गर्भवती महिला की सड़क की मांग पर BJP सांसद बोले- ‘डिलीवरी की तारीख बता दो, हम पहले ही उठवा लेंगे’

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डिजिटल डेस्क: मध्य प्रदेश के सीधी जिले में एक गर्भवती महिला लीला साहू की सड़क निर्माण की मांग ने न केवल स्थानीय प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि BJP सांसद राजेश मिश्रा और PWD मंत्री राकेश सिंह के बयानों ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है। लीला साहू ने अपने गांव खड्डी खुर्द में खराब सड़कों की समस्या को उजागर करने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो डाला, जिसमें उन्होंने सांसद से किए गए वादे की याद दिलाई। जवाब में सांसद ने एक बात ऐसी कह दी जिस पर हंगामा मच गया।

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लीला की मांग

सीधी जिले के खड्डी खुर्द गांव की निवासी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर लीला साहू ने पिछले साल 1 जुलाई 2024 को एक वीडियो के जरिए अपने गांव की 10 किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क की बदहाल स्थिति को उजागर किया था। इस सड़क की वजह से बारिश में कीचड़ और गड्ढों के कारण वाहनों का आना-जाना मुश्किल हो जाता है, खासकर गर्भवती महिलाओं और मरीजों के लिए। लीला, जो खुद नौवें महीने की गर्भवती हैं, उन्होंने 3 जुलाई 2025 को एक और वीडियो बनाया, जिसमें उन्होंने सांसद राजेश मिश्रा पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। वीडियो में लीला कहती हैं,

ओ सांसद जी, जब आप में हिम्मत नहीं थी इस रोड को बनवाने की तो आपने मुझसे झूठा वादा क्यों किया? आप पहले ही बता देते कि आप में हिम्मत नहीं है, तो मैं आप से बड़े नेताओं से मिलती. नितिन गडकरी से मिलती या नरेंद्र मोदी से मिलती. किसी से मिलती, अर्जी देती तो सुनवाई होती।  आपके बस का नहीं था तो आपने क्यों वादा किया? 
जैसे किसान ताकता रहता है कि बारिश होगी तो रोपाई करेंगे, वैसे ही मैं ताकती रह गई आप रोड स्वीकृत कराएंगे, तो रोड बनेगी। मैं सालभर ताकती ही रह गई कि सड़क स्वीकृत होगी, बनेगी।
मैं आपको बता देना चाहती हूं कि मैं गर्भवती हूं। 9वां महीना चल रहा है। कुछ भी करके सड़क बनवाइए। किसी भी समय हमको जरूरत पड़ गई तो हम क्या करेंगे? एंबुलेंस यहां तक ना आ पाई तो सबके जिम्मेदार आप होगे, मैं बता दे रही हूं।

लीला ने चेतावनी दी कि अगर सड़क न बनी और किसी गर्भवती महिला को नुकसान हुआ, तो इसके लिए सांसद जिम्मेदार होंगे। उनके साथ वीडियो में एक अन्य गर्भवती महिला भी थी, जिसने प्रसव के समय एंबुलेंस की पहुंच न होने की चिंता जताई।

सांसद और मंत्री के बयान

लीला के वायरल वीडियो के पर पत्रकारों द्वार बीजेपी सांसद राजेश मिश्रा से सवाल करने पर उन्होंने जो कहा इससे सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। उन्होंने कहा,

हमारे पास एंबुलेंस है। हमारे पास सुविधाएं हैं. हमारे पास वहां आशा कार्यकर्ता हैं। हम व्यवस्था करेंगे, चिंता की क्या बात है। अस्पताल में भर्ती हो जाए आकर, अगर ऐसी कोई बात है तो। डिलिवरी की EDT होती है यानी संभावित तारीख होती है। उसके हम एक हफ्ते पहले उठवा लेंगे। इच्छा है तो यहां आकर भर्ती हो जाएं। हम सब सुविधाएं देंगे। हमारी सरकार भोजन-पानी भी देती है। इसलिए मुझे लगता है कि इस तरह की बात करना उचित नहीं है। सड़क मैं नहीं बनाता हूं, इंजीनियर सर्वे करता है, कोई ठेकेदार बनाता है। तो ऐसे में दो-तीन साल तो लग ही जाते हैं।

मिश्रा ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर वीडियो बनाना प्रसिद्धि पाने का तरीका है और हर गांव से ऐसी मांग उठ सकती है। उन्होंने सड़क निर्माण में देरी का ठीकरा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर फोड़ा, राजेश मिश्रा ने कहा- “मुझसे पहले जितने भी नेता थे, कांग्रेस के नेता थे, उन्होंने क्या किया सड़क के लिए?” लेकिन यह तर्क उनकी पार्टी पर ही उल्टा पड़ गया क्योंकि सीधी लोकसभा सीट पिछले 27 साल से बीजेपी के पास है।

वहीं, पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने भी इस पुरे विवाद पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा,

लीला साहू का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आ गया. ऐसे तो ना जाने कितने लोग हैं जिनकी डिमांड हैं. तो आपको क्या लगता है कि PWD के पास इतना पैसा होता है, या किसी भी विभाग के पास इतना पैसा होता कि कोई एक पोस्ट डाल दे और हम सड़क बनाने के लिए डंपर लेकर पहुंच जाएंगे. सीमेंट-कॉन्क्रीट का प्लांट लेकर पहुंच जाएंगे. ये संभव नहीं है.

उन्होंने स्वीकार किया कि लोगों को परेशानी होती है, उन्होंने कहा सड़क बनाने की एक प्रक्रिया है। PWD कौन सी सड़क बनाए, कौन सी नहीं बनाएगा, यह भी संविधान के तहत तय किया गया है। उन्होंने कहा कि वो इस बात से इनकार नहीं करते कि लोगों को परेशानियां नहीं होंगी, लेकिन विभाग की भी अपनी सीमाएं होती हैं।

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जनता का गुस्सा

लीला साहू के वीडियो ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया। कई यूजर्स ने सांसद के बयानों को “संवेदनहीन” और “सत्ता का घमंड” करार दिया। कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। कांग्रेस नेता सज्जन वर्मा ने कहा, “बीजेपी ने मध्य प्रदेश की सड़कों को अमेरिका से बेहतर बताया था, लेकिन अब गड्ढों को भाग्य बता रहे हैं। जनता वोटों से जवाब देगी।”

हालांकि, लीला साहू और गांव की अन्य गर्भवती महिलाओं के लिए समय कीमती है। हाल ही में एक गर्भवती महिला ममता साहू की समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण मृत्यु ने इस मुद्दे की गंभीरता को और उजागर किया है। सरकार और प्रशासन को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि खड्डी खुर्द जैसे गांवों में मूलभूत सुविधाएं पहुंच सकें और ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।

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