Nobel Peace Prize 2025: वेनेजुएला की ‘मरिया कोरिना’ को मिला नोबेल शांति पुरस्कार, तानाशाही के खिलाफ जंग लड़ रही हैं आयरन लेडी!

Nobel Peace Prize 2025 María Corina Machado

Nobel Peace Prize 2025: दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में शुमार नोबेल शांति पुरस्कार इस बार वेनेजुएला की साहसी विपक्षी नेता मरिया कोरिना माचाडो (María Corina Machado) को मिला है। तानाशाही की जंजीरों को तोड़ने और लोकतंत्र की मशाल जलाने के उनके अथक प्रयासों को सम्मानित करते हुए नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी ने उन्हें यह सम्मान दिया। माचाडो की यह जीत न सिर्फ वेनेजुएला के लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि पूरी दुनिया को बता रही है कि शांति का रास्ता हिंसा नहीं, बल्कि अहिंसक संघर्ष से ही तय होता है।

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मरिया कोरिना माचाडो: वेनेजुएला की प्रेरणा स्रोत

वेनेजुएला की राजनीति में मरिया कोरिना माचाडो का नाम एक मिसाल की तरह चमकता है। 1967 में पैदा हुईं माचाडो एक इंजीनियर और व्यवसायी रही हैं, लेकिन 2000 के दशक से उन्होंने राजनीति में कदम रखा। वे वोलंटेड प्रोग्रेस पार्टी की संस्थापक हैं, जो देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टियों में से एक है। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सत्तावादी सरकार के खिलाफ खुला आंदोलन चलाया। 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में वे उम्मीदवार चुनी गईं, लेकिन सरकारी दमन के कारण भागने को मजबूर हो गईं। फिर भी, वे देश छोड़कर नहीं गईं। छिपकर रहते हुए उन्होंने विपक्ष को एकजुट किया और शांतिपूर्ण परिवर्तन की मांग की।

Nobel Peace Prize 2025 María Corina Machado

उनकी हिम्मत की मिसाल तब देखने को मिली जब जान पर बनी रहने के बावजूद वे लाखों प्रदर्शनकारियों को प्रेरित करती रहीं। एक हालिया वीडियो में पुरस्कार की खबर सुनते ही उनकी आंखें नम हो गईं और उन्होंने कहा, “ओह माय गॉड… मेरे पास शब्द ही नहीं हैं।” यह भावना वेनेजुएला के उन करोड़ों लोगों की है जो दशकों से आर्थिक संकट और राजनीतिक दमन से जूझ रहे हैं। माचाडो की जिंदगी खुद एक संघर्ष की कहानी है, वे न सिर्फ महिलाओं के अधिकारों की पैरोकार हैं, बल्कि पर्यावरण और मानवाधिकारों पर भी मुखर रही हैं।

Nobel Peace Prize 2025 María Corina Machado

नोबेल कमिटी का फैसला

नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी के चेयरमैन जोरगेन वाटने फ्राइडनेस ने स्टॉकहोम से घोषणा की कि माचाडो को “वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण संक्रमण की लड़ाई” के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। कमिटी ने कहा कि पिछले एक साल में माचाडो को छिपकर रहना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। जीवन पर गंभीर खतरे के बावजूद वे देश में रहीं, जिसने लाखों लोगों को प्रेरित किया।

Nobel Peace Prize 2025 María Corina Machado

कमिटी ने विशेष रूप से उनकी विपक्ष एकीकरण की कोशिशों, समाज के सैन्यीकरण के खिलाफ रुख और शांतिपूर्ण संक्रमण के समर्थन को सराहा। यह पुरस्कार वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के पतन को रोकने का एक मजबूत संदेश है। कमिटी के अनुसार, दुनिया भर में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, और माचाडो जैसे नेता ही इसे मजबूत कर सकते हैं। पुरस्कार के साथ 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (करीब 8.5 करोड़ रुपये) की राशि भी जुड़ी है, जो 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल के जन्मदिन पर प्रदान की जाएगी।

वेनेजुएला का संकट: तानाशाही का काला अध्याय

वेनेजुएला, जो कभी लैटिन अमेरिका का सबसे अमीर देश था, आज आर्थिक तबाही और राजनीतिक अस्थिरता का शिकार है। 1999 में ह्यूगो शावेज के सत्ता में आने के बाद सोशलिस्ट नीतियों ने देश को कर्ज के जाल में फंसा दिया। उनके उत्तराधिकारी निकोलस मादुरो के शासन में स्थिति और बिगड़ी, हाइपरइन्फ्लेशन, भोजन की कमी और मानवाधिकार उल्लंघन आम हो गए। 2018 से अब तक हजारों विपक्षी कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया, और मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी गई। 

माचाडो ने 2024 के चुनावों में मादुरो को चुनौती दी, लेकिन परिणामों को धांधली का आरोप लगाकर खारिज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश से 75 लाख से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं। माचाडो की अगुवाई में विपक्ष ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी, जिसका असर अब नोबेल पुरस्कार के रूप में दिख रहा है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और लैटिन देशों ने इस फैसले का स्वागत किया है, जबकि मादुरो सरकार ने इसे “साजिश” करार दिया।

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नोबेल पुरस्कार की प्रक्रिया

नोबेल शांति पुरस्कार की चयन प्रक्रिया दुनिया की सबसे गोपनीय और कठिन प्रक्रियाओं में से एक है। हर साल जनवरी के अंत तक नामांकन जमा होते हैं, इस बार 338 उम्मीदवार थे, जिनमें 244 व्यक्ति और 94 संगठन शामिल थे। कमिटी के पांच सदस्यों के अलावा विशेषज्ञों की सलाह ली जाती है। फरवरी से सितंबर तक मासिक बैठकें होती हैं, और फैसला आमतौर पर सहमति से लिया जाता है। यदि सहमति न बने, तो साधारण बहुमत से तय होता है। 

अल्फ्रेड नोबेल की 1895 की वसीयत के अनुसार, पुरस्कार उनको दिया जाता है जो “मानवजाति के लिए सबसे बड़ा लाभ” प्रदान करें। शांति पुरस्कार में शांति समझौते, निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर है। पिछले साल जापानी संगठन निहोन हिडान्क्यो को यह पुरस्कार मिला था, जो परमाणु बम पीड़ितों का आंदोलन है। इस साल का चयन वेनेजुएला के संकट को वैश्विक मंच पर लाने का काम करेगा।

Nobel Peace Prize 2025 María Corina Machado

पुरस्कार की घोषणा के बाद दुनिया भर में सराहना की लहर दौड़ पड़ी। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने माचाडो को “शांति की योद्धा” कहा। लैटिन अमेरिका के कई देशों ने इसे क्षेत्रीय एकजुटता का प्रतीक माना। हालांकि, कुछ आलोचक मानते हैं कि यह पुरस्कार राजनीतिक दबाव का नतीजा है। नोबेल कमिटी के चेयरमैन फ्राइडनेस ने कहा, “सभी राजनेता यह पुरस्कार चाहते हैं, लेकिन हम नोबेल की आदर्शों पर चलते हैं।” 

माचाडो की जीत न सिर्फ वेनेजुएला को, बल्कि उन तमाम देशों को प्रेरित करेगी जहां तानाशाही का साया है। यह पुरस्कार याद दिलाता है कि बदलाव की ताकत आवाज में है, हथियारों में नहीं।

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