Market Today: 03 दिसंबर 2025; शेयर बाज़ार में गिरावट का दौर जारी, रुपये की कमजोरी ने निवेशकों की चिंता बढ़ाई

मुंबई(Market Today): 03 दिसंबर, देश के शेयर बाज़ार में बुधवार को भी गिरावट का क्रम जारी रहा। कारोबार के अंतिम चरण में सीमित सुधार अवश्य दिखाई दिया, किंतु वह समग्र गिरावट को थामने में सफल नहीं हो सका। पूरे दिन के व्यापार में निवेशकों का रुख अधिकतर सावधानीपूर्ण रहा और कारोबार के दौरान बिकवाली हावी दिखाई दी।

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रुपये में निरंतर कमजोरी और विदेशी पूँजी के बहिर्वाह ने बाज़ार की दिशा पर दबाव बनाया रखा। वैश्विक बाज़ारों से मिले मिश्रित संकेतों के कारण भी घरेलू निवेशकों की धारणा कमजोर रही। कई बड़े सूचकांक दिनभर लाल निशान में ही रहे, जिससे बाज़ार का समग्र वातावरण दबावपूर्ण बना रहा। निवेशकों का झुकाव सुरक्षित क्षेत्रों की ओर रहा तथा उच्च जोखिम वाले शेयरों में सतर्कता बढ़ी।

Market

घरेलु बाज़ार (Market Today)

BSE Sensex आज हल्की गिरावट के साथ 85,106 अंकों पर बंद हुआ। यह स्तर दर्शाता है कि दिन के दौरान देखने को मिली हल्की रिकवरी के बावजूद निवेशकों का विश्वास पूरी तरह बहाल नहीं हो सका। Nifty 50 भी अपने महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर 26,000 से नीचे फिसलकर 25,986 अंकों पर बंद हुआ, जिससे बाजार की कमजोर धारणा और स्पष्ट हुई।

बाज़ार में व्यापक कमजोरी का अंदाज़ा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि बढ़त दर्ज करने वाले शेयरों की संख्या, गिरावट वाले शेयरों की तुलना में काफी कम रही। यह दर्शाता है कि खरीदारी सीमित क्षेत्रों तक सिमट गई और अधिकांश सेक्टरों में बिकवाली का प्रभाव अधिक रहा। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों में भी क्रमशः लगभग 1 प्रतिशत और 0.4 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई—जो बताता है कि छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों में जोखिम उठाने की निवेशकों की इच्छा कम हुई है।

इन आँकड़ों से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि वर्तमान बाजार मानस सतर्क, अस्थिर और किंचित चिंताग्रस्त है, तथा निवेशक बड़े निर्णय लेने से पहले अतिरिक्त स्पष्टता की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

रुपये का अवमूल्यन

आज भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले इतिहास के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाज़ार में रुपये का मूल्य ₹90 प्रति डॉलर से नीचे आ जाने से मुद्रा बाज़ार में भारी अस्थिरता देखी गई। रुपये की इस गिरावट ने न सिर्फ आयातकों के लिए लागत बढ़ाई, बल्कि संपूर्ण आर्थिक माहौल में चिंता का भाव भी उत्पन्न किया।

रुपये के इस अवमूल्यन का सीधा एवं व्यापक प्रभाव बाज़ार पर देखा गया —

  • आयात-निर्भर उद्योगों पर कच्चे माल की लागत बढ़ने की आशंका बढ़ गई, जिससे उनके मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है।
  • कंपनियों के लाभ-प्रत्याशाओं में कमी की आशंका के कारण निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ी।
  • विदेशी निवेशक, जो मुद्रा जोखिम को अत्यधिक महत्व देते हैं, भारतीय परिसंपत्तियों से दूरी बना सकते हैं, जिससे पूँजी बहिर्वाह बढ़ने की संभावना रहती है।

रुपये की इस तीव्र कमजोरी को निवेशक बाज़ार के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि इससे महंगाई, व्यावसायिक लागत और विदेशी पूंजी प्रवाह सभी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली

विगत कुछ दिनों से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार बिकवाली की जा रही है, और आज के सत्र में भी यह रुझान जारी रहा। रुपये की कमजोरी, वैश्विक अनिश्चितताओं और डॉलर की मजबूती ने विदेशी निवेशकों को जोखिम कम करने की दिशा में प्रेरित किया है। यही कारण है कि घरेलू बाज़ार में पूँजी का बहिर्वाह बढ़ा है और बाजार की समग्र स्थिरता पर दबाव दिखाई दिया।

इस बिकवाली का सबसे अधिक प्रभाव सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वित्तीय सेवाओं, धातु (मेटल) तथा ऊर्जा से जुड़े क्षेत्रों पर पड़ा। ये सभी क्षेत्र बाजार की भावना के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए विदेशी निवेशकों की निकासी ने इन्हें अधिक प्रभावित किया।

कई प्रमुख सरकारी बैंकों के शेयरों में 6–7 प्रतिशत तक की तीव्र गिरावट दर्ज की गई, जो निवेशकों की बढ़ती सतर्कता और जोखिम से बचने की प्रवृत्ति का स्पष्ट संकेत है। इस कमजोरी का असर छोटे निवेशकों की मानसिकता पर भी पड़ा, जिसके कारण समग्र बाज़ार में दबाव और बढ़ गया।

