प्रमुख बिंदु-
पटना: 15 जुलाई 2025 को पटना के पुराने सचिवालय में आयोजित बिहार कैबिनेट (Bihar Cabinet) की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 30 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई। यह बैठक आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुई, जिसके कारण इसके फैसलों को राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। इन फैसलों में युवाओं के लिए रोजगार, मतदाता पुनरीक्षण में लगे बीएलओ को प्रोत्साहन और सरकारी सेवाओं में जवाबदेही सुनिश्चित करने जैसे कदम शामिल हैं। नीतीश सरकार ने एक बार फिर विकास और सुशासन के अपने एजेंडे को मजबूत करने की कोशिश की है।

1 करोड़ नौकरियों का लक्ष्य
बिहार कैबिनेट ने 2025-2030 के बीच 1 करोड़ युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार देने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को मंजूरी दी है। यह फैसला नीतीश कुमार के ‘सात निश्चय-2’ कार्यक्रम का विस्तार है, जिसके तहत पहले ही 10 लाख सरकारी नौकरियां और 39 लाख रोजगार सृजित किए जा चुके हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी, जो युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देगा।
इसके लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में 12 सदस्यों वाली एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है, जो सरकार को रोजगार सृजन के लिए परामर्श देगी। यह कदम बिहार में बेरोजगारी की समस्या से निपटने और युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, विपक्षी नेता मायावती ने इसे चुनावी जुमला करार दिया है, लेकिन नीतीश सरकार इसे अपनी उपलब्धियों के रूप में पेश कर रही है।
BLO और सुपरवाइजर को 6000 रुपये का मानदेय
बिहार में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान में लगे 77,895 बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और 8,245 सुपरवाइजरों को उनके वार्षिक मानदेय के अतिरिक्त 6,000 रुपये की एकमुश्त राशि देने का फैसला लिया गया है। इस पहल के लिए 51.68 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। यह कदम बीएलओ और सुपरवाइजरों के अथक प्रयासों को सम्मान देने और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह निर्णय विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट करने और पात्र नागरिकों को जोड़ने के लिए चल रहे अभियान को और मजबूती प्रदान करेगा।
Bihar Cabinet के अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
कैबिनेट ने कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। भागलपुर और मुंगेर में गंगा पथ परियोजना के लिए क्रमशः 4,850 करोड़ और 5,120 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। पटना मेट्रो रेल परियोजना के प्रायोरिटी कॉरिडोर के रखरखाव के लिए 179.37 करोड़ रुपये दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को दिए जाएंगे। पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के विस्तारीकरण के लिए 7,832.29 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई। इसके अलावा, ‘बिहार व्यवसायी दुर्घटना मृत्यु अनुदान योजना 2025’ के तहत व्यापारियों की दुर्घटना में मृत्यु पर उनके आश्रितों को 5 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।
सरकारी सेवाओं में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए चार डॉक्टर, डॉ. चंदन कुमारी (बेगूसराय), डॉ. कृतिका सिंह (लखीसराय), डॉ. निमिषा रानी (जमुई) और डॉ. कृति किरण (लखीसराय) को लापरवाही के आरोप में बर्खास्त किया गया। यह कदम सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया है।
नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार कैबिनेट के इन फैसलों ने विकास और रोजगार के एजेंडे को और मजबूत किया है। 1 करोड़ नौकरियों का लक्ष्य, बीएलओ को प्रोत्साहन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भारी-भरकम निवेश बिहार को प्रगति के पथ पर ले जाने का संकेत देता है। हालांकि, विपक्ष इसे चुनावी स्टंट बता रहा है, लेकिन नीतीश सरकार अपने सुशासन और विकास के दावों को जनता के बीच ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। इन फैसलों का असर बिहार की जनता और आगामी विधानसभा चुनाव पर क्या होगा, यह समय ही बताएगा।


राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।