प्रमुख बिंदु-
मुंबई, 27 नवंबर (Market Today): आज भारतीय Share Market में पूरे दिन जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिला। शुरुआती सत्र में तेज़ गति के साथ Market ने हरा निशान पकड़ा, लेकिन दोपहर तक भारी मुनाफावसूली के दबाव में निफ्टी और सेंसेक्स दोनों फिसलने लगे। निवेशकों ने वैश्विक संकेतों की कमजोरी, डॉलर इंडेक्स में मजबूती और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर सतर्क रुख अपनाया, जिससे Market की धारणा प्रभावित हुई। हालांकि अंतिम घंटे में घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी ने Market को सहारा दिया और क्लोजिंग के समय हल्की रिकवरी दर्ज की गई। कुल मिलाकर दिन भर की ट्रेडिंग वोलैटाइल रही।

घरेलु बाज़ार(Market Today)
सेंसेक्स–निफ्टी की चाल आज पूरे सत्र में उतार-चढ़ाव से भरी रही। BSE सेंसेक्स करीब 450 अंकों की चौड़ी रेंज में ट्रेड करता रहा। शुरुआती सत्र में इसमें लगभग 300 अंकों की तेजी देखी गई, लेकिन दोपहर बाद मुनाफावसूली बढ़ने से इंडेक्स फिसला और अंत में हल्की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसी तरह, निफ्टी 50 भी लगभग 100 अंकों की रेंज में झूलता रहा और क्लोजिंग पर मामूली कमजोरी दर्ज की। विशेषज्ञों का कहना है कि Market की यह वोलैटिलिटी फेडरल रिज़र्व की संभावित ब्याज दर संकेतों, डॉलर इंडेक्स की मजबूती और FII की लगातार बिकवाली से प्रभावित हुई।

वैश्विक बाज़ारों का असर
International Market का असर आज भारतीय Share Market पर साफ देखा गया। अंतरराष्ट्रीय संकेत कमजोर रहे, जिससे घरेलू निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। अमेरिकी बाज़ारों में टेक शेयरों की भारी बिकवाली के कारण NASDAQ करीब 1% गिरकर बंद हुआ, जिसका सीधा असर भारतीय IT स्टॉक्स पर भी पड़ा। एशियाई मार्केट में भी मिश्रित भाव देखने को मिला—जापान का निक्केई लाल निशान में रहा, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग हल्की बढ़त के साथ बंद हुआ। यूरोपीय बाज़ार शुरुआती कारोबार में कमजोर रहे, जिससे दोपहर के बाद भारतीय बाज़ार पर अतिरिक्त दबाव आया। वहीं, वैश्विक स्तर पर महंगाई और ब्याज दरों से जुड़ी चिंताओं और नए अमेरिकी रोजगार आंकड़ों ने वोलैटिलिटी और बढ़ा दी।

कच्चा तेल और रुपये की चाल
कच्चा तेल और रुपये की चाल आज बाजार की दिशा तय करने वाले प्रमुख कारकों में शामिल रहे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत बढ़कर लगभग 83 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई, जिससे वैश्विक ऊर्जा लागतों में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ी। भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों के लिए यह चिंताजनक है, क्योंकि इससे न केवल आयात बिल बढ़ता है बल्कि घरेलू महंगाई पर भी दबाव आता है। दूसरी ओर, भारतीय रुपये ने आज डॉलर के मुकाबले हल्की कमजोरी दर्ज की। डॉलर इंडेक्स 105 के आसपास मजबूत बना रहा, जिससे उभरते बाजारों की मुद्राओं पर दबाव और बढ़ गया।

टॉप गेनर्स और टॉप लूज़र्स
| श्रेणी | स्टॉक | बदलाव (%) |
|---|
| टॉप गेनर्स | JSW Steel | +3.45% |
| Tata Motors | +2.18% |
| Coal India | +1.92% |
| Hindalco | +1.65% |
| टॉप लूज़र्स | HDFC Bank | -1.48% |
| Infosys | -1.32% |
| Wipro | -1.10% |
| Asian Paints | -0.95% |
FII–DII डेटा क्या कहता है?
FII–DII डेटा स्पष्ट रूप से बाजार की मौजूदा धड़कन दिखा रहा है। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार आज भी विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) बाजार में बिकवाली की ओर झुके रहे। FIIs पिछले कई सत्रों से लगातार प्रॉफिट बुकिंग कर रहे हैं, खासकर बैंकिंग, IT और फाइनेंशियल सेक्टर में। इससे बाजार पर दबाव बना रहा। इसके विपरीत घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) गिरावट को मौके के रूप में देखते हुए खरीदारी करते दिखे, जिसने बाजार को बड़ी गिरावट से बचाए रखा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले एक-दो हफ्तों में बाजार की दिशा काफी हद तक FII की गतिविधियों, वैश्विक संकेतों और आर्थिक डेटा पर निर्भर करेगी।

