भैरबी-सैरांग रेल लाइन का सफल ट्रायल रन, आइज़ॉल बनी पूर्वोत्तर की चौथी राजधानी जो सीधे भारतीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ी
प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली: 78 वर्षों के लंबे इंतजार और अथक प्रयासों के बाद Mizoram की राजधानी आइज़ॉल को आखिरकार भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने में सफलता हासिल हुई है। नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) ने भैरबी-सैरांग रेल परियोजना के तहत सैरांग स्टेशन तक पहली बार सफल ट्रायल रन पूरा किया, जो इस ऐतिहासिक कनेक्टिविटी की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इस उपलब्धि के साथ आइज़ॉल पूर्वोत्तर भारत की चौथी राजधानी बन गई है जिसे रेलवे के जरिए सीधे देश के विस्तृत नेटवर्क से जोड़ा गया है। इससे पहले, Mizoram में रेलवे सेवा केवल भैरबी तक ही सीमित थी, जो आइज़ॉल से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर है। इस नए रेल मार्ग के खुलने से न केवल आइज़ॉल बल्कि पूरे मिज़ोरम की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति को नई ताकत मिलेगी।
यह रेल कनेक्टिविटी Mizoram के व्यापार, पर्यटन, और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्यवासियों के लिए बेहतर आवागमन के साधन भी उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा, यह परियोजना भारत सरकार की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पहल को मजबूती देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

78 वर्षों का इंतजार खत्म
Mizoram की राजधानी आइज़ॉल के लिए रेलवे कनेक्टिविटी का सपना 78 वर्षों से अधर में लटका हुआ था। भारत की आज़ादी के बाद से ही पूर्वोत्तर क्षेत्र में रेल नेटवर्क के विस्तार को लेकर कई योजनाएं बनीं, लेकिन Mizoram की पहाड़ी और घने जंगलों वाली भौगोलिक स्थिति के कारण रेल लाइन की सच्ची चुनौती बनी रही।
पहले Mizoram में रेल सेवा केवल भैरबी तक सीमित थी, जो आइज़ॉल से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर एक छोटा स्टेशन था। भैरबी तक पहुंचना संभव था, लेकिन राजधानी आइज़ॉल तक सीधे रेल कनेक्शन का अभाव था, जिससे लोगों और व्यापारियों को बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ता था।
इस परियोजना के लिए कई दशकों तक तैयारी, भौगोलिक अध्ययन, और तकनीकी चुनौतियों को पार करना पड़ा। भैरबी से सैरांग तक की 51.38 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण विशेष रूप से कठिन रहा, क्योंकि इस मार्ग में कई सुरंगें, पुल, और खड़ी ढलानें थीं। इसके बावजूद, भारत सरकार और नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे की टीम ने समर्पण और आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए इस सपने को साकार किया।

पूर्वोत्तर में चौथी राजधानी
आइज़ॉल अब पूर्वोत्तर भारत की चौथी राजधानी बन गई है जिसे भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ा गया है। इससे पहले, केवल तीन ही राज्य की राजधानियाँ—गुवाहाटी (असम), अगरतला (त्रिपुरा), और नाहरलगुन (अरुणाचल प्रदेश)—रेलवे से सीधे जुड़ी थीं। आइज़ॉल के जुड़ने से इस क्षेत्र की राजधानी शहरों की कनेक्टिविटी और मजबूत हो गई है। यह कदम पूर्वोत्तर के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे राज्य की राजधानी को देश के अन्य हिस्सों से बेहतर संपर्क मिलेगा। इससे व्यापार, पर्यटन और रोज़गार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।
इंजीनियरिंग की बड़ी उपलब्धि
भैरबी-सैरांग रेल परियोजना Mizoram की पहाड़ी और जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में एक इंजीनियरिंग चमत्कार साबित हुई है। इस 51.38 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के निर्माण में कई सुरंगों और पुलों का निर्माण शामिल था, जो क्षेत्र की खड़ी पहाड़ियों और नदियों को पार करने के लिए आवश्यक थे। कठिन मौसम और दुर्गम इलाके के बावजूद नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) ने इस परियोजना को समयबद्ध और गुणवत्ता के साथ पूरा किया। इस सफलता ने पूर्वोत्तर में रेलवे कनेक्टिविटी के विस्तार में नया अध्याय जोड़ा है और क्षेत्र के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है।

आर्थिक और सामाजिक लाभ
आइज़ॉल को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने से Mizoram के आर्थिक और सामाजिक विकास को बड़ी गति मिलेगी। रेलवे कनेक्टिविटी से व्यापारियों को माल परिवहन में आसानी होगी, जिससे लागत कम होगी और उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी। इससे स्थानीय व्यापार और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, बेहतर यातायात सुविधा के कारण पर्यटन को भी नई ऊर्जा मिलेगी, जिससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। सामाजिक दृष्टि से, लोगों का आवागमन सुगम होगा, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को लाभ मिलेगा। यह परियोजना ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पहल को भी सशक्त बनाएगी।

आगे की राह
भैरबी-सैरांग रेल लाइन का औपचारिक उद्घाटन जून 2025 में होने की संभावना है, जिसके बाद नियमित यात्री और मालगाड़ियों की सेवाएं शुरू होंगी। इससे Mizoram की राजधानी आइज़ॉल का देश के अन्य हिस्सों से संपर्क और भी बेहतर होगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी। इस परियोजना के माध्यम से न केवल स्थानीय लोगों के आवागमन में सुविधा आएगी, बल्कि यह पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक एकीकरण को भी मजबूती देगी। भविष्य में इस रेल नेटवर्क के विस्तार से क्षेत्रीय विकास की संभावनाएं और अधिक बढ़ेंगी।


दिव्यांशु सिंह यूनिफाइड भारत के एक शोधपरक और तथ्य-संवेदनशील कंटेंट राइटर हैं, जो सरकारी नौकरियों, रक्षा समाचार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर विशेषज्ञता रखते हैं। उनके लेख सरकारी परीक्षाओं, नियुक्तियों और नीतिगत बदलावों को सरलता से समझाते हैं, जो लाखों युवाओं के लिए भरोसेमंद सूचना का स्रोत हैं। रोजगार और सामाजिक स्थिरता के लिए सटीक जानकारी देने के साथ-साथ वह रक्षा और अंतरराष्ट्रीय राजनीति जैसे जटिल विषयों को सहज भाषा में प्रस्तुत करने के लिए समर्पित हैं।