34 Years of Rajiv Gandhi’s Assassination: जब आतंकवाद ने भारत के भविष्य को झकझोरा!

34 Years of Rajiv Gandhi's Assassination

लोकतंत्र पर काले बादल

भारत के इतिहास में कई घटनाएं ऐसी हैं जिन्होंने पूरे देश को हिला कर रख दिया। लेकिन 21 मई 1991 की रात एक ऐसी तारीख बन गई, जिसे देशवासी कभी नहीं भूल सकते। तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक आत्मघाती हमले में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री Rajiv Gandhi की निर्मम हत्या कर दी गई। यह सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं थी, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक आत्मा और उसकी उन्नति की दिशा पर हमला था।

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Rajiv Gandhi: एक आधुनिक भारत के शिल्पकार

Rajiv Gandhi का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। वे भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र और पंडित जवाहरलाल नेहरू के पोते थे। वे पेशे से पायलट थे और राजनीति में उनकी रुचि कम थी, लेकिन संयोगवश राजनीति ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया। संजय गांधी की असामयिक मृत्यु के बाद, 1981 में उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और जल्द ही 1984 में अपनी मां की हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने।

Rajiv Gandhi का कार्यकाल (1984-1989) कई दृष्टियों से परिवर्तनकारी रहा। उन्होंने भारत को 21वीं सदी की ओर अग्रसर करने का सपना देखा और सूचना प्रौद्योगिकी, टेलीकॉम, शिक्षा, पंचायती राज, युवाओं के मतदान अधिकार जैसे क्षेत्रों में ऐतिहासिक सुधार किए। उन्होंने देश में कंप्यूटर का प्रवेश आसान बनाया और आधुनिक तकनीक को स्कूलों और दफ्तरों तक पहुँचाया।

लिट्टे और श्रीलंका में भारत की भूमिका

1980 के दशक में श्रीलंका में तमिलों और सिंहलियों के बीच जातीय संघर्ष बढ़ रहा था। तमिलों के लिए लड़ने वाला संगठन लिट्टे (LTTE – लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) श्रीलंका सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष कर रहा था। भारत में तमिल जनमानस इस संघर्ष से जुड़ा हुआ था और तमिलनाडु की राजनीति पर इसका व्यापक प्रभाव था।

1987 में Rajiv Gandhi ने श्रीलंका के साथ एक शांति समझौता किया और IPKF (Indian Peace Keeping Force) को श्रीलंका भेजा। इस समझौते के अनुसार, लिट्टे को अपने हथियार डालने थे और श्रीलंका सरकार को तमिलों को स्वायत्तता देनी थी। लेकिन लिट्टे इस समझौते से नाखुश था क्योंकि उन्हें भारतीय हस्तक्षेप से उनकी स्वतंत्रता की उम्मीद खतरे में नजर आई।

Rajiv Gandhi की हत्या की साजिश: क्यों बना लिट्टे दुश्मन?

LTTE को भारत की भूमिका और खासकर Rajiv Gandhi की नीतियों से भारी असंतोष था। उनके अनुसार, राजीव गांधी ने तमिलों के साथ विश्वासघात किया था। IPKF के श्रीलंका में संचालन के दौरान लिट्टे और भारतीय सेना के बीच भीषण संघर्ष हुआ, जिसमें लिट्टे को भारी क्षति उठानी पड़ी।

Rajiv Gandhi भले ही 1989 में प्रधानमंत्री पद से हट चुके थे, लेकिन लिट्टे को डर था कि यदि वे दोबारा सत्ता में आए, तो फिर से श्रीलंका में भारतीय हस्तक्षेप होगा। इसी आशंका ने लिट्टे को राजीव गांधी की हत्या की ओर धकेला।

हत्या की रात: 21 मई 1991

Rajiv Gandhi कांग्रेस के चुनाव अभियान के अंतर्गत तमिलनाडु में प्रचार कर रहे थे। 21 मई की रात श्रीपेरंबुदूर में एक रैली के दौरान, जब वे समर्थकों से मिल रहे थे, तभी धनु नामक एक आत्मघाती महिला हमलावर ने उनके पास जाकर उनके पैर छूने के बहाने खुद को विस्फोटक बेल्ट से उड़ा लिया। यह हमला इतना शक्तिशाली था कि राजीव गांधी सहित 14 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

यह भारत के इतिहास में पहली बार था जब किसी बड़े राष्ट्रीय नेता की हत्या आत्मघाती हमले से की गई हो।

जांच, साक्ष्य और सज़ा

इस हत्याकांड की जांच CBI ने की और “मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी” (MDMA) की स्थापना की गई। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि हत्या की योजना पूरी तरह से लिट्टे द्वारा बनाई गई थी। कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया, और मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई।

नलिनी श्रीहरन, मुरुगन, संथन और पेरारिवलन सहित कई लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, नलिनी की सजा को बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया और कुछ आरोपियों को मानवीय आधार पर हाल ही में रिहा किया गया।

21 मई: क्यों मनाते हैं आतंकवाद विरोधी दिवस?

Rajiv Gandhi की हत्या के बाद भारत सरकार ने 21 मई को “आतंकवाद विरोधी दिवस” के रूप में घोषित किया। इसका उद्देश्य नागरिकों में आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता फैलाना और लोकतंत्र, शांति, सहिष्णुता और मानवता के मूल्यों को मजबूत करना है।

इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों में प्रतिज्ञा ली जाती है कि वे आतंकवाद और हिंसा का विरोध करेंगे और देश में भाईचारे की भावना बनाए रखेंगे।

राजीव गांधी को श्रद्धांजलि: आज भी जीवित है उनकी सोच

2025 में उनकी 34वीं पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रियंका गांधी ने भावुक संदेश में कहा कि “पिताजी ने मुझे सच्चे अर्थों में देशभक्ति का पाठ पढ़ाया।” प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट कर कहा कि राजीव गांधी को उनकी सेवा और योगदान के लिए याद किया जाएगा।

उनकी योजनाएं जो आज भी देश को दिशा दे रही हैं

Rajiv Gandhi की नीतियों का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है:

  • शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आधारशिला।
  • टेक्नोलॉजी: टेलीकॉम और कंप्यूटर युग की शुरुआत।
  • पंचायती राज: लोकतंत्र को गाँव तक पहुँचाना।
  • युवा सशक्तिकरण: मतदान की आयु घटाकर 18 वर्ष करना।

एक शहीद नेता और राष्ट्र की प्रेरणा

Rajiv Gandhi की हत्या केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं थी, यह लोकतंत्र, शांति और आधुनिकता की उम्मीद की हत्या थी। लेकिन उनकी सोच, उनका विजन, आज भी भारत को आगे ले जाने में प्रेरणा देता है। आतंकवाद के खिलाफ यह जंग अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन हर साल 21 मई को जब हम उन्हें याद करते हैं, हम एक बार फिर यह संकल्प लेते हैं कि भारत आतंकवाद के आगे कभी नहीं झुकेगा।

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