मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव, शांति की उम्मीद या और तबाही?
प्रमुख बिंदु-
Iran-Israel War: इजरायल और ईरान के बीच पिछले कुछ दिनों से चल रही जंग ने अब एक नया और खतरनाक मोड़ ले लिया है। अमेरिका ने औपचारिक रूप से इस युद्ध में प्रवेश कर लिया है और ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हवाई हमले किए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों की पुष्टि करते हुए इसे एक “बड़ा और सफल ऑपरेशन” बताया है। इस कार्रवाई ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है, और अब दुनिया की नजरें ईरान के जवाबी कदम और इस युद्ध के भविष्य पर टिकी हैं।

अमेरिका का बड़ा हमला: बी-2 बॉम्बर्स और बंकर बस्टर बम
अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर हमले में अपने सबसे उन्नत बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर विमानों का उपयोग किया, जो 30,000 पाउंड के भारी-भरकम GBU-57 मेसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (बंकर बस्टर) बम ले जाने में सक्षम हैं। ये बम विशेष रूप से गहरे भूमिगत परमाणु ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जैसे कि फोर्डो, जो ईरान का सबसे सुरक्षित परमाणु स्थल माना जाता है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “हमने फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बहुत सफल हमला किया। सभी विमान सुरक्षित रूप से वापस लौट रहे हैं। फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया।” इसके अलावा, अमेरिका ने नतांज और इस्फहान पर 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें भी दागीं, जो ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं।

व्हाइट हाउस ने इस ऑपरेशन की तस्वीरें भी जारी कीं, जिसमें ट्रंप और उनकी टीम सिचुएशन रूम में इस कार्रवाई पर नजर रखते दिखाई दे रहे हैं। इस ऑपरेशन में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और नेशनल इंटेलिजेंस चीफ तुलसी गबार्ड सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

इजरायल-ईरान युद्ध
यह युद्ध 1 अप्रैल 2024 को शुरू हुआ, जब इजरायल ने दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया, जिसमें कई वरिष्ठ ईरानी अधिकारी मारे गए। इसके जवाब में, ईरान ने 13 अप्रैल को इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू किए। 13 जून 2025 को इजरायल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले किए, जिसमें ईरान के सेना प्रमुख, IRGC कमांडर और कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। जवाब में, ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3” शुरू किया और तेल अवीव पर 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं।
इजरायल का मुख्य लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नष्ट करना और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की नेतृत्व क्षमता को कमजोर करना है। दूसरी ओर, ईरान ने इजरायल को “ज़ायोनी शासन” करार देते हुए इसे सजा देने की कसम खाई है। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा, “हम इजरायल को बिना सजा दिए नहीं छोड़ेंगे।”

अमेरिका की रणनीति
अमेरिका शुरू से ही इजरायल का समर्थन करता रहा है, लेकिन इस बार उसने सीधे सैन्य कार्रवाई में हिस्सा लिया। ट्रंप ने पहले कहा था कि वह ईरान के साथ युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर ईरान का परमाणु कार्यक्रम खतरा बनता है, तो वह कठोर कदम उठाने को तैयार हैं। उन्होंने ईरान को 60 दिन का समय दिया था ताकि वह परमाणु समझौते पर बातचीत करे, लेकिन ईरान ने इसे ठुकरा दिया।
अमेरिका की यह कार्रवाई न केवल सैन्य, बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक संदेश भी देती है। ट्रंप ने साफ किया कि अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की इजाजत नहीं देगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप इस युद्ध में पूरी तरह शामिल होने से बच रहे हैं, क्योंकि यह अमेरिका के लिए आर्थिक और कूटनीतिक रूप से महंगा साबित हो सकता है।

ईरान का जवाब और वैश्विक प्रतिक्रिया
ईरान की परमाणु एजेंसी (AEOI) ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है और इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया है। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसकी निंदा करने की अपील की है। साथ ही, ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका और इजरायल ने हमले जारी रखे, तो वह और कड़ा जवाब देगा। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा, “अमेरिका को इजरायल की आक्रामकता रोकनी होगी, वरना स्थिति और बिगड़ेगी।”
रूस और चीन ने भी इस युद्ध में हस्तक्षेप की चेतावनी दी है। रूस ने इसे “मध्य पूर्व को अस्थिर करने वाला कदम” बताया, जबकि चीन ने अपने नागरिकों को इजरायल से निकालने की घोषणा की है।

ईरान को हुआ भारी नुकसान
इन हमलों में ईरान को भारी नुकसान हुआ है। नतांज में यूरेनियम संवर्धन केंद्र का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह नष्ट हो गया है, और सेंट्रीफ्यूज को भी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र की परमाणु एजेंसी IAEA ने कहा कि इस्फहान में कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ है। इजरायल ने दावा किया है कि उसने नौ ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को मार गिराया है। दूसरी ओर, ईरान के मिसाइल हमलों से तेल अवीव में भारी तबाही हुई, जिसमें एक अस्पताल और कई रिहायशी इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं।
यह युद्ध अब 10वें दिन में प्रवेश कर चुका है, और कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा। अमेरिका की एंट्री ने स्थिति को और जटिल कर दिया है। ट्रंप ने शांति की अपील की है, लेकिन साथ ही चेतावनी दी है कि ईरान की किसी भी जवाबी कार्रवाई का कड़ा जवाब दिया जाएगा। वैश्विक समुदाय इस युद्ध को रोकने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रहा है, लेकिन अगर तनाव बढ़ता रहा, तो यह एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।