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टेक डेस्क: भारत का टेक जगत एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में घोषणा की कि वे Microsoft और Google के महंगे टूल्स को छोड़कर चेन्नई की स्वदेशी कंपनी Zoho की ओर रुख कर रहे हैं। यह कदम न सिर्फ ‘स्वदेशी’ अभियान को मजबूती देता है, बल्कि भारतीय कंपनियों के लिए एक संदेश भी है कि अब विदेशी दिग्गजों पर निर्भरता खत्म करने का समय आ गया है। 2025 में Zoho की तेज रफ्तार ने वैश्विक बाजार में हलचल मचा दी है। क्या यह भारतीय सॉफ्टवेयर की नई सुबह है?
Zoho का सफर: बूटस्ट्रैप्ड चमत्कार
1996 में चेन्नई में श्रीधर वेम्बू और टोनी थॉमस द्वारा स्थापित जोहो कॉर्पोरेशन की शुरुआत एक छोटे नेटवर्क मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर से हुई थी। कंपनी ने कभी बाहरी निवेश नहीं लिया, यानी पूरी तरह बूटस्ट्रैप्ड। यह रणनीति आज इसका सबसे बड़ा हथियार साबित हो रही है। 2024 में कंपनी का राजस्व 1.5 अरब डॉलर (करीब 12,500 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया, जो 2025 में और बढ़ने की उम्मीद है।
चेन्नई से लेकर टेक्सास तक फैले 12,000 से ज्यादा कर्मचारियों वाली Zoho ने ग्रामीण तमिलनाडु में अपना मुख्यालय स्थापित किया है, जो ‘रिवर्स माइग्रेशन’ का प्रतीक है। फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने 2025 में एंटरप्राइज सॉल्यूशंस पर फोकस बढ़ाया है, खासकर बैंकिंग और ऑटोमोटिव सेक्टर में। बिना वेंचर कैपिटल के यह सफर भारतीय स्टार्टअप्स के लिए प्रेरणा है, जहां 90% कंपनियां फंडिंग की होड़ में फंस जाती हैं। वेम्बू का मानना है कि धीमी लेकिन स्थिर वृद्धि ही असली सफलता की कुंजी है।

माइक्रोसॉफ्ट से Zoho की ओर कंपनियों
भारतीय बाजार में Zoho का उभार माइक्रोसॉफ्ट के लिए चुनौती बन गया है। 2025 में Zoho ने 100 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हासिल कर लिए, जिनमें अमेजन, नेटफ्लिक्स और डेलॉइट जैसी फॉर्च्यून 500 कंपनियां शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, Zoho का 68.8% मार्केट शेयर एंटरप्राइज एप्लिकेशंस में छोटे-मध्यम कारोबारों (एसएमबी) के बीच है, जो माइक्रोसॉफ्ट के 30% से कहीं ज्यादा है।
कई स्टार्टअप्स और सरकारी विभाग अब जोहो मेल, जोहो शीट और जोहो शो जैसे टूल्स अपना रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, नायरा एनर्जी जैसी कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट की सर्विस रुकने पर Zoho की ओर मुड़ीं। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यूजर्स का कहना है कि Zoho की प्राइवेसी फोकस्ड पॉलिसी और कम कीमत (माइक्रोसॉफ्ट से 50% सस्ता) ने इसे पॉपुलर बनाया। हालांकि, बड़े एंटरप्राइज में माइक्रोसॉफ्ट की पकड़ मजबूत है, लेकिन वैष्णव की अपील से 2025 में 20% शिफ्ट की संभावना जताई जा रही है।

Zoho के सस्ते, सुरक्षित और स्वदेशी टूल्स
Zoho की 55 से ज्यादा क्लाउड-बेस्ड ऐप्स बिजनेस को आसान बनाती हैं। जोहो सीआरएम सेल्स ट्रैकिंग के लिए, जोहो बुक्स अकाउंटिंग के लिए और जोहो वर्कप्लेस कोलैबोरेशन के लिए इस्तेमाल होता है। कंपनी का यूएसपी है डेटा प्राइवेसी – यूजर डेटा को मल्टीपल ज्योग्राफीज में स्टोर किया जाता है, जो जीडीपीआर और भारतीय नियमों का पालन करता है।
2025 में लॉन्च हुए इन-हाउस एआई एजेंट्स ‘जिया’ ने इसे और मजबूत किया। फ्रीमियम मॉडल से छोटे बिजनेस आसानी से शुरू कर सकते हैं, जबकि एंटरप्राइज प्लान्स कस्टमाइजेशन देते हैं। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, “जोहो से माइक्रोसॉफ्ट छोड़ना आसान है, क्योंकि यह स्लैक, सेल्सफोर्स और जूम का फुल रिप्लेसमेंट है।” जोहो की ग्रामीण डेवलपमेंट इनिशिएटिव्स, जैसे जोहो स्कूल्स, इसे सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाती हैं।

क्या वैश्विक लीडर बनेगा Zoho?
विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के बाद जोहो माइक्रोसॉफ्ट को सीधी टक्कर देगा। कंपनी का लक्ष्य 2029 तक सॉफ्टवेयर मार्केट में 740 अरब डॉलर का हिस्सा हासिल करना है। श्रीधर वेम्बू ने हाल ही में कहा, “हमारा प्रोडक्ट सूट माइक्रोसॉफ्ट से बेहतर है – ब्रेड्थ और डेप्थ में।” सरकार का समर्थन, जैसे डिजिटल इंडिया अभियान, इसे बूस्ट देगा।
हालांकि चुनौतियां हैं – बड़े यूजर बेस को स्केल करना और एआई में निवेश। लेकिन जोहो का बूटस्ट्रैप्ड मॉडल इसे लचीला बनाता है। एक्स पर चर्चा से साफ है कि युवा उद्यमी इसे ‘स्वदेशी क्रांति’ मान रहे हैं। अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो जोहो न सिर्फ भारत का, बल्कि दुनिया का अगला सॉफ्टवेयर किंग बन सकता है। क्या आप भी स्विच करने को तैयार हैं?
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
