प्रमुख बिंदु-
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में ‘I Love Muhammad’ विवाद ने एक बार फिर तनाव पैदा कर दिया है। बिना अनुमति जुलूस निकालने और भड़काऊ नारों के वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया है। दालमंडी इलाके में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि लोहता क्षेत्र में ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारे लगाने वाले 12 के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। यह विवाद कानपुर से शुरू होकर अब पूरे राज्य में फैल चुका है, जहां एक ओर मुहम्मद और मज़हब के नाम पर प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भीड़ बनकर शांति व्यवस्था को भंग करने का प्रयास हो रहा है। पुलिस का कहना है कि शांति भंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
दालमंडी जुलूस पर पुलिस का शिकंजा: चार गिरफ्तार
वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र के दालमंडी में बुधवार को बिना प्रशासनिक अनुमति के एक जुलूस निकाला गया। हाथों में ‘I Love Muhammad’ के पोस्टर थामे युवक नारेबाजी करते हुए सड़कों पर उतरे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि इससे आवागमन बाधित हुआ और माहौल में तनाव बढ़ गया। चौकी प्रभारी प्रकाश सिंह चौहान की तहरीर पर तुरंत एफआईआर दर्ज की गई।
सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय मुखबिरों की मदद से पुलिस ने चार नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इनमें हड़हा सराय का अजहर मलिक, लल्लापुरा माताकुण्ड का नफीस अहमद, दालमंडी का आदिल और चौक के बांदी टोला का इरफान शामिल हैं। इसके अलावा दस अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ है। डीसीपी काशी जोन गौरव बंशवाल ने बताया कि आरोपी नाबालिगों को आगे करके जुलूस निकालने की कोशिश कर रहे थे, जो कानून का उल्लंघन है।

लोहता में लगे ‘सर तन से जुदा’ के नारे, 12 पर FIR
लोहता थाना क्षेत्र में स्थिति और गंभीर हो गई, जब नाबालिगों ने ‘I Love Muhammad’ पोस्टरों के साथ जुलूस निकाला। जुलूस के दौरान “सर तन से जुदा” जैसे उग्र नारे लगाए गए, जिसका वीडियो वायरल होते ही हड़कंप मच गया। महमूदपुर चौकी इंचार्ज की शिकायत पर बुधवार रात को 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने फुटेज खंगालना शुरू कर दिया है और संदिग्धों की तलाश तेज कर दी गई।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसे नारे धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं और शहर की शांति के लिए खतरा हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, “बच्चों को आगे करके जुलूस निकालना गलत है, इससे पूरा समुदाय बदनाम होता है।” पुलिस ने स्पष्ट किया कि नाबालिगों के शामिल होने पर उनके अभिभावकों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। यह घटना नवरात्रि और जुमे की नमाज के बीच हुई, जिससे प्रशासन और सतर्क हो गया।

कानपुर से बरेली-वाराणसी तक बवाल
यह विवाद कानपुर के सैयद नगर से शुरू हुआ, जहां बारावफात जुलूस के दौरान ‘I Love Muhammad’ बैनर लगाने पर विवाद हुआ। पुलिस का कहना है कि मुकदमा नारों के लिए नहीं, बल्कि बिना अनुमति गेट लगाने और दूसरे समुदाय के पोस्टर फाड़ने के लिए दर्ज हुआ। लेकिन मामला तूल पकड़ गया, जब मुस्लिम समुदाय ने विरोध जुलूस निकाले। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का मामला बताते हुए कहा, “मुस्लिम का ईमान तब तक अधूरा है, जब तक वह पैगंबर मुहम्मद से सच्चा प्यार न करे। संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत यह अधिकार है।”
वहीं बरेली में क्रवार को आला हजरत दरगाह और मौलाना तौकीर रजा के आवास के आसपास सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए। उनका दावा था कि यह अभियान पैगंबर मोहम्मद के सम्मान में है, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे भड़काऊ मानते हुए अनुमति से इंकार कर दिया। जुमे की नमाज के तुरंत बाद प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। कोतवाली, बारादरी, किला, कैंट और प्रेमनगर थाना क्षेत्रों में पत्थरबाजी शुरू हो गई। उपद्रवियों ने दुकानों पर तोड़फोड़ की और पुलिस वाहनों को निशाना बनाया। पुलिस ने तुरंत लाठीचार्ज किया और तब स्थिति काबू में आई।

पुलिस की सतर्कता, शांति के लिए पेट्रोलिंग बढ़ी
वाराणसी पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड में है। सिगरा, दशाश्वमेध, लोहता और चौक थानों में अब तक कई मुकदमे हो चुके हैं। डीसीपी गौरव बंशवाल ने कहा, “बिना अनुमति कोई जुलूस या प्रदर्शन नहीं चलेगा। माहौल बिगाड़ने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” मुस्लिम बहुल इलाकों में फुट पेट्रोलिंग तेज कर दी गई है, खासकर नवरात्रि के दौरान। राज्य स्तर पर 21 केस दर्ज हो चुके हैं, जिसमें 1324 मुस्लिमों को नामजद किया गया है। यह विवाद शहर की सांस्कृतिक विरासत को चुनौती दे रहा है। वाराणसी जैसे तीर्थनगरी में शांति बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।