प्रमुख बिंदु-
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रमुख विश्वविद्यालयों और लॉ कॉलेजों में लॉ की मान्यता का नवीनीकरण न होने से हड़कंप मचा हुआ है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) सहित कई बड़े संस्थानों की लॉ डिग्री की वैधता पर सवाल उठ रहे हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) में मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन लंबित पड़े हैं, जिससे लगभग 50 हजार छात्रों का भविष्य खतरे में है। हाल ही में बाराबंकी के श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में लॉ की मान्यता को लेकर हुए बवाल और पुलिस लाठीचार्ज ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है।
लॉ की मान्यता का संकट: BHU और LU भी फंसे
दैनिक भास्कर के एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और लॉ कॉलेजों में लॉ कोर्स की मान्यता का नवीनीकरण पिछले 2-3 साल से नहीं हुआ है। BHU, लखनऊ विश्वविद्यालय (LU), राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी, एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की मान्यता BCI में लंबित है।
विधिक शिक्षा नियमावली-2008 के अनुसार, बिना BCI की मंजूरी के कोई भी संस्थान लॉ कोर्स में प्रवेश या पढ़ाई नहीं करा सकता। फिर भी, इन संस्थानों में प्रवेश और पढ़ाई जारी है, जिससे छात्रों के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। दैनिक भास्कर की पड़ताल के रिपोर्ट, प्रदेश के 12 से अधिक विश्वविद्यालयों और 35 से अधिक लॉ कॉलेजों में यह समस्या बनी हुई है।
रामस्वरूप यूनिवर्सिटी पर FIR: धोखाधड़ी का गंभीर आरोप
बाराबंकी की श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी के खिलाफ उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद की शिकायत पर 3 सितंबर 2025 को नगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई। यूनिवर्सिटी पर आरोप है कि उसने 2023-24 और 2024-25 सत्रों में बिना BCI की मंजूरी के एलएलबी, बीए-एलएलबी और बीबीए-एलएलबी कोर्स में छात्रों को प्रवेश दिया और परीक्षाएं आयोजित कीं। 2025-26 सत्र के लिए भी पंजीकरण शुरू किए गए थे। यह मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318(4) (धोखाधड़ी), 338 (जालसाजी), 336(3) (जालसाजी) और 340(2) (जाली दस्तावेजों का उपयोग) के तहत दर्ज किया गया है। इस घटना ने यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, हालांकि BCI ने 3 सितंबर को ही यूनिवर्सिटी को 2026 तक मान्यता दे दी।
छात्रों का बवाल: लाठीचार्ज से गरमाया माहौल
रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में लॉ कोर्स की मान्यता को लेकर छात्रों का गुस्सा 21 अगस्त को भड़क उठा। छात्रों का आरोप था कि यूनिवर्सिटी बिना BCI मान्यता के कोर्स चला रही थी और अतिरिक्त फीस वसूल रही थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके बाद पुलिस के साथ नोक-झोंक हुई। पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें 24 से अधिक छात्र घायल हुए, कुछ को मेयो और जिला अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। इस घटना ने पूरे प्रदेश में हंगामा मचा दिया। एबीवीपी ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर अवैध फीस वसूली और धोखाधड़ी का आरोप लगाया।

सीएम योगी का सख्त रुख: दोषियों पर कार्रवाई के आदेश
रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में लाठीचार्ज की घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए, जिसके तहत सर्किल ऑफिसर (सीओ) सिटी हर्षित चौहान को हटा दिया गया, कोतवाल आरके राणा और चौकी प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया। साथ ही, यूनिवर्सिटी की डिग्री की वैधता की जांच के लिए अयोध्या मंडलायुक्त को जिम्मेदारी सौंपी गई और आईजी रेंज अयोध्या प्रवीण कुमार को लाठीचार्ज की जांच का आदेश दिया गया। सीएम ने बिना मान्यता के चल रहे लॉ कोर्सेज पर भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, यूनिवर्सिटी प्रबंधन के खिलाफ कोतवाली नगर में मुकदमा दर्ज किया गया है।
BCI की लापरवाही या सिस्टम की खामी?
छात्रों और विशेषज्ञों का मानना है कि BCI की लचर कार्यप्रणाली इस संकट की सबसे बड़ी वजह है। BCI के पूर्व सदस्य गोपाल नारायण मिश्रा के अनुसार, आवेदन और फीस जमा होने के बाद भी मान्यता नवीनीकरण में देरी करना गलत है। कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने BCI में आवेदन और फीस जमा कर रखी है, लेकिन स्वीकृति में देरी के कारण छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है। विधिक शिक्षा नियमावली-2008 के चैप्टर-3, नियम 14 (बी) के तहत, बिना मान्यता के कोर्स चलाना गैरकानूनी है, फिर भी कई संस्थान ऐसा कर रहे हैं। BCI की आधिकारिक वेबसाइट पर भी मान्यता की स्थिति स्पष्ट नहीं है, जिससे छात्रों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
सरकार का रवैया: समर्थ पोर्टल से उम्मीद
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने माना कि निजी विश्वविद्यालयों पर सरकार का सीधा नियंत्रण नहीं है। हालांकि, उच्च शिक्षा परिषद के पास कुछ हद तक निगरानी की जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि समर्थ उत्तर प्रदेश पोर्टल के जरिए निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का डाटा एकत्र किया जाएगा, जिसमें कोर्स और छात्रों की जानकारी शामिल होगी। इस पोर्टल के बनने से पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन, छात्रों का कहना है कि जब तक BCI मान्यता नवीनीकरण की प्रक्रिया को तेज नहीं करता, तब तक उनकी डिग्रियों की वैधता पर सवाल उठते रहेंगे।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
