शानदार सफलता की उड़ान के लिए शुरू की तैयारी
प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली, 10 जून 2025: Shubhanshu Shukla आकाश में भारत का अगला सितारा बनने को तैयार हैं। 41 साल बाद यह दूसरी बार होगा जब किसी भारतीय अंतरिक्षयान में भेजा जाएगा। पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत सोयूज़ में उड़ान भरी थी। Shubhanshu Shukla की यह यात्रा इस लिहाज से भी खास है कि वह निजी मिशन Axiom‑4 (Ax‑4) का हिस्सा हैं, जो SpaceX और NASA की साझेदारी में और Axiom Space द्वारा संचालित है।
मिशन की रूपरेखा
मिशन का नाम: Axiom Mission 4 (Ax‑4)
उड़ान की तारीख: 11 जून 2025, 5:30 PM IST
शुरुआत मूलत: 10 जून रखी गई थी, लेकिन मौसम की वजह से इसे एक दिन पीछे धकेल दिया गया।
उड़ान स्थल: फ्लोरिडा, केनेडी स्पेस सेंटर, Launch Complex 39A से Falcon 9 Block‑5 रॉकेट द्वारा।
चंद सप्ताह का प्रवास: मिशन की अवधि लगभग 14–21 दिन निर्धारित है।

दल और भूमिकाएं
कमांडर: पेगी व्हिटसन (पूर्व NASA astronaut, Axiom Space निदेशक)
पायलट: Shubhanshu Shukla, भारतीय वायुसेना के Group Captain
मिशन विशेषज्ञ: पोलैंड से Sławosz Uznański‑Wiśniewski और हंगरी से Tibor Kapu ।
Shubhanshu Shukla की भूमिका पायलट के रूप में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पहली बार है कि किसी भारतीय को ISS तक पहुंचने वाले निजी मिशन में पायलट बनाया गया हो।

मिशन के वैज्ञानिक अध्ययन और प्रयोग
मिशन के दौरान Shubhanshu Shukla भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए 7 मुख्य माइक्रोग्रैविटी प्रयोगों को अंजाम देंगे:
- मांसपेशियों की पुनर्निर्माण क्षमता
- अंकुरित खाद्य (मूंग और अन्य बीजों) की वृद्धि
- माइक्रोअल्गी—एक स्पेस सुपरफूड
- टार्डिग्रेड्स की चालकता व जीवित रहने की क्षमता
- मानव-तकनीक इंटरैक्शन (गति और ग्रैविटी एफेक्ट)
- खाद्य और पोषण अध्ययन (भारतीय जैव प्रौद्योगिकी विभाग–ISRO सहयोग)
- जीवन सहायक प्रणालियाँ एवं अंतरिक्ष पोषण विज्ञान।
इन प्रयोगों के परिणाम भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों (जैसे Gaganyaan‑4, संभावित चंद्र मिशनों) के लिए उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।

मिशन पर मौसम का प्रभाव
ISRO और Axiom/NASA/SpaceX की टीम ने मौसम के आधार पर चार बार लॉन्च विंडो बदली:
पहली बार मई अंत में आगे बढ़ा (8 जून), फिर 10 जून से 11 जून तक स्थगित हुआ (चार बार का स्थगन रिकॉर्ड)। आखिरकार 11 जून 2025 को 5:30 PM IST फाइनल तिथि कर दी गयी।

भारतीय वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता की उम्मीदें
Shubhanshu Shukla के इस मिशन को भारत में गर्व और गर्जना से देखा जा रहा है। उनके परिजन ने मीडिया को बताया कि Shubhanshu Shukla की कड़ी मेहनत, बचपन की स्कूल की यादें और परिवार का सहयोग इस मुकाम के पीछे रहा। देशभर के लोगों को प्रेरणा की अनुभूति हो रही है—Shubhanshu Shukla ने कहा है कि यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों की है।
भविष्य की भारतीय मानवयुक्त उड़ान पर पड़ता प्रभाव
Shubhanshu Shukla Axiom‑4 मिशन में जो अनुभव लेता है, वह Gaganyaan‑4 (2027 में) और भारत के राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (2035 तक) के लिए बेहद उपयोगी रहेगा। इस मिशन से ISRO–NASA के बीच साझेदारी को और मजबूती मिली है, जिसका लाभ भारत के स्कूलों और वैज्ञानिक संस्थानों तक पहुंचेगा।

शुभांशु शुक्ला के नेतृत्व में Axiom-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ने जा रहा है। 11 जून 2025 को फ्लोरिडा से होने वाला यह प्रक्षेपण न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को विश्व पटल पर प्रदर्शित करेगा, बल्कि माइक्रोग्रैविटी में किए जाने वाले सात प्रयोगों के माध्यम से वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
इस मिशन की सफलता न सिर्फ गगनयान-4 और राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के सपनों को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम होगी, बल्कि यह युवा पीढ़ी को विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में प्रेरित करेगी। शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान भारत के गौरवशाली भविष्य की ओर एक ऐतिहासिक छलांग है, जो देशवासियों के दिलों में गर्व और उत्साह का संचार करेगी।
अवि नमन यूनिफाइड भारत के एक विचारशील राजनीतिक पत्रकार और लेखक हैं, जो भारतीय राजनीति, नीति निर्माण और सामाजिक न्याय पर तथ्यपरक विश्लेषण के लिए जाने जाते हैं। उनकी लेखनी में गहरी समझ और नया दृष्टिकोण झलकता है। मीडियम और अन्य मंचों पर उनके लेख लोकतंत्र, कानून और सामाजिक परिवर्तन को रेखांकित करते हैं। अवि ने पत्रकारिता के बदलते परिवेश सहित चार पुस्तकों की रचना की है और सामाजिक-राजनीतिक जागरूकता के लिए समर्पित हैं।