प्रमुख बिंदु-
लखनऊ, 2 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में 15 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिसमें सबसे अहम है उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड का गठन। यह निगम संविदा कर्मचारियों को उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, लखनऊ और कानपुर में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन, नई निर्यात नीति 2025-30 और शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना जैसे बड़े फैसले भी लिए गए।
आउटसोर्स सेवा निगम: संविदा कर्मचारियों के लिए नई उम्मीद
योगी सरकार ने संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को खत्म करने के लिए उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंजूरी दी है। यह निगम कंपनीज एक्ट-2013 की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी पब्लिक लिमिटेड कंपनी होगी। इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के शोषण को रोकना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। इस निगम के तहत 92 सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों और माध्यमिक व उच्च शिक्षण संस्थानों में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती होगी।
निगम की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जेम पोर्टल (GeM Portal) के माध्यम से सर्विस प्रोवाइडर एजेंसियों का चयन किया जाएगा। इन एजेंसियों की नियुक्ति तीन साल के लिए होगी और कर्मचारियों को नियमित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। यह कदम कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक भविष्य की गारंटी देगा।

कर्मचारियों को मिलेंगी ये सुविधाएं
नए निगम के तहत संविदा कर्मचारियों के लिए कई महत्वपूर्ण सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं, जो इस प्रकार हैं:
- कर्मचारियों का मानदेय ₹16,000 से ₹25,000 प्रति माह के बीच होगा, जो पद के आधार पर तय किया जाएगा। वेतन हर महीने की 1 से 5 तारीख तक सीधे उनके बैंक खाते में जमा होगा।
- कर्मचारियों को ईपीएफ (PF) और ईएसआई (ESI) की राशि समय पर जमा की जाएगी, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- सभी नियुक्तियों में SC, ST, OBC, EWS, महिलाओं, दिव्यांगजनों और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण नियमों का पालन होगा। निराश्रित, तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाओं को भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी।
- मातृत्व अवकाश, अंतिम संस्कार सहायता, दुर्घटना बीमा और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
- कर्मचारियों को बिना ठोस कारण और विभागीय अनुमति के नौकरी से नहीं हटाया जाएगा। अगर कोई कर्मचारी आपराधिक मामले या दुराचरण में शामिल पाया जाता है, तभी उसे हटाया जा सकेगा।
आउटसोर्सिंग एजेंसियों की मनमानी पर रोक
पहले आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने, वेतन में कटौती और ईपीएफ/ईएसआई जैसी सुविधाओं से वंचित रहने की शिकायतें आम थीं। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि निगम के गठन से इन समस्याओं का स्थायी समाधान होगा। निगम का संचालन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और एक महानिदेशक द्वारा किया जाएगा। मंडल और जिला स्तर पर समितियां भी बनाई जाएंगी, जो कर्मचारियों के हितों की निगरानी करेंगी।
अगर कोई एजेंसी नियमों का उल्लंघन करती है, तो उसे ब्लैक लिस्ट किया जाएगा और जुर्माना भी लगाया जाएगा। यह व्यवस्था कर्मचारियों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी।

कैबिनेट के अन्य महत्वपूर्ण फैसले
आउटसोर्स सेवा निगम के अलावा, कैबिनेट ने कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी:
- नई निर्यात नीति 2025-30: यह नीति अगले पांच वर्षों तक लागू रहेगी और निर्यातकों को विशेष रियायतें प्रदान करेगी। इसका लक्ष्य 2030 तक पंजीकृत निर्यातकों की संख्या में 50% वृद्धि करना और उत्तर प्रदेश को वैश्विक निर्यात हब बनाना है।
- इलेक्ट्रिक बसों का संचालन: लखनऊ और कानपुर में 100-100 इलेक्ट्रिक बसें नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर चलाई जाएंगी, जिससे पर्यावरण अनुकूल परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
- शाहजहांपुर में नया विश्वविद्यालय: स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट की 20 एकड़ भूमि का उपयोग होगा। यह उच्च शिक्षा को बढ़ावा देगा।
- पैतृक संपत्ति रजिस्ट्री: पैतृक संपत्ति के बंटवारे के लिए रजिस्ट्री शुल्क अब ₹5,000 तक सीमित होगा।

कर्मचारियों में खुशी की लहर
इस फैसले से उत्तर प्रदेश के करीब 10 लाख आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को लाभ होगा। पहले कई कर्मचारियों को ₹10,000 से भी कम वेतन मिलता था और एजेंसियां मनमानी कटौती करती थीं। अब नई व्यवस्था से उनका जीवन स्तर बेहतर होगा और वे सम्मान के साथ काम कर सकेंगे। कर्मचारी संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है।
योगी सरकार की विकासोन्मुखी नीतियां
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस निर्णय को सामाजिक न्याय, श्रमिक गरिमा और प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बताया। उन्होंने कहा कि निगम के गठन से न केवल कर्मचारियों को लाभ होगा, बल्कि पूरे सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी। इसके अलावा, सरकार की अन्य नीतियां जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति और निर्यात प्रोत्साहन नीति उत्तर प्रदेश को औद्योगिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।