क्या कोरोना वैक्सीन से हो रही हैं युवाओं की अचानक मौतें? ICMR-AIIMS की रिपोर्ट ने खोला बड़ा राज!

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अफवाहों का बाजार गर्म, लेकिन सच क्या है?

नई दिल्ली, 02 जुलाई 2025 (ICMR-AIIMS Report): पिछले कुछ समय से भारत में कोविड-19 वैक्सीन को लेकर कई तरह की अफवाहें और भ्रांतियां फैल रही हैं। खासकर यह दावा किया जा रहा था कि वैक्सीन के कारण युवाओं में अचानक हार्ट अटैक और मौतें हो रही हैं। कर्नाटक के हसन जिले में एक महीने में 20 से अधिक युवाओं की हार्ट अटैक से मौत की खबरों ने इस चर्चा को और हवा दी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी वैक्सीन की मंजूरी और वितरण पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद यह मुद्दा और गर्म हो गया।

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लेकिन अब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की एक विस्तृत स्टडी ने इन सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। यह स्टडी साफ तौर पर कहती है कि कोविड-19 वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई संबंध नहीं है।

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क्या कहती ही ICMR-AIIMS की स्टडी

ICMR और AIIMS ने 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में मई से अगस्त 2023 तक एक व्यापक अध्ययन किया। इस स्टडी में 18 से 45 साल की उम्र के उन लोगों का विश्लेषण किया गया, जो बाहरी तौर पर स्वस्थ थे, लेकिन अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच अचानक उनकी मृत्यु हो गई। स्टडी में 729 अचानक मौतों के मामलों और 2,916 अन्य मामलों की जांच की गई। निष्कर्ष स्पष्ट था: कोविड-19 वैक्सीन ने इन मौतों का जोखिम नहीं बढ़ाया। बल्कि, स्टडी में पाया गया कि वैक्सीन की एक या दो खुराक लेने वालों में अचानक मौत की संभावना कम हो जाती है।

वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि अचानक मौतों के पीछे कई अन्य कारण हैं, जैसे खराब जीवनशैली, आनुवंशिक समस्याएं, पहले से मौजूद बीमारियां और कोविड के बाद की जटिलताएं। उदाहरण के लिए, अत्यधिक शराब का सेवन, नशीली दवाओं का उपयोग और मृत्यु से पहले 48 घंटों में अत्यधिक शारीरिक गतिविधि (जैसे जिम में भारी व्यायाम) को जोखिम बढ़ाने वाले कारको के रूप में चिह्नित किया गया।

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स्वास्थ्य मंत्रालय का बयान: वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी ICMR और AIIMS की स्टडी का समर्थन करते हुए कहा है कि कोविड-19 वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है। मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि गंभीर साइड इफेक्ट्स के मामले बेहद दुर्लभ हैं और वैक्सीन ने महामारी के दौरान लाखों लोगों की जान बचाई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ‘एडवर्स इवेंट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन’ (AEFI) नामक एक मजबूत निगरानी प्रणाली की भी जानकारी दी, जो वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर नजर रखती है। वैक्सीनेशन सेंटरों पर एनाफिलेक्सिस किट उपलब्ध होती हैं और टीकाकरण के बाद 30 मिनट तक व्यक्ति को निगरानी में रखा जाता है।

मंत्रालय ने यह भी चेतावनी दी कि वैक्सीन को अचानक मृत्यु से जोड़ने वाले दावे न केवल गलत हैं, बल्कि जनस्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं। ऐसे बयानों से वैक्सीन के प्रति लोगों में हिचकिचाहट बढ़ सकती है, जिससे महामारी से लड़ने में मिली सफलता खतरे में पड़ सकती है।

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अफवाहों पर नहीं, विज्ञान पर भरोसा करें

ICMR, AIIMS और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) की स्टडीज ने एक बार फिर साबित किया है कि कोविड-19 वैक्सीन न केवल सुरक्षित है, बल्कि यह जीवन रक्षक भी है। वैज्ञानिकों ने साफ कहा है कि अचानक मौतों के लिए वैक्सीन को जिम्मेदार ठहराना गलत और भ्रामक है। इसके बजाय, लोगों को अपनी जीवनशैली में सुधार लाने, तनाव कम करने और पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज कराने पर ध्यान देना चाहिए।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बयान के बाद भले ही विवाद बढ़ा हो, लेकिन केंद्र सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया है कि वैक्सीन को लेकर फैल रही अफवाहें बेबुनियाद हैं। जनता से अपील है कि वे सोशल मीडिया पर चल रही गलत जानकारियों पर ध्यान न दें और वैज्ञानिक तथ्यों पर भरोसा करें। कोविड-19 वैक्सीन ने भारत में करोड़ों लोगों की जान बचाई है और यह देश के स्वास्थ्य तंत्र की एक बड़ी उपलब्धि है।  

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