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पूर्णिया, 7 जुलाई 2025: बिहार (Bihar) के पूर्णिया जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में राजीगंज पंचायत के टेटगामा वार्ड नंबर 10 में रविवार, 6 जुलाई 2025 की रात एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। अंधविश्वास के चलते एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई। मृतकों में बाबू लाल उरांव, उनकी पत्नी और तीन अन्य परिजन शामिल हैं। ग्रामीणों का दावा है कि बाबू लाल की पत्नी पर कुछ लोगों को डायन होने का शक था, जिसके चलते इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास और सामाजिक जहालत की गहरी जड़ों को उजागर करती है।
घटना की एकमात्र चश्मदीद, बाबू लाल की मासूम बेटी, ने इस भयावह वारदात को अपनी आंखों से देखा। वह किसी तरह अपनी जान बचाकर अपनी नानी के घर पहुंची और उसने वहां पूरी घटना का विवरण दिया। बच्ची की सूचना के आधार पर परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। इस घटना ने पूरे टेटगामा गांव में सन्नाटा फैला दिया है, और आसपास के कई घरों में ताले लटक गए हैं, क्योंकि संदिग्ध लोग गांव छोड़कर फरार हो गए हैं।

पुलिस कर रही गहराई से जांच
घटना की सूचना मिलते ही मुफस्सिल थाना पुलिस समेत आसपास के तीन थानों की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। पूर्णिया की पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्वीटी सहरावत ने भी घटनास्थल का दौरा किया और चश्मदीद बच्ची से पूछताछ की। मुफस्सिल थानाध्यक्ष उत्तम कुमार ने बताया कि इस मामले में तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और उनसे सख्ती से पूछताछ की जा रही है। हालांकि, पुलिस अभी इस मामले में ज्यादा जानकारी देने से बच रही है, क्योंकि जांच प्रारंभिक चरण में है।
पुलिस ने घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए हैं और फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे हैं। एसपी स्वीटी सहरावत ने कहा, “हम इस मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं। अंधविश्वास से प्रेरित इस तरह की घटनाएं समाज के लिए कलंक हैं। दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।” पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस हत्याकांड में और कितने लोग शामिल थे और क्या यह सुनियोजित साजिश थी।

गांव में सन्नाटा और डर का माहौल
घटना के बाद टेटगामा गांव में मातम और डर का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाबू लाल उरांव का परिवार सामान्य जीवन जीता था, लेकिन कुछ ग्रामीणों को उनकी पत्नी पर डायन होने का शक था। इस तरह के अंधविश्वास के चलते पहले भी बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में कई हत्याएं हो चुकी हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, रविवार रात करीब 250 लोगों की भीड़ ने बाबू लाल के घर को घेर लिया और परिवार पर हमला कर दिया। कुछ सूत्रों का दावा है कि परिवार को पीट-पीटकर और संभवतः जला दिया गया, हालांकि पुलिस ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। गांव के ज्यादातर लोग अब या तो चुप्पी साधे हुए हैं या फरार हैं, जिससे जांच में मुश्किलें आ रही हैं।

यह घटना बिहार में अंधविश्वास से जुड़े अपराधों की एक और कड़ी है। हाल के वर्षों में, डायन-बिसाही के आरोप में कई निर्दोष लोगों, खासकर महिलाओं, को निशाना बनाया गया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं।
इस मामले ने पूरे बिहार में सनसनी फैला दी है और लोग सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। सामाजिक संगठनों ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने और कठोर कानूनी कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि 21वीं सदी में भी हमारा समाज अंधविश्वास की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।