BHU में शोध छात्रा की संदिग्ध मौत से मचा बवाल, छात्रों ने सुंदरकांड पाठ कर जताया विरोध

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सिटी डेस्क, वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में शोध छात्रा नाजुक भसीन की कथित चिकित्सकीय लापरवाही के कारण हुई मौत ने पूरे परिसर को हिलाकर रख दिया है। इस घटना ने छात्र समुदाय में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है और इसे BHU प्रशासन की गंभीर लापरवाही और चिकित्सा संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार का परिणाम बताया जा रहा है। छात्रों ने नाजुक भसीन को न्याय दिलाने के लिए चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया है, जिसके तहत सोमवार को चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS) परिसर में सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य डायरेक्टर और मेडिकल सुपरिटेंडेंट की ‘बुद्धि-शुद्धि’ के लिए प्रार्थना करना था, साथ ही प्रशासन पर दबाव बनाना था।

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BHU PhD Student Protest

छात्रों का आक्रोश, आंदोलन और सुंदरकांड पाठ

नाजुक भसीन की मृत्यु के बाद छात्रों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। उन्होंने इसे चिकित्सकीय लापरवाही और प्रशासनिक भ्रष्टाचार का परिणाम बताया है। नाजुक को न्याय दिलाने के लिए छात्रों ने चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया है। सोमवार को IMS परिसर में सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य डायरेक्टर और मेडिकल सुपरिटेंडेंट की ‘बुद्धि-शुद्धि’ के लिए प्रार्थना करना था। सुंदरकांड पाठ में मुख्य रूप से दिव्यांशु त्रिपाठी, विपुल सिंह, आशीष तिवारी, पल्लव सुमन, पुनीत मिश्रा, ध्रुव सिंह, यश, शिवम सोनकर, सत्यनारायण, कृष्णा, अमन और अंकित जैसे छात्रों ने हिस्सा लिया।

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छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आंदोलन विश्वविद्यालय परिसर से बाहर शहर और राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जाएगा। छात्रों की मांग है कि नाजुक की स्वास्थ्य डायरी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक किया जाए।

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जांच कमेटी पर सवाल: SIT की मांग

BHU प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है, जिसमें मेडिसिन, फॉरेंसिक और एनेस्थिसिया विभागों के वरिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं, और इसकी अध्यक्षता मेडिसिन विभागाध्यक्ष कर रहे हैं। हालांकि, छात्रों का कहना है कि यह कमेटी निष्पक्ष जांच की गारंटी नहीं दे सकती, क्योंकि यह विश्वविद्यालय के ही अधिकारियों द्वारा बनाई गई है। छात्रों ने इस प्रकरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष जांच दल (SIT) के गठन की मांग की है। उनका मानना है कि बिना बाहरी हस्तक्षेप के इस मामले की सच्चाई सामने नहीं आ सकती।

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इस घटना ने BHU के चिकित्सा विज्ञान संस्थान की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। छात्रों का कहना है कि अगर समय पर उचित इलाज मिला होता, तो शायद नाजुक की जान बचाई जा सकती थी। इस प्रकरण ने विश्वविद्यालय में चिकित्सा सुविधाओं की गुणवत्ता और प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं। छात्रों का यह आंदोलन न केवल नाजुक भसीन को श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए भी एक कदम है।

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