‘हिन्दी में बात करूं या मराठी बोलूं?’, उज्ज्वल निकम को PM मोदी ने किया फोन, राज्यसभा सदस्य मनोनीत होने पर दी बधाई

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नई दिल्ली, 13 जुलाई 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश के चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है, जिनमें मशहूर सरकारी वकील उज्ज्वल निकम का नाम भी शामिल है। इस मनोनयन की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार देर रात एक आधिकारिक नोटिफिकेशन के माध्यम से की। उज्ज्वल निकम, जिन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमले में आतंकी अजमल कसाब को फांसी की सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, अब संसद के उच्च सदन में अपनी सेवाएं देंगे।

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इस अवसर पर PM नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वल निकम को फोन कर बधाई दी और उनके कानूनी क्षेत्र में योगदान की सराहना की। पीएम मोदी ने मजाकिया अंदाज में पूछा, “हिन्दी में बात करूं या मराठी बोलूं?” जिसके बाद दोनों के बीच हंसी-मजाक के साथ बातचीत हुई। यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है।

PM Modi and Ujjwal Nikam

PM मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वल निकम सहित सभी चार मनोनीत राज्यसभा सदस्यों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए निकम के कानूनी करियर की प्रशंसा की। पीएम ने लिखा, “उज्ज्वल निकम ने अपने पूरे करियर में संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने और आम नागरिकों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करने का कार्य किया है। उनका राज्यसभा में मनोनयन देश के लिए गर्व का विषय है।”

उज्ज्वल निकम ने 26/11 मुंबई हमले के अलावा 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट और गुलशन कुमार हत्याकांड जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों में सरकारी वकील के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। उनकी निष्ठा और कानूनी कुशलता ने उन्हें देश भर में सम्मान दिलाया है। पीएम मोदी ने फोन पर निकम से मराठी में बात की और उन्हें राष्ट्रपति के फैसले के बारे में बताया। निकम ने इस अवसर पर कहा, “मुझे गर्व है कि मुझे यह जिम्मेदारी दी गई है। मैं राष्ट्रपति और पीएम मोदी का आभार व्यक्त करता हूं।”

फोन कॉल की कहानी: हिन्दी या मराठी?

उज्ज्वल निकम ने एक साक्षात्कार में पीएम मोदी के साथ अपनी बातचीत का जिक्र किया, जो हल्के-फुल्के अंदाज में शुरू हुई। निकम ने बताया, “जब पीएम ने मुझसे पूछा कि क्या वे हिन्दी में बात करें या मराठी में, तो हम दोनों हंस पड़े। फिर उन्होंने मराठी में बात शुरू की और मुझे मेरे मनोनयन के बारे में बताया।”

इस बातचीत ने न केवल निकम के मनोनयन को खास बनाया, बल्कि पीएम मोदी की सादगी और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति उनके सम्मान को भी दर्शाया। निकम ने कहा कि पीएम ने पहले भी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उनसे मुलाकात की थी और उनका भरोसा जताया था। इस फोन कॉल ने न केवल निकम को प्रोत्साहित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि देश का नेतृत्व उनके योगदान को कितना महत्व देता है।

उज्ज्वल निकम का अब तक का सफर

उज्ज्वल निकम का नाम भारत के कानूनी क्षेत्र में एक बड़ा नाम है। उन्होंने न केवल आतंकी अजमल कसाब को सजा दिलाई, बल्कि कई अन्य जटिल और संवेदनशील मामलों में भी अपनी विशेषज्ञता दिखाई। 1993 के मुंबई बम विस्फोटों से लेकर 2003 के गुलशन कुमार हत्याकांड तक, निकम ने हमेशा न्याय की लड़ाई को प्राथमिकता दी। उनकी यह उपलब्धियां उन्हें एक सम्मानित व्यक्तित्व बनाती हैं।

राज्यसभा में उनकी नई भूमिका को लेकर उम्मीदें बहुत हैं। निकम ने कहा, “मैं अब तक कोर्ट में न्याय के लिए लड़ता था, लेकिन अब संसद में आम आदमी की सेवा करने का अवसर मिलेगा।” विशेषज्ञों का मानना है कि निकम का कानूनी अनुभव और संवैधानिक समझ संसद में कानून निर्माण और नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण योगदान देगी। उनके मनोनयन को कई लोग एक रणनीतिक कदम के रूप में भी देख रहे हैं, जो कानूनी और सामाजिक मुद्दों पर सरकार की स्थिति को मजबूत करेगा।

Ujjwal Nikam

उज्ज्वल निकम का राज्यसभा के लिए मनोनयन न केवल उनके लिए, बल्कि देश के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षण है। उनके कानूनी करियर की उपलब्धियां और अब संसद में उनकी नई जिम्मेदारी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। पीएम मोदी का व्यक्तिगत रूप से फोन कर बधाई देना और मराठी में बातचीत करना इस बात का प्रतीक है कि क्षेत्रीय भाषाएं और संस्कृति देश के विकास में कितनी महत्वपूर्ण हैं। निकम की यह नई पारी निश्चित रूप से संसद में नए दृष्टिकोण और बदलाव लाएगी।

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