IPO मार्केट की स्थिति
IPO मार्केट की स्थिति आज मिश्रित रही और निवेशकों का रुख भी सतर्क दिखाई दिया। दो SME IPOs को सब्सक्रिप्शन के दौरान अच्छा रिस्पॉन्स मिला और उनमें खुदरा निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी देखने को मिली। दूसरी ओर, एक मेनबोर्ड IPO की लिस्टिंग उम्मीदों से कमजोर रही, जिससे नए निवेशकों का भरोसा थोड़ा डगमगाया। मार्केट विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा वोलैटिलिटी और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच केवल उन्हीं कंपनियों में निवेश करना बेहतर है जिनकी बैलेंस शीट मजबूत हो, जिनका कैश फ्लो स्थिर हो और जिनकी ग्रोथ रणनीति स्पष्ट हो। निवेशकों को जल्दबाज़ी में सब्सक्राइब करने से बचने की सलाह दी गई है।

निवेशकों के लिए सलाह
शॉर्ट–टर्म ट्रेडर्स के लिए: मौजूदा वोलैटिलिटी को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। मार्केट तेज़ झूलों से गुजर रहा है, इसलिए बिना स्टॉप-लॉस के ट्रेड करना जोखिम भरा हो सकता है। IT और बैंकिंग सेक्टर में अभी बिकवाली का दबाव बना हुआ है, इसलिए यहां सावधानी बरतें। दूसरी ओर PSU और मेटल सेक्टर में शॉर्ट–टर्म ट्रेडर्स के लिए अच्छे अवसर दिखाई दे रहे हैं।
लॉन्ग–टर्म निवेशकों के लिए: यह गिरावट गुणवत्ता वाले स्टॉक्स को जोड़ने का सही मौका मानी जा रही है। बैंकिंग, ऑटो और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर आने वाले वर्षों में मजबूत प्रदर्शन दिखा सकते हैं, इसलिए इन क्षेत्रों पर दीर्घकालिक दृष्टि से फोकस बनाना लाभकारी माना जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर नजर रखना जरूरी
अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर नजर रखना इस समय निवेशकों के लिए बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि भारतीय शेयर बाज़ार की दिशा अब काफी हद तक वैश्विक संकेतों पर निर्भर करती दिख रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की अगली बैठक से जुड़े ब्याज दर संकेत, ताज़ा महंगाई के आँकड़े, रोजगार डेटा और डॉलर इंडेक्स की चाल सीधे भारतीय बाज़ारों पर असर डालेंगे। इसके अलावा, मध्य-पूर्व में जारी भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें निवेशकों की चिंता बढ़ा रही हैं। आने वाले दिनों में इन सभी कारकों के आधार पर ही मार्केट की वास्तविक दिशा तय होगी।

डिस्क्लेमर
यह बाज़ार रिपोर्ट केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इसे निवेश सलाह न समझें। शेयर बाज़ार जोखिमों के अधीन है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें।


दिव्यांशु सिंह यूनिफाइड भारत के एक शोधपरक और तथ्य-संवेदनशील कंटेंट राइटर हैं, जो सरकारी नौकरियों, रक्षा समाचार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर विशेषज्ञता रखते हैं। उनके लेख सरकारी परीक्षाओं, नियुक्तियों और नीतिगत बदलावों को सरलता से समझाते हैं, जो लाखों युवाओं के लिए भरोसेमंद सूचना का स्रोत हैं। रोजगार और सामाजिक स्थिरता के लिए सटीक जानकारी देने के साथ-साथ वह रक्षा और अंतरराष्ट्रीय राजनीति जैसे जटिल विषयों को सहज भाषा में प्रस्तुत करने के लिए समर्पित हैं।
