यूपी पंचायत चुनाव 2026 की ताज़ा अपडेट
प्रमुख बिंदु-
लखनऊ, 28 जून 2025: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 (UP Panchayat Chunav 2026) की तैयारियां जोरों पर हैं। राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से 28 जून 2025 से शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत जनसंख्या और प्रशासनिक आवश्यकताओं के आधार पर ग्राम पंचायतों की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया जाएगा। इस बदलाव से प्रदेश की 2,300 से अधिक ग्राम पंचायतें प्रभावित होंगी, जिनमें से कई को शहरी क्षेत्रों में शामिल किया जाएगा या अन्य पंचायतों में विलय कर दिया जाएगा। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति देने और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझें।
परिसीमन की प्रक्रिया और समय-सीमा
पंचायती राज विभाग और ग्राम्य विकास विभाग ने पंचायत चुनाव 2026 के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। परिसीमन की प्रक्रिया 28 जून से 30 जून 2025 तक जनसंख्या निर्धारण के साथ शुरू होगी। इस दौरान ग्राम पंचायतों की जनसंख्या का आकलन किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक पंचायत में न्यूनतम 1,000 की आबादी हो। 1 जुलाई से 3 जुलाई तक प्रस्तावित वार्डों की सूची तैयार की जाएगी, जिसका प्रकाशन किया जाएगा। इसके बाद, 4 जुलाई से 8 जुलाई तक जनता से आपत्तियां मांगी जाएंगी। इन आपत्तियों का निस्तारण 9 से 11 जुलाई तक होगा और अंतिम सूची 12 से 14 जुलाई 2025 तक जारी कर दी जाएगी।
शासन ने सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को निर्देश दिया है कि वे पुनर्गठन के प्रस्ताव 8 जुलाई तक पंचायती राज निदेशालय को भेजें। अंतिम सूची 16 जुलाई तक निदेशालय को उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि आगे की प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके। यह समयबद्ध दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि 2026 में अप्रैल या मई में होने वाले पंचायत चुनाव बिना किसी देरी के संपन्न हों।

नगर पंचायत और नगर पालिका विस्तार
पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में कई ग्राम पंचायतों और राजस्व ग्रामों को नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, या नगर निगम क्षेत्रों में शामिल किया गया है। इस शहरीकरण के कारण कई ग्राम पंचायतों की जनसंख्या 1,000 से कम हो गई है। ऐसी पंचायतों को या तो शहरी क्षेत्रों में शामिल किया जाएगा या निकटवर्ती अन्य ग्राम पंचायतों में विलय किया जाएगा। इसके अलावा, जनसंख्या वृद्धि के कारण कुछ बड़े ग्राम पंचायतों को विभाजित कर नई पंचायतें बनाई जाएंगी।
पंचायती राज विभाग के अनुसार, इस बार 500 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया जाएगा और 75 नए ब्लॉक बनाए जाएंगे। इस पुनर्गठन से कुल 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव होंगे, जो पहले की तुलना में 504 कम हैं। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने और प्रशासनिक इकाइयों को तर्कसंगत करने के लिए उठाया गया है।

पंचायत चुनाव की तैयारियां और आरक्षण नीति
पंचायत चुनाव 2026 में लगभग 57,695 ग्राम प्रधानों, 826 ब्लॉक प्रमुखों और 75 जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव होगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने मतपेटियों की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें 1,27,863 मतपेटियां खरीदी जाएंगी। इसके साथ ही, जुलाई 2025 से मतदाता सूची के पुनरीक्षण का अभियान शुरू होगा, जो दिसंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है।
आरक्षण नीति में भी बदलाव होगा। 2021 के चुनाव में 2015 को आधार वर्ष माना गया था और इस बार भी उसी आधार वर्ष का पालन किया जा सकता है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा, जिसमें अधिकतम 50% सीटें आरक्षित होंगी। यह प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्रों में समावेशी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी।

ग्रामीण विकास को मिलेगा बढ़ावा
यह परिसीमन और पुनर्गठन न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाएगा। नई पंचायतों और ब्लॉकों के गठन से गांवों में विकास कार्यों को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकेगा। साथ ही, यह प्रक्रिया 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जाता है।

गांवों में संभावित उम्मीदवारों ने अभी से अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है, और लोग अपने पसंदीदा उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। इस परिसीमन से ग्रामीण क्षेत्रों की राजनीतिक और प्रशासनिक तस्वीर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।