Opinion: आतंक का आका ‘पाकिस्तान’ अब UNSC में आतंकवाद विरोधी समिति का बना उपाध्यक्ष! आतंकिस्तान रोकेगा आतंकवाद?

opinion-pakistan-unsc-terrorism-committee-irony

पढ़ें पाकिस्तान और UNSC पर क्या है हमारा Opinion

Opinion | पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तालिबान प्रतिबंध समिति (1988 Taliban Sanctions Committee) का अध्यक्ष और 15 सदस्यीय काउंटर-टेररिज्म कमेटी (CTC) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह खबर विश्व समुदाय, खासकर भारत के लिए एक तीखा व्यंग्य और गहरी चिंता का विषय है। जिस देश को लंबे समय से आतंकवाद का पनाहगाह माना जाता है, उसे आतंकवाद विरोधी समितियों की अगुवाई सौंपना वैसा ही है जैसे किसी हत्यारे को हथियार सौंप दिया जाए! आइए, इस नियुक्ति के पीछे के तथ्यों, पाकिस्तान के आतंकवाद से रिश्ते और भारत की चिंताओं पर एक नजर डालें।

WhatsApp Channel Join Now
Instagram Profile Join Now

पाकिस्तान और आतंकवाद: एक पुराना रिश्ता

पाकिस्तान का आतंकवाद से संबंध किसी से छिपा नहीं है। भारत ने बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस बात को उजागर किया है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित कई आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों को शरण देता है। 2011 में, अल-कायदा का सरगना ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के ऐबटाबाद में छिपा हुआ पाया गया था, जिसे अमेरिकी नेवी सील्स ने मार गिराया। इसके अलावा, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे संगठन जो भारत में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार हैं, पाकिस्तान की जमीन पर खुले तौर पर सक्रिय रहे हैं। हाल ही में, अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई, जिसके पीछे भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का हाथ था।

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। इसके साथ ही पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पर इन संगठनों को वित्तीय और रसद समर्थन देने के आरोप लगते रहे हैं। भारत ने UNSC की 1267 सेंक्शन्स कमेटी को TRF और इसके पाकिस्तानी लिंक के बारे में विस्तृत सबूत पेश किए हैं, लेकिन कई बार चीन जैसे देशों ने इन आतंकियों को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव को वीटो कर दिया।

Pakistan Terrorist

UNSC में पाकिस्तान की भूमिका: एक विडंबना

UNSC की तालिबान प्रतिबंध समिति (1988 समिति) तालिबान और उससे जुड़े व्यक्तियों व संगठनों पर प्रतिबंध लागू करती है, जैसे उनकी संपत्ति जब्त करना, यात्रा पर रोक लगाना और हथियारों की आपूर्ति रोकना। यह समिति अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए आतंकी गतिविधियों पर नजर रखती है। दूसरी ओर, काउंटर-टेररिज्म कमेटी (CTC) वैश्विक आतंकवाद से निपटने के लिए सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाती है, आतंकवाद विरोधी नीतियों की निगरानी करती है और आतंकी वित्तपोषण व गतिविधियों को रोकने के उपाय सुझाती है।

पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और काउंटर-टेररिज्म कमेटी का उपाध्यक्ष बनाना एक ऐसी विडंबना है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। एक देश, जिसे ‘आतंकिस्तान’ के रूप में जाना जाता है और जो अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को पनाह देता रहा हो, उसे आतंकवाद विरोधी समिति में जिम्मेदारी देना वैसा ही है जैसे लोमड़ी को मुर्गीखाने की रखवाली सौंप दी जाए। ऐसे में, UNSC का यह फैसला न केवल हास्यास्पद है, बल्कि उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।

UNSC

‘आतंकिस्तान’ की सच्चाई

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान पाकिस्तान नहीं, ‘आतंकिस्तान’ है।” यह शब्द पाकिस्तान की उस हकीकत को बयां करता है, जहां आतंकवाद को सरकारी नीति का हिस्सा बनाया गया है। हाल ही में, भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों के जनाज़े पर पाकिस्तान सेना नमाज पढ़ते और उनके जनाजे को कंधा देते दिखाई दी, जो यह साबित करता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित करता है।

पाकिस्तान की सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के बुनियादी ढांचे को फिर से बनाने के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिली एक अरब डॉलर की सहायता का बड़ा हिस्सा आतंकी ढांचे को मजबूत करने में इस्तेमाल हो रहा है। यह सवाल उठता है कि क्या अंतरराष्ट्रीय संगठन अनजाने में आतंकवाद को वित्तीय सहायता दे रहे हैं?

Pakistan Terrorist

भारत की कूटनीतिक अकल, पाकिस्तान भी कर रहा नकल

पाकिस्तान के आतंकवादी कदम के खिलाफ भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी आवाज बुलंद की है। पिछले महीने मई 2025 में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल 32 देशों में भेजे ताकि पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर किया जाए। यह प्रतिनिधिमंडल फ्रांस, इटली, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को मजबूती से रख रखे हैं। फ्रांस ने स्पष्ट कहा कि वह भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है।

Shashi Tharoor Colombia

वहीं, पाकिस्तान ने भारत के इस कदम की हूबहू नक़ल करने का प्रयास किया पर यह प्रयास वैसा ही था जैसे कौआ चला हंस की चाल। तुर्की, चीन और अजरबैजान जैसे कुछ देशों ने पाकिस्तान का समर्थन किया, लेकिन भारत की कूटनीति ने इन प्रयासों को कमजोर किया है।

Pakistan

पाकिस्तान का UNSC में यह नया रोल न केवल हास्यास्पद है, बल्कि खतरनाक भी है। एक देश जो दशकों से आतंकवाद को पालता-पोसता रहा हो, उसे आतंकवाद विरोधी समिति में जिम्मेदारी देना वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है। X पर लोगों ने इसे “विश्व नेताओं को अफीम देने” जैसा बताया है और UNSC को “हंसी का पात्र” करार दिया है। यह भावना दर्शाती है कि जब एक देश जो आतंकवादी संगठनों को पनाह देता हो, उसे आतंकवाद से लड़ने की जिम्मेदारी दी जाती है, तो यह वैश्विक संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।

भारत का रुख साफ है—आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की निति ही अपनानी पड़ेगी। पाकिस्तान को ‘आतंकिस्तान’ कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं, बल्कि एक कड़वी सच्चाई है। संयुक्त राष्ट्र को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, वरना यह संस्था अपनी साख खो देगी।

iQOO Z10 Lite 5G भारत में लॉन्च: मात्र ₹9,999 में 5G का धमाल! ईरान बनाम इसराइल: किसके पास कितनी ताक़त कुशा कपिला का UnderNeat: क्या ये SKIMS जैसा ‘शेप’ ले पाएगा? RCB की ऐतिहासिक जीत पर सोशल मीडिया पर मचा तूफान – देखें किसने क्या कहा ग्लेन मैक्सवेल का ODI रिटायरमेंट!