचालन में सुरक्षा मानकों का पालन करे। इस घटना के बाद सरकार संभवतः एनटीपीसी से जवाब मांगेगी और सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा कर सकती है, लेकिन यह भारतीय रेलवे या सरकार की सीधी जिम्मेदारी नहीं है।
यह हादसा एनटीपीसी के निजी रेल संचालन में सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाता है। क्या यह मानवीय भूल थी या तकनीकी खामी? इसका जवाब जांच के बाद ही मिलेगा। फिलहाल, राहत और बचाव कार्य जारी है, और प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की जा रही है। इस घटना ने एक बार फिर रेल संचालन में सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।