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ग्लोबल डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद ने हाल के महीनों में दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा किया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई थी। लेकिन अब ताजा बयानों से लगता है कि दोनों देशों के रिश्ते फिर से पटरी पर लौट सकते हैं। ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ अपनी दोस्ती की दुहाई दी है, जबकि मोदी ने भी सकारात्मक जवाब देकर रिश्तों को मजबूत करने की बात कही है। हालांकि, 50% टैरिफ अभी भी लागू है और भारत-रूस तेल व्यापार को लेकर अमेरिका की नाराजगी बरकरार है।
ट्रंप का दोस्ती का इजहार
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, “मैं हमेशा नरेंद्र मोदी का दोस्त रहूंगा। वह एक शानदार प्रधानमंत्री हैं, लेकिन मुझे उनके कुछ मौजूदा कदम पसंद नहीं हैं। फिर भी, भारत और अमेरिका के बीच खास रिश्ता है और चिंता की कोई बात नहीं है।” ट्रंप का यह बयान तब आया जब उनसे पूछा गया कि क्या वह भारत के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए तैयार हैं, जो पिछले दो दशकों में शायद सबसे निचले स्तर पर हैं।
ट्रंप ने यह भी कहा कि वह भारत के रूस से तेल खरीदने से “बहुत निराश” हैं और इसीलिए 50% टैरिफ लगाया गया है। लेकिन उनकी दोस्ती की बात और व्यापार वार्ता की उम्मीद से संकेत मिलता है कि वह तनाव कम करने को इच्छुक हैं।
मोदी की सकारात्मक और संतुलित प्रतिक्रिया
ट्रंप के बयान पर तुरंत जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे रिश्तों के सकारात्मक मूल्यांकन की सराहना करता हूं। भारत और अमेरिका के बीच सकारात्मक, दूरदर्शी और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।” मोदी का यह बयान न केवल ट्रंप की दोस्ती की बात का जवाब था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत रिश्तों को सुधारने के लिए तैयार है। मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों, खासकर किसानों और छोटे उद्योगों के हितों से समझौता नहीं करेगा।

टैरिफ विवाद और भारत-रूस तेल व्यापार
अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ का फैसला दो चरणों में लिया। पहले 7 अगस्त को 25% टैरिफ लगाया गया और फिर 27 अगस्त को रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% टैरिफ जोड़ा गया। ट्रंप और उनके प्रशासन का कहना है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को “फंड” कर रहा है। व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा, “हम इस बात से निराश हैं कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, लेकिन हमें उम्मीद है कि रिश्ते बेहतर होंगे।”
भारत ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से तेल खरीद रहा है और यह उसका राष्ट्रीय हित है। भारत ने यह भी तर्क दिया कि चीन और यूरोप भी रूस से तेल खरीदते हैं, लेकिन उन पर कम टैरिफ लगाया गया है।

व्यापार वार्ता पर क्या है उम्मीद?
ट्रंप ने कहा कि भारत समेत कई देशों के साथ व्यापार वार्ता अच्छी चल रही है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी उम्मीद जताई कि मई या जून 2026 तक भारत के साथ व्यापार समझौता हो सकता है। भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत जल्दबाजी में कोई समझौता नहीं करेगा और केवल निष्पक्ष सौदे के लिए तैयार है। भारत ने नवंबर 2025 तक व्यापार समझौता पूरा करने का भरोसा भी जताया है।

ट्रंप के टैरिफ फैसले की अमेरिका में भी आलोचना हो रही है। डेमोक्रेटिक सांसद रो खन्ना और ग्रेगरी मीक्स ने कहा कि ट्रंप का यह कदम भारत-अमेरिका रिश्तों को नुकसान पहुंचा रहा है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी ट्रंप के “दोहरे मापदंड” पर सवाल उठाए, क्योंकि चीन पर केवल 30% टैरिफ है, जबकि भारत पर 50%। दूसरी ओर, भारत ने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की रणनीति अपनाई है। ब्रिक्स और SCO जैसे मंचों पर भारत की सक्रियता भी बढ़ी है, जो ट्रंप की चिंता का कारण बनी है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।