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वाराणसी: मंगलवार शाम वाराणसी (Varanasi) के सूजाबाद घाट पर उस वक्त मातम छा गया जब नहाने गए चार बच्चों में से एक—14 साल का साहिल गुप्ता—गंगा की लहरों में समा गया। हादसा करीब शाम 4 बजे हुआ, जब चारों दोस्त पढ़ाई के बहाने घर से निकले थे। तीन को किसी तरह बचा लिया गया, लेकिन साहिल का कोई पता नहीं चला। 17 घंटे की तलाश के बाद बुधवार सुबह NDRF टीम ने उसका शव बरामद किया।

कैसे हुआ हादसा
मंगलवार की दोपहर गर्मी से राहत पाने के लिए साहिल और उसके तीन दोस्त—सुंदर, आयुष्मान और पवन—गंगा में उतर गए। 70 वर्षीय नाविक नारायण मांझी उस वक्त अपनी नाव किनारे बाँध रहे थे। उन्होंने बताया, “मैंने उन्हें मना किया—बेटा, यहां मत नहाओ, पानी बहुत गहरा है। लेकिन वो बोले, ‘बाबा, आप अपना काम करो।’”
कुछ ही पल बाद घाट पर मदद की चीखें गूंज उठीं—“बचाओ! डूब रहे हैं!” मांझी ने बिना सोचे नाव से छलांग लगाई। उन्होंने तीन बच्चों को किसी तरह खींचकर बाहर निकाला, लेकिन साहिल हाथ से फिसल गया। “मैंने उसे पकड़ा था… लेकिन वो सरक गया… और फिर दिखा ही नहीं,” मांझी की आंखों से आंसू बह निकले।

रातभर तलाश, सुबह मिला शव
सूचना मिलते ही सूजाबाद चौकी पुलिस और NDRF की टीम शाम 6 बजे पहुंची। रात 10 बजे तक तलाशी चली, पर अंधेरे ने रेस्क्यू रोक दिया। बुधवार सुबह 6 बजे फिर गोताखोर उतरे, और करीब साढ़े 9 बजे साहिल का शव किनारे मिला।
जैसे ही शव किनारे लाया गया, साहिल की मां बेसुध होकर गिर पड़ीं। वो बार-बार चीख रहीं थीं—“मेरा बेटा तो पढ़ने गया था… गंगा में कैसे चला गया?” आसपास खड़े लोग भी रो पड़े।

पड़ोसियों और पार्षद की बातें
स्थानीय पार्षद प्रतिनिधि शिवराज पटेल ने बताया, “साहिल अपने दोस्त के घर पढ़ने के लिए निकला था। किसी ने नहीं सोचा था कि वो गंगा घाट चला जाएगा। इस इलाके में पानी बहुत गहरा है, यहां पहले भी हादसे हो चुके हैं।”
घाट के मल्लाहों का कहना है कि बच्चे अक्सर नहाने के लिए मना करने पर भी नहीं मानते। एक बुजुर्ग ने कहा, “हर साल गंगा किसी का लाल निगल जाती है, पर कोई सबक नहीं लेता।”

परिवार का दर्द
साहिल के पिता विजय गुप्ता का कहना है, “वो मेरा इकलौता बेटा था। बोला था जल्दी लौट आऊंगा, मां को बस इतना कहा—‘खाना बाद में खा लूंगा’। हमें क्या पता था, वो आखिरी बात होगी।”
घर के बाहर अब लोगों की भीड़ है, हर कोई एक ही बात कह रहा—“गंगा ने आज एक और मां की गोद सूनी कर दी।”