IT क्षेत्र ने दिया सीमित सहारा

वहीं दूसरी ओर सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े प्रमुख शेयरों में अपेक्षाकृत मजबूती देखी गई, जिसने पूरे बाजार के दबावपूर्ण माहौल में कुछ संतुलन प्रदान किया। रुपये के अवमूल्यन का लाभ IT कंपनियों को स्वाभाविक रूप से मिलता है, क्योंकि उनकी आय का बड़ा भाग विदेशी मुद्रा, विशेषकर डॉलर—में प्राप्त होता है। जब रुपया कमजोर होता है, तो डॉलर में प्राप्त होने वाली कमाई का मूल्य भारतीय मुद्रा में बढ़ जाता है, जिससे इन कंपनियों के राजस्व और मार्जिन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इसी कारण TCS, Infosys, Wipro और HCL Technologies जैसे दिग्गज शेयरों में निवेशकों ने भरोसा दिखाया। इन शेयरों में हुई सीमित खरीदारी ने न केवल IT सेक्टर को संबल दिया, बल्कि समग्र बाजार की गिरावट को भी आंशिक रूप से थामने का काम किया। हालांकि अन्य सेक्टरों में दबाव अधिक रहा, पर IT क्षेत्र की यह मजबूती निवेशकों के लिए राहत का एक छोटा संकेत बनी रही।

वैश्विक संकेत

अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों से मिले संकेत आज मिश्रित रहे। अमेरिकी बाज़ारों में हल्की बढ़त और कुछ महत्वपूर्ण सूचकांकों में स्थिरता देखी गई, जिससे वैश्विक स्तर पर जोखिम-भावना (risk sentiment) में थोड़ी स्थिरता आई। एशियाई बाज़ारों में भी सामान्य रूप से शांत और संतुलित व्यापार देखने को मिला, जहाँ अधिकांश प्रमुख सूचकांक सीमित दायरे में रहे।

इसके बावजूद भारतीय बाज़ार पर इन सकारात्मक संकेतों का प्रभाव बहुत कम दिखाई दिया। कारण यह रहा कि घरेलू स्तर पर अधिक गंभीर और तत्काल प्रभाव डालने वाले मुद्दे—जैसे रुपये की तीव्र कमजोरी, विदेशी पूँजी का लगातार बहिर्वाह, और कुछ सेक्टरों में अनिश्चितता—निवेशकों की मानसिकता पर हावी रहे। वैश्विक स्थिरता के बावजूद भारतीय निवेशकों ने जोखिम से बचने की प्रवृत्ति दिखाई, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों की मजबूती घरेलू बाज़ार को सहारा नहीं दे सकी।

समग्र रूप से कहा जा सकता है कि वैश्विक संकेतों की तुलना में आज घरेलू आर्थिक स्थितियाँ और मुद्रा संबंधी दबाव अधिक निर्णायक सिद्ध हुए और इन्होंने Market की दिशा को प्रमुख रूप से प्रभावित किया।

तकनीकी स्थिति

वर्तमान तकनीकी स्तर के अनुसार, निफ्टी के लिए 25,923 – 25,850 का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण और तत्काल समर्थन (support zone) माना जा रहा है। यह स्तर वह क्षेत्र है जहाँ पहले भी सूचकांक ने कुछ स्थिरता दिखाई है। यदि आने वाले सत्रों में निफ्टी इस स्तर को बनाए रखने में सफल रहता है, तो अल्पावधि में Market में स्थिरता या हल्की रिकवरी की संभावना उत्पन्न हो सकती है।

किन्तु यदि यह समर्थन स्तर टूटता है, तो कमजोरी और गहरी हो सकती है तथा बाजार एक निचले दायरे में प्रवेश कर सकता है, जिससे निवेशक भावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

ऊपर की ओर 26,150 – 26,200 का स्तर एक प्रमुख प्रतिरोध (resistance zone) का कार्य करेगा। निफ्टी को यदि इस क्षेत्र के ऊपर बंद होने में सफलता मिलती है, तो इसे Market के लिए सकारात्मक संकेत माना जाएगा, जो आगे चलकर मजबूती का आधार बन सकता है।

आने वाले दिनों में सूचकांकों की चाल इन सीमाओं के भीतर रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है, और Market की दिशा काफी हद तक रुपये की चाल, विदेशी निवेश और वैश्विक संकेतों पर निर्भर करेगी।

आगे की दिशा

Market Analysts का मानना है कि अगले कुछ सत्रों में घरेलू शेयर बाज़ार की चाल कई महत्वपूर्ण कारकों पर आधारित रहेगी। सबसे प्रमुख तत्व रुपये के मूल्य में स्थिरता है। यदि रुपया लगातार कमजोरी दिखाता रहा, तो इसका प्रभाव आयात-निर्भर उद्योगों, महंगाई और समग्र निवेश भावना पर पड़ेगा। इसके विपरीत, रुपये में स्थिरता आने से बाजार को तुरंत राहत मिल सकती है।

विदेशी निवेशकों का रुख भी अत्यंत निर्णायक रहेगा। यदि विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली का दबाव घटता है, तो बाजार में पूँजी प्रवाह की स्थिति सुधर सकती है। इसी प्रकार, आरबीआई की आगामी नीति संबंधी टिप्पणियाँ, विशेष रूप से ब्याज दरों और Currency Market स्थिरता को लेकर व्यक्त संकेत, निवेशकों की धारणा पर गहरा प्रभाव डालेंगे।

अंतरराष्ट्रीय Market में उतार-चढ़ाव, वैश्विक राजनीतिक घटनाएँ और कच्चे तेल की कीमतों का रुझान भी भारतीय Market को दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

यदि रुपये की कमजोरी थम जाती है और विदेशी निवेशकों की बिकवाली कम होती है, तो निकट भविष्य में Market में सीमित सुधार की संभावना बन सकती है। अन्यथा सतर्कता, अस्थिरता और अनिश्चितता का वातावरण कुछ समय तक जारी रह सकता है।

डिस्क्लेमर

यह Market रिपोर्ट केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इसे निवेश सलाह न समझें। Share Market जोखिमों के अधीन है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें।

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