प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली: 13 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) और खंड (3) के तहत चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा (Rajya Sabha) के लिए मनोनीत किया। इनमें मशहूर वकील उज्ज्वल देवराव निकम, केरल के समाजसेवी सी. सदानंदन मास्टर, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और विख्यात इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन शामिल हैं। ये नियुक्तियां उन सीटों को भरने के लिए की गई हैं, जो पूर्व में मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति के कारण खाली हुई थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सभी हस्तियों को बधाई दी और उनके योगदान की सराहना की। आइए, इन चारों व्यक्तियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कसाब को सजा दिलाने वाले उज्ज्वल निकम
उज्ज्वल देवराव निकम भारत के सबसे चर्चित वकीलों में से एक हैं, जिन्होंने कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में अभियोजन पक्ष का नेतृत्व किया। विशेष रूप से, 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मामले में उन्होंने अजमल कसाब को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, 1993 के मुंबई बम धमाकों, शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार (2013) और कोपर्डी बलात्कार व हत्या मामले (2016) में भी उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई। 2016 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया। हाल ही में, निकम ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में हिस्सा लिया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी नियुक्ति पर कहा, “श्री उज्ज्वल निकम का विधि क्षेत्र और हमारे संविधान के प्रति समर्पण अनुकरणीय है। वे न केवल एक सफल वकील रहे हैं, बल्कि महत्वपूर्ण मामलों में न्याय दिलाने में भी अग्रणी रहे हैं। अपने संपूर्ण कानूनी जीवन के दौरान, उन्होंने हमेशा संवैधानिक मूल्यों को मज़बूत करने और आम नागरिकों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए काम किया है। यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। उनके संसदीय जीवन के लिए मेरी शुभकामनाएँ।”
Shri Ujjwal Nikam’s devotion to the legal field and to our Constitution is exemplary. He has not only been a successful lawyer but also been at the forefront of seeking justice in important cases. During his entire legal career, he has always worked to strengthen Constitutional…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 13, 2025
साहस और समाजसेवा का प्रतीक सी. सदानंदन मास्टर
केरल के त्रिशूर जिले के एक हाई स्कूल शिक्षक और समाजसेवी सी. सदानंदन मास्टर ने शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। 1994 में, कन्नूर जिले में उनके आवास के पास कथित तौर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्यों ने उन पर हमला किया, जिसमें उनके दोनों पैर काट दिए गए। उस समय उनकी उम्र मात्र 30 वर्ष थी। इस हिंसक घटना के बावजूद, उन्होंने समाजसेवा और शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता नहीं छोड़ी। वह राष्ट्रीय शिक्षक संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष और ‘नेशनल टीचर्स न्यूज़’ के संपादक भी हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी नियुक्ति पर लिखा, “श्री सी. सदानंदन मास्टर का जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की प्रतिमूर्ति है। हिंसा और धमकी भी राष्ट्र विकास के प्रति उनके जज्बे को डिगा नहीं सकी। एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके प्रयास सराहनीय हैं। युवा सशक्तिकरण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता है। राष्ट्रपति जी द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत होने पर उन्हें बधाई। सांसद के रूप में उनकी भूमिका के लिए शुभकामनाएँ।”
कूटनीति के दिग्गज हर्षवर्धन श्रृंगला
हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के पूर्व विदेश सचिव (2020-2022) और एक अनुभवी राजनयिक हैं। उन्होंने 2019-2020 में अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया और 2019 में टेक्सास में आयोजित “हाउडी मोदी” कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दार्जिलिंग की पहाड़ियों से आने वाले श्रृंगला एक प्रमुख गोरखा चेहरा हैं। उन्होंने 2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता के मुख्य समन्वयक के रूप में भी योगदान दिया। उनकी कूटनीतिक विशेषज्ञता ने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी प्रशंसा करते हुए लिखा, “श्री हर्षवर्धन श्रृंगला जी एक राजनयिक, बुद्धिजीवी और रणनीतिक विचारक के रूप में उत्कृष्ट रहे हैं। वर्षों से, उन्होंने भारत की विदेश नीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और जी-20 की अध्यक्षता में भी योगदान दिया है। मुझे खुशी है कि उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। उनके अद्वितीय दृष्टिकोण संसदीय कार्यवाही को और समृद्ध करेंगे।”
प्रख्यात इतिहासकार और शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी जैन
डॉ. मीनाक्षी जैन एक प्रख्यात इतिहासकार और शिक्षाविद् हैं, जिन्हें भारतीय संस्कृति और इतिहास पर उनके शोध कार्यों के लिए जाना जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के गर्गी कॉलेज में इतिहास पढ़ा चुकीं जैन ने ‘सती’, ‘राम और अयोध्या’, और ‘फ्लाइट ऑफ डीइटीज़’ जैसी पुस्तकों के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक विरासत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। 2020 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उनकी नियुक्ति से संसद में इतिहास, शिक्षा और सांस्कृतिक मुद्दों पर गहन विमर्श को बल मिलेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “यह अत्यंत हर्ष की बात है कि डॉ. मीनाक्षी जैन जी को राष्ट्रपति जी द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। उन्होंने एक विद्वान, शोधकर्ता और इतिहासकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। शिक्षा, साहित्य, इतिहास और राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में उनके कार्यों ने अकादमिक विमर्श को महत्वपूर्ण रूप से समृद्ध किया है। उनके संसदीय कार्यकाल के लिए शुभकामनाएँ।”
राज्यसभा में मनोनीत सदस्यों की भूमिका
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत, राष्ट्रपति 12 व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर सकते हैं, जो साहित्य, विज्ञान, कला और समाजसेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या अनुभव रखते हों। ये मनोनीत सदस्य चुने हुए सांसदों के समान सभी अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त करते हैं, लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते। ये नियुक्तियां सरकार द्वारा सुझाए गए नामों के आधार पर की जाती हैं, ताकि संसद में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की राय और अनुभव से कानून निर्माण को लाभ मिले। वर्तमान में राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, जिनमें 233 सीटें राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों के लिए और 12 सीटें मनोनीत सदस्यों के लिए हैं।
इन चारों हस्तियों की नियुक्ति से राज्यसभा में कानून, शिक्षा, कूटनीति और इतिहास जैसे विविध क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। ये मनोनीत सदस्य अपने अनुभव और विशेषज्ञता के साथ संसद में रचनात्मक योगदान देंगे, जिससे देश की नीतियों और कानूनों को नई दिशा मिलेगी।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।