यूपी पंचायत चुनाव 2026 की ताज़ा अपडेट
प्रमुख बिंदु-
लखनऊ, 17 जून 2025: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav) 2026 की तैयारियां जोरों पर हैं। पंचायती राज विभाग ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की है, जिसमें राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या में 504 की कमी की गई है। अब प्रदेश में 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव होंगे। इस अधिसूचना के अनुसार, ग्राम पंचायतों की संख्या में अब कोई और फेरबदल नहीं होगा। अगले साल अप्रैल-मई 2026 में होने वाले इन चुनावों को 2027 के विधानसभा चुनावों का ‘सेमीफाइनल’ माना जा रहा है।
ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी का कारण
पंचायती राज विभाग के अनुसार, कई ग्राम पंचायतें और राजस्व गांव नगर पंचायतों, नगर पालिका परिषदों, और नगर निगमों के सीमा विस्तार के कारण शहरी क्षेत्रों में शामिल हो गए हैं। इससे कुछ ग्राम पंचायतों की जनसंख्या 1,000 से कम हो गई, जो पंचायत के लिए न्यूनतम आवश्यकता से कम है। इसलिए, इन ग्राम पंचायतों को निकटवर्ती पंचायतों में मिला दिया गया है, और कुछ को पूरी तरह हटा दिया गया। इस प्रक्रिया को परिसीमन कहा जाता है, जिसके लिए पंचायती राज विभाग ने नगर विकास विभाग को पत्र लिखकर सहयोग मांगा था।
शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि अब ग्राम पंचायतों की संख्या 57,695 पर स्थिर रहेगी, और अगले चुनाव इसी आधार पर होंगे। यह निर्णय 2026 के पंचायत चुनावों को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए लिया गया है।

चुनाव की तैयारियां शुरू
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। 67 जिलों में 1.27 लाख मतपेटियों की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर जारी किए गए हैं। जुलाई 2025 से मतदाता सूची के पुनरीक्षण का अभियान शुरू होगा, जो दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
चुनाव आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि अप्रैल-मई 2026 में होने वाले चुनावों से पहले सभी तैयारियां समय पर पूरी हो जाएं। अधिसूचना चुनाव से 45 दिन पहले जारी की जाएगी, जो संभावित रूप से फरवरी 2026 के दूसरे या तीसरे सप्ताह में हो सकती है।

कितने पदों पर होगा चुनाव?
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में निम्नलिखित पदों के लिए मतदान होगा:
- 57,695 ग्राम प्रधान
- लगभग 7 लाख ग्राम पंचायत सदस्य
- 3,200 जिला पंचायत सदस्य
- 75 जिला पंचायत अध्यक्ष
- 826 ब्लॉक प्रमुख
- लगभग 35,812 क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी)
ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, जिसमें निर्वाचित पंचायत सदस्य और बीडीसी वोट डालते हैं।

राजनीतिक दलों की रणनीति
पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनावों का ‘सेमीफाइनल’ माना जा रहा है, क्योंकि यह ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक दलों की ताकत को परखने का मौका देता है। 2021 के पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 75 में से 67 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) केवल 5 जिलों में जीत पाई थी। इस बार भी सभी दल अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं।
पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव का नियम बदल सकता है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कहा कि अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जनता द्वारा सीधे कराने की मांग उठाई गई है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय अभी बाकी है।
आरक्षण और परिसीमन
पिछले पंचायत चुनावों में सीटों के आरक्षण के लिए 2015 को आधार वर्ष माना गया था, और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखने का आदेश दिया था। इस बार भी 2015 को आधार वर्ष बनाए जाने की संभावना है। इसके अलावा, पंचायत चुनाव 2026 के लिए आरक्षण सूची ऑनलाइन उपलब्ध होगी, जिसे वेबसाइट www.panchayatiraj.up.nic.in पर चेक किया जा सकता है।

गांवों में बढ़ती सरगर्मी
पंचायत चुनाव की घोषणा से पहले ही गांवों में संभावित प्रत्याशियों ने प्रचार शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में चर्चाओं का बाजार गर्म है, और लोग अपने अगले ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, और जिला पंचायत अध्यक्ष के बारे में बात कर रहे हैं। यह चुनाव न केवल स्थानीय नेतृत्व को चुनने का अवसर है, बल्कि ग्रामीण विकास के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
उत्तर प्रदेश में 2026 के पंचायत चुनाव न केवल स्थानीय शासन को मजबूत करेंगे, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी एक बड़ा इम्तिहान होंगे। ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब सभी की नजरें चुनाव की तारीखों और तैयारियों पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस ‘सेमीफाइनल’ में कौन सा दल बाजी मारता है!
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।