प्रमुख बिंदु-
ग्लोबल डेस्क: चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के 25वें शिखर सम्मेलन (SCO Summit 2025) में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक बार फिर अपनी मजबूत आवाज बुलंद की। इस समिट में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई, जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई थी।
खास बात यह रही कि इस निंदा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। तियानजिन घोषणापत्र में सभी सदस्य देशों ने एकजुट होकर आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई की प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कुछ देशों के दोहरे रवैये पर सवाल उठाया। यह भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

पहलगाम हमले की निंदा
SCO समिट के तियानजिन घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा को शामिल करना भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता है। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या की थी। घोषणापत्र में स्पष्ट कहा गया कि इस हमले के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाना जरूरी है। यह बयान पाकिस्तान के लिए एक सख्त संदेश है, क्योंकि भारत लंबे समय से सीमा-पार आतंकवाद को लेकर उसकी भूमिका को उजागर करता रहा है। विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हम अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि घोषणापत्र में आतंकवाद, खासकर सीमा-पार आतंकवाद की कड़ी निंदा हो।”
पीएम मोदी का सख्त रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समिट में अपने संबोधन में आतंकवाद को वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा, “भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। पहलगाम हमला केवल भारत पर नहीं, बल्कि मानवता पर हमला था।” उन्होंने कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुले समर्थन पर सवाल उठाते हुए कहा, “ऐसे दोहरे रवैये को कैसे स्वीकार किया जा सकता है?”
मोदी ने SCO के तीन मुख्य स्तंभ, सुरक्षा (Security), कनेक्टिविटी (Connectivity) और अवसर (Opportunity) पर जोर देते हुए कहा कि आतंकवाद के हर रूप का विरोध करना हमारा दायित्व है। उन्होंने सुझाव दिया कि SCO के तहत एक सभ्यतागत संवाद मंच (Civilizational Dialogue Forum) बनाया जाए, ताकि प्राचीन सभ्यताओं और परंपराओं को वैश्विक मंच पर साझा किया जा सके।

भारत की कूटनीतिक जीत
इससे पहले जून 2025 में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले का जिक्र घोषणापत्र में नहीं था, जिस पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उस समय संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि भारत की आतंकवाद विरोधी चिंताओं को पर्याप्त जगह नहीं दी गई थी। इस बार भारत के सख्त रुख और कूटनीतिक दबाव का नतीजा रहा कि तियानजिन घोषणापत्र में न केवल पहलगाम हमले की निंदा हुई, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता पर भी सहमति बनी। यह भारत की मिलिट्री और कूटनीतिक ताकत का प्रतीक है।
वैश्विक सुधारों पर भारत का जोर
SCO समिट में भारत ने न केवल आतंकवाद, बल्कि वैश्विक सुधारों पर भी अपनी बात रखी। पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुधारों की वकालत करते हुए कहा, “ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पुराने ढांचों में कैद करना भावी पीढ़ियों के साथ अन्याय है। नई पीढ़ी के रंग-बिरंगे सपनों को पुरानी ब्लैक-एंड-व्हाइट स्क्रीन पर नहीं दिखाया जा सकता।” उन्होंने संगठित अपराध, ड्रग तस्करी और साइबर सिक्योरिटी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए SCO के नए केंद्रों की स्थापना का स्वागत किया। भारत ने 2023 में अपनी SCO अध्यक्षता के दौरान स्टार्टअप्स, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण और डिजिटल समावेशन जैसे नए विषयों को शामिल किया था, जिसे इस बार भी सराहा गया।

SCO का व्यापक एजेंडा
SCO समिट में आतंकवाद के अलावा क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। घोषणापत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति को लागू करने पर जोर दिया गया। सदस्य देशों ने कनेक्टिविटी परियोजनाओं में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया। पीएम मोदी ने कहा, “मजबूत कनेक्टिविटी से न केवल व्यापार, बल्कि विश्वास और विकास के द्वार भी खुलते हैं।” इसके अलावा, गाजा संकट और ईरान पर हमलों की निंदा भी घोषणापत्र में शामिल की गई, जो वैश्विक शांति के प्रति SCO की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।