योगी सरकार का बड़ा फैसला: OBC आयोग को मिली मंजूरी
प्रमुख बिंदु-
लखनऊ, 22 जून 2025: उत्तर प्रदेश में 2026 में होने वाले पंचायत चुनावों (U.P. Panchayat Chunav) की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए योगी सरकार ने आरक्षण को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। शुक्रवार, 20 जून 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन को मंजूरी दी गई। यह आयोग पंचायत चुनावों में OBC आरक्षण को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से लागू करने के लिए सिफारिशें देगा, ताकि किसी भी तरह का विवाद या भ्रम न हो।
OBC आयोग का गठन: पारदर्शिता की ओर कदम
पंचायती राज विभाग के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इस बार 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव कराए जाएंगे। इनमें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, और जिला पंचायत सदस्य जैसे महत्वपूर्ण पदों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस बार OBC आरक्षण को निर्धारित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा। यह आयोग ग्राम पंचायतों के परिसीमन और रोटेशन के आधार पर आरक्षण की सिफारिश करेगा, जिससे निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
पिछले नगर निकाय चुनावों में OBC आरक्षण को लेकर कई सवाल और कानूनी विवाद उठे थे, जिसके कारण चुनावों को टालना पड़ा था। इस बार योगी सरकार ने पहले से ही व्यापक तैयारी कर ली है, ताकि ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न न हो। आयोग के गठन को कैबिनेट ने “बाय सर्कुलेशन” के जरिए मंजूरी दी, जिससे पंचायत चुनावों की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी
पंचायती राज विभाग ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की, जिसमें बताया गया कि शहरीकरण के कारण राज्य में 504 ग्राम पंचायतें कम हो गई हैं। अब कुल 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव होंगे। इसके अलावा, 75 जिला पंचायत अध्यक्ष और 826 ब्लॉक प्रमुख चुने जाएंगे। शहरीकरण के चलते कई गांव और ग्राम पंचायतें नगर निकायों में शामिल हो गई हैं, जिसके कारण ग्रामीण प्रशासनिक इकाइयों की संख्या में कमी आई है। सबसे ज्यादा कमी देवरिया (64), आजमगढ़ (47) और प्रतापगढ़ (45) जिलों में देखी गई है।

योगी सरकार का मिशन: समय पर और निष्पक्ष चुनाव
योगी सरकार का लक्ष्य है कि पंचायत चुनाव मार्च या अप्रैल 2026 में समय पर संपन्न हों। इसके लिए सभी जिला प्रशासनों को निर्देश दिए गए हैं कि वे समयबद्ध तरीके से तैयारियां पूरी करें। आयोग की सिफारिशों के आधार पर ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य जैसे पदों पर OBC आरक्षण तय किया जाएगा। सरकार का दावा है कि इस बार आरक्षण की प्रक्रिया में किसी भी तरह की गड़बड़ी या भ्रम की स्थिति नहीं होगी।
इसके अलावा, योगी सरकार पंचायत चुनावों में कुछ बड़े बदलाव लाने की योजना बना रही है। सूत्रों के अनुसार, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को सीधे जनता के मतदान के जरिए कराने की योजना पर विचार चल रहा है। यह बदलाव पंचायत चुनावों को और अधिक लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।

सियासी हलचल और रणनीतियां
2026 के पंचायत चुनावों को 2027 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी) और अन्य क्षेत्रीय दल इस चुनाव में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह इस बार पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ेगी और इसके प्रदर्शन को 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन का आधार बनाया जाएगा। वहीं, बीजेपी ग्रामीण स्तर पर अपनी संगठनात्मक क्षमता को और मजबूत करना चाहती है।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख और पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी पंचायत चुनावों में अपनी पार्टी की मजबूत उपस्थिति दर्ज करने की बात कही है। उन्होंने हाल ही में घोषणा की कि ब्लॉक प्रमुख चुनाव अब जनता के सीधे मतदान से होंगे, जिससे ग्रामीण स्तर पर नेतृत्व का चयन और अधिक लोकतांत्रिक होगा।

योगी सरकार का OBC आयोग के गठन का फैसला पंचायत चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम न केवल OBC समुदाय के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा, बल्कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह के विवाद को भी रोकेगा। 2026 के पंचायत चुनाव न केवल ग्रामीण नेतृत्व को मजबूत करेंगे, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी सियासी माहौल तैयार करेंगे। उत्तर प्रदेश की जनता अब इस बात का इंतजार कर रही है कि ये बदलाव ग्रामीण विकास और लोकतंत्र को कैसे नई दिशा देंगे।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